महिला शिक्षा पर निबंध Women Education In India Essay In Hindi- आज के इस युग में शिक्षा का बहुत महत्व माना जाता है. आज इस दुनिया में कोई विकसित देश है. तो उसका कारण शिक्षा ही है. देश को विकसित बनाने के लिए शिक्षा का होना सबसे आवश्यक है. आज हम महिला शिक्षा के बारे में पढेंगे.
भारत में महिला शिक्षा पर निबंध Women Education In India Essay In Hindi
आज के समय में हमारे देश में महिला शिक्षा की ओर ध्यान देना आवश्यक है. और भारतीय सरकार इसके लिए अभियानों और कार्यक्रमों द्वारा अनेक प्रयास भी कर रही है. जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन समय की तुलना में आधुनिक महिलाए काफी शिक्षित हुई है.
महिला साक्षरता का आंकड़ा बढ़ रहा है. जो अच्छा संकेत है. सामाजिक तथा आर्थिक रूप से महिलाओ का शिक्षित होना आवश्यक है. हमारा समाज समान रूप से चलता है, जो भूमिका एक पुरुष की होती है.
वही भूमिका एक महिला की भी होती है. इसलिए महिलाओ को समान अवसर देने की जरुरत है. जब तक भारतीय महिलाए शिक्षित नहीं होगी. देश का विकास नहीं हो सकता देश की साक्षरता नहीं बढ़ सकती है.
एक छोटे बच्चे के भविष्य और उसकी शिक्षा का सबसे अधिक ख्याल उसकी माँ का होता है. माँ बच्चे को बचपन से ही शिक्षा का पाठ पढ़ाती और उन्हें शिक्षित बनाने में माँ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
इसलिए जब माँ खुद शिक्षा से परिपूर्ण होगी, तो वह अपनी संतान को अच्छा ज्ञान देने में समर्थ रहेगी. और एक शिक्षित माँ की संतान हमेशा संस्कारवान और शिक्षित ही होती है. क्योकि माँ उसे हमेशा अच्छा ज्ञान और संस्कार देती है.
जो जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते है. इसलिए आज की युवा पीढ़ी को शिक्षित बनाने में महिलाओ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.माँ अपनी शिक्षा और ज्ञान से संतान को अच्छी काबिलयत देती है.
आज हमारे देश में महिलाओ की साक्षरता दर 60% से अधिक है. जो पिछले दशको से काफी बढ़ा है. पर कुछ राज्यों में आज भी अशिक्षित महिलाए देखने को मिलती है. महिलाओ की साक्षरता दर गाँवों में बहुत कम है.
क्योकि वहा के लोग महिलाओ को अवसर नहीं देते है. और महिलाओ को केवल बच्चो का जन्म और उनका पालन पोषण करने तक ही मान्य माना जाता है. भारत के सबसे साक्षर राज्य केरल में केवल पुरुष शिक्षित नहीं है. वहा महिलाए भी शिक्षित है.
कुछ लोग ,महिलाओ की शिक्षा का कोई महत्व नहीं समझाते है. आज हमारे देश में महिलाओ के साथ हो रहे अपराध बलात्कार, लूटमार,भ्रूण हत्या तथा लिंग भेद आदि अनेक समस्याए महिलाओ के शिक्षित होने से कम होगी.
आज हम जो अपराध महिलाओ के साथ होते देख रहे है. कल यदि ये महिलाए शिक्षित बनी तो हमें इन अपराधो में कमी होती नजर आएगी. आज शहरी इलाको में अपराध कम हो रहे और और ग्रामीण इलाको में बढ़ रहे है. इसका प्रमुख कारण महिलाओ की शिक्षा की कमी ही है.
एक शिक्षित महिला आत्मनिर्भर होती है. जो अपना जीवन खुद के बल पर व्यतीत कर सकती है. इसलिए तलाक जैसे अपराध यहाँ से खत्म हो जायेंगे. आज जिन कार्यो में महिलाओ को स्वीकार नहीं किया जाता है.
कल शिक्षित महिलाए उसी कार्य का नेतृत्व करती नजर आएगी. जिससे घर और राष्ट्र की आर्थिक स्थिति में काफी सुधर आएगा. इसलिए महिला शिक्षा की ओर ध्यान देना जरुरी है.
महिला शिक्षा के प्रभाव
- यदि महिलाए शिक्षित होती है, तो महिलाओ के साथ होने वाले अपराध कम होंगे.
- महिलाओ को सामाजिक रूप से उत्पीडित नहीं किया जाएगा.
- एक शिक्षित महिलाए आत्मनिर्भर होती है. इसलिए वे घर की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकती है.
- सामाजिक कुप्रथाओ से छुटकारा पाया जा सकता है.
- दहेज प्रथा जैसे अपराध पर रोक लगाना.
- शिक्षित महिला अपने कार्यो से महिलाओ के महत्व को दर्शा सकती है.
- एक उच्च शिक्षित महिला नौकरी प्राप्त कर घर चला सकती है.
- महिला शिक्षित होकर समाज को शिक्षा से परिपूर्ण बना सकती है.
उपयुक्त आर्टिकल से हम इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते है. कि महिलाओ की शिक्षा से ही एक राष्ट्र ओर एक समाज का विकास किया जा सकता है. आज हम महिलाओ की शिक्षा पर जोर देकर उनकी स्थिति में सुधार ला सकते है.
महिला शिक्षा पर निबंध Women Education Essay In Hindi
शिक्षा एक ऐसी औषधि है. जो व्यक्ति के जीवन में हर समय काम आती है. शिक्षा से ही एक व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है. देश को शिक्षित बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महिलाओ की होती है.
जिस देश में महिला साक्षरता अधिक है. वहा शिक्षित लोग भी अधिक होते है.आप कनाडा का उदहारण ले सकते है. आज का सबसे शिक्षित देश कनाडा है. और इसका कारण कनाडा के महिला साक्षरता का अधिक होना.
भारतीय सरकार भी महिला साक्षरता पर बहुत ध्यान दे रही है. और इसके लिए अनेक नई-नई योजनाए चला रही है. जिसमे-बालिका शिक्षा,बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना आदि अनेक योजनाए चलाई जा रही है. जिससे भारतीय महिला साक्षरता में काफी वद्धि भी हुई है.
किसी भी व्यक्ति का प्रथम शिक्षक उसकी माता होती है. बच्चे को शुरुआती संस्कार माता द्वारा मिलते है. यदि बच्चे की माता शिक्षित हुई तो वह अपने बच्चे को बचपन से ही ज्ञान का पढ़ाने में सक्षम होगी.
शिक्षित महिला का सकरात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव उसकी संतान पर पड़ता है. इसी कारण महिला में शिक्षा हुई तो उसके बच्चे पर बचपन से ही सकारत्मक प्रभाव देखने को मिलेगा.
भारत में महिला शिक्षा का महत्व
किसी भी बच्चे का प्रथम शिक्षक उसकी शिक्षा पर निर्भर करता है. बच्चे का प्रथम शिक्षक यानि उसकी माता ही अपने बच्चे को मान-मर्यादा के बारे मी सिखाती है. यही कारण है. कि शिक्षित परिवार के बच्चे बचपन से संस्कारवान होते है.
कई लोग सोचते है. शिक्षित परिवार में बच्चे शिक्षित ही जन्म लेते है. जो कि शरासर गलत है. कोई भी शिक्षित पैदा नहीं होता है. जो बच्चे अपने माता-पिता से बचपन से संस्कार लेने में सक्षम रहते है. वे अपने भविष्य को सवांरने में भी सक्षम होते है.
महिला शिक्षा के स्तर में वद्धि नहीं हो सकी तो हमारे भविष्य के लिए ये चिंता का विषय हो सकता है. एक अशिक्षित महिला से अनेक बच्चो पर उसका असर पड़ता है.
अशिक्षित महिला के पास अपने बच्चो को संस्कार वान बनाने तथा बच्चे की क्षमता को पहचानने की क्षमता नहीं होती है. इसी कारण उसकी संतान भी समय पर संस्कार प्राप्त नहीं कर पाने के कारण कमजोर रह जाता है.
महिला शिक्षा से समाज में होने वाले अनेक अपराधो से छुटकारा पाया जा सकता है. महिला शिक्षा से हमें सामाजिक तथा आर्थिक लाभ भी होते है. एक शिक्षित महिला अपने परिवार अपने बच्चो तथा अपनी समाज को संभाल सकती है.
वे अपनी समाज में हो रहे अनगिनत अपराधो की निवारण कर सभी को ज्ञान वर्धक बना सकती है.तथा लोगो के आपसी विवाद को सुलझाने में लगने वाले समय तथा आर्थिक पैसो की बचत की जा सकती है. शिक्षित महिला से हमारी सामाजिक प्रगति भी होती है.
महिला शिक्षा के कारण
एक शिक्षित महिला अपने परिवार ही नहीं बल्कि पुरे राष्ट्र को शिक्षित बनाने में अपना अहम योगदान दे सकती है. एक महिला से एक राष्ट्र को शिक्षित बनाया जा सकता है.
देश को शिक्षित बनाने के लिए महिला शिक्षा एक महत्वपूर्ण संसाधन है. हमारे देश की महिला साक्षरता बहुत कम होने के कारण हमारा देश प्रगति नहीं कर पा रहा है.
शिक्षा ही देश के विकास की कुंजी है.हालाँकि हमारे देश में महिला शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है. पर देश के विकास में पुरुषो की शिक्षा भी अनिवार्य है. महिला और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के पहलू है.
हमारे देश में महिला तथा पुरुष दोनों को सामान अवसर मिल रहे है. जब तक दोनों पक्ष शिक्षित नहीं होंगे, तब तक देश का विकास नहीं हो सकता तथा शिक्षा के स्तर में वद्धि नहीं हो सकती है. इसलिए महिला पुरुष दोनों को सामान अवसर मिले. तथा आने वाले कुछ ही सालो में हमारा देश पूर्ण रूप से शिक्षित हो.
हमारे देश को महिला साक्षरता का स्तर बहुत कम है. इसलिए हमारे देश में महिलाओ की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. हमारे देश के उज्जवल भविष्य के लिए महिलाओ का शिक्षित होना सबसे महत्वपूर्ण है.
महिलाओ को शिक्षित बनाकर पूरा देश शिक्षित बनाया जा सकता है. हर व्यक्ति अपनी प्रथम सिख अपनी माता से ही प्राप्त करता है. इसलिए जो माता के संस्कार होंगे. वही संस्कार उसके बच्चे में निखरते है.
बच्चे का बचपन से ही बड़ा टारगेट बनाया जाता है. बचपन से ही बच्चे को माता बड़े बनने को सिखाती है. एक महिला शिक्षित होकर पुरे समाज को शिक्षित बना सकती है. महिला दो घरो को संभालती है.
आज शिक्षा के लिए जो अधिकार पुरुषो को दिए जा रहे है. वह सभी अधिकार महिलाओ को मिलने चाहिए. महिला पुरुष देश के विकास के लिए साइकल के पहियों की तरह कार्य करते है. एक पहिया कुछ भी नहीं कर सकता है. उसी प्रकार देश के विकास में महिला पुरुष दोनों का शिक्षित होना जरुरी है.
शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य नौकरी प्राप्त करना ही नहीं होता है. शिक्षित व्यक्ति हर क्षेत्र में कार्य करने में सक्षम होता है. शिक्षित व्यक्ति देश के अधिकारों के बारे में जानकारी विचार कर सकते है. उस पर टिप्पणी कर सकते है.
समाज के लोगो को उसके बारे में समझा सकते है. आज के ज़माने में लोगो को बेटियों बोझ लगती है. और कल इन्ही बेटियों को शिक्षित बनाये जाये तो सभी को अपनी बेटियों पर गर्व होगा. तथा बेटियों को बोझ समझने वाले व्यक्तियों की आँखे खुल जाती है. महिलाओ की शिक्षा देश को विकास के पथ पर ला खड़ा करती है.
निबंध 3 (400 शब्द)
पौराणिक युग से लेकर आजादी के बाद के समय तक, महिला साक्षरता में बहुत प्रगति हुई है। हालांकि इसका काम अभी भी पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हुआ है। अभी भी महिला साक्षरता की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
भारत विश्व में अन्य देशों के साथ तुलना में महिला साक्षरता में पिछड़ रहा है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन समाज में विभिन्न पाबंदियों और रूढ़िवादी विचारधाराओं की वजह से महिलाओं की शिक्षा पर बाधाएँ आई हैं।
महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए हमें समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति प्रेरित करना होगा। ऐसा करके हम महिलाओं को समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद कर सकते हैं।
भारत सरकार ने महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे कि सर्व शिक्षा अभियान, इंदिरा महिला योजना, बालिका समृद्धि योजना, राष्ट्रीय महिला कोष, महिला समृद्धि योजना, रोजगार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र, आदि। ये योजनाएं महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का भी अवसर प्रदान करती हैं।
महिला शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारणों में कुपोषण, उचित आहार की कमी, नाबालिग उम्र में यौन उत्पीड़न, आर्थिक समस्याएँ, सामाजिक पाबंदियाँ, और शिक्षा के अधिकारों की अवगति की कमी शामिल हैं।
सर्व शिक्षा अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। इसके अंतर्गत, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने का सरकार द्वारा अवसर दिया जाता है। यह योजना शिक्षा को सभी वर्गों और क्षेत्रों में पहुंचाने का लक्ष्य रखती है।
महिला शिक्षा को बढाने के लिए हमें अपने ही समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए, महिलाओं को उनके अधिकारों तथा उनके लिए बने कानूनों का लाभ लेने के लिए उन्हें प्रेरित करना चाहिए, और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठाना चाहिए। इससे महिलाएं समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सकेंगी।
भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आदर का भाव प्राचीन काल से ही बना रहा है। महिलाओं को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त करवाने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है।
आजादी के बाद से, विशेष रूप से पिछले दो-ढाई दशकों में केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए गए सतत साक्षरता अभियान और 6 से 14 वर्ष के सभी बालक-बालिकाओं के लिए प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता ने महिला शिक्षा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रमों में भी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इतिहास में देखा जाता है कि वैदिक और उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषों के समान शिक्षा ग्रहण का अधिकार प्राप्त था। कतिपय विदुषी नारियां जैसे गार्गी, मैत्रेयी, लोपमुद्रा ने स्त्री शिक्षा के उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जिनका उल्लेख प्राचीनतम साक्ष्यों में मिलता है।
बौद्ध काल में भी स्त्रियों को संघ में प्रवेश और शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था। उसके बाद के काल में विदेशी आक्रमणों ने स्त्री सुरक्षा के मामले में स्त्री शिक्षा की महत्वपूर्णता को बढ़ा दिया और उन्हें समाजिक बंधनों में बंद दिया।
आधुनिक काल में भारत में सामाजिक नवजागरण के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था को नया दिशा देने का संघर्ष चलता रहा। राजा राममोहन राय, स्वामी द्यानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारकों ने स्त्रियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी और बालिका शिक्षा के लिए विद्यालय स्थापित किए।
1904 में एनी बेसेंट ने बनारस में केंद्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय की स्थापना की। स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान में सभी जाति, धर्म और सम्प्रदाय की महिलाओं को समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।
राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने में शिक्षित महिलाओं ने अपने पूरे सामर्थ्य को प्रदर्शित किया है। विभिन्न क्षेत्रों में जैसे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनीकी, विज्ञान, खेल, प्रबंधन, भूगर्भ, विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, राजनीति और समाज सेवा में महिलाएं अपने योगदान से महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कर रही हैं।
भारत सरकार ने बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित शिक्षण संस्थान भी हैं। आज बालिका शिक्षा का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है और महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों से आगे निकल रही हैं।
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