दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi: आज के निबंध में आज हम दिवाली/दीपावली पर छोटा बड़ा भाषण स्पीच अनुच्छेद स्टूडेंट्स kids के लिए शेयर कर रहे हैं. कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 के बच्चों के लिए शोर्ट लॉन्ग दिवाली निबंध 2024 यहाँ विभिन्न शब्द सीमा में दिया गया हैं.
दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi (100 Words)
भारत को उत्सवों एवं पर्वों का देश भी कहा जाता हैं. होली, ईद, क्रिसमस की तरह दिवाली भी भारत का सबसे बड़ा त्योहार हैं. यह कार्तिक माह की अमावस्या की रात्रि को मनाया जाता हैं. यह दीपों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता हैं.
यह पर्व असत्य पर सत्य, अन्धकार पर प्रकाश तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम का अयोध्या में आगमन हुआ था. तब अयोध्या के लोगों ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया था.
उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम हर साल दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.
दीपोत्सव हम सभी के लिए उत्साह भरा त्योहार है, यह साल में कार्तिक माह में मनाया जाट है, यह पर्व हिन्दुओ क लिए विशेष पर्व है, अहम सभी इसे मिलकर ख़ुशी के साथ सिलिब्रेट करते है.
हम सभी दिवाली को प्रदुषण मुक्त बनाकर अपने देश को तथा अन्य त्योहारों पर सभी को प्रदुषण कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है. हमारे देश में खासकर दिल्ली के क्षेत्र में आज प्रदुषण के कारण वहा जीवन यापन करना भी मुश्किल हो रहा है.
दीवाली पर 10 वाक्य 10 Line Diwali In Hindi
- दिवाली हिन्दुओं का पवित्र त्योहार है जिसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता हैं.
- यह पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं.
- दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता हैं.
- लक्ष्मी पूजा, पटाखे, स्वादिष्ट व्यंजन दिवाली के मुख्य लक्षण हैं.
- भगवान राम इसी दिन रावण को मारकर सीता के साथ अयोध्या आए थे.
- दिवाली भारत में ही नहीं बल्कि दुनियां के लगभग सभी बड़े देशों में यह पर्व मनाया जाता हैं.
- दिवाली को विजय का प्रतीक माना जाता है.
- दिवाली के दिन घरो को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
- दिवाली का पर्व हमारे लिए काफी महत्व रखता है.
- इस बार दिवाली 2024 में 31 अक्टूबर यानि गुरुवार को मनाई जाएगी.
भारत में अनेक धर्म के लोग रहते है. जो समय समय पर कोई न कोई पर्व मनाते है. उन्ही में से एक पर्व है. जिसका नाम है. दीपावली या जिसे हम साधारण भाषा में दिवाली भी कहते है. ये हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है.
दीपावली हिन्दूओ द्वारा शुरू किया गया पर्व है. जिसकी शुरुआत रामायण काल में की गई थी. जब राम ने लंकापति रावण को मारा था. उसकी ख़ुशी में दीपक जलाकर लोगो ने राम का स्वागत किया जिसे हम आज दीपावली पर्व के रूप में मनाते है.
इस पर्व को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. न केवल ये वह रोशनी है, जो दीपक से बिखेरी जाती है. पर इसका प्रतीक ये है. कि रात के घोर अँधेरे में भी दीपक अपना प्रभुत्व दिखाकर सभी को उजागर कर सकता है.
अर्थात झूठ या अन्याय कितना भी शक्तिशाली हो सत्य और न्याय के सामने नहीं टिक सकता है. हमेशा सत्य की जीत होती है. इस पर्व पर माँ दुर्गा के अवतार माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
ये पर्व हमारे लिए बड़ा ही मनोहर होता है. जो सभी को अच्छा लगता है. इस पर्व का सभी को बेसब्री से इन्तजार रहता है.चाहे बूढ़े हो या बच्चे सभी इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है.
ये त्योहार हमारे लिए सभी गम को भुलाकर नए यादे दिलाता है. तथा नई उम्मीद के साथ एक नया जीवन देता है. तथा हमें खुशहाल कर देता है. इस पर्व को हम लाखो सालो से मनाते आ रहे है. ये पर्व प्रेम भाईचारे को बढाता है.
Short Essay 200-250 Words
भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश हैं जहाँ विश्व के सभी धर्म, पंथ और मजहब के लोग निवास करते हैं. भारत में सर्वाधिक जनसंख्या हिन्दू धर्म की हैं. हिन्दुओं के कई त्योहार है जिनमें होली, दीपावली, रक्षाबन्धन तथा दशहरा मुख्य पर्व माने गये हैं. दिवाली को दीपों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता हैं.
प्राचीनकाल से यह पर्व मनाया जाता रहा हैं, इसे मनाने के पीछे प्रमुख कथा रामायण से जुडी हुई हैं जिसके अनुसार सीता हरण के बाद राम सीता की तलाश में जाते हैं.
विजयादशमी के दिन रावण का वध कर वे सीता समेत कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पहुँचते हैं. वहां की जनता अपने राजा का स्वागत घी के दिए जला कर करती हैं. इस तरह से यह दीपों का त्योहार बन गया जिसे हर हिन्दू प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाता हैं.
बच्चें बूढ़े बालक स्त्रियाँ सभी आयु के लोग दिवाली पर्व को मनाते हैं. भारत में इस पर्व के मौके पर लम्बी सरकारी छुट्टियाँ भी रहती हैं जिससे नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं.
अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह पर्व अक्टूबर अथवा नवम्बर माह में पड़ता हैं. इसके आगमन से कई दिन पूर्व से ही लोग घर की साफ़ सफाई रंग रोगन तथा खरीददारी में लग जाते हैं.
दिवाली की शाम को घर घर घी के दिए लाइट आदि से जगमगाहट की जाती हैं. शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी, श्रीगणेश तथा सरस्वती जी की पूजा आराधना कर सुख सम्रद्धि की कामना की जाती हैं.
Dipawali Essay Class 5,6,7,8 स्टूडेंट्स इन 500 Words
भारत विविधताओं से भरा देश हैं जहाँ विभिन्न धर्म, संस्कृति तथा भाषाभाषी लोग निवास करते हैं, सभी समुदायों के अपने अपने त्योहार हैं जिन्हें लोग मिलकर मनाते हैं.
दिवाली हिन्दू धर्म मानने वालों का सबसे बड़ा उत्सव हैं. जिसे भारत के साथ ही दुनिया भर में जहा भारतीय रहते हैं वहां धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाते हैं.
दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत आश्विन नवरात्र से ही हो जाती हैं. दशहरे के 20 वें दिन कार्तिक अमावस्या की रात को यह पर्व मनाया जाता हैं जो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवम्बर माह में पड़ता हैं.
दीपावली को कृषि पर्व भी कहा जाता हैं. कृषक अपनी खरीफ की फसल को काटने के बाद शरद ऋतु से पूर्व अपने आराध्य ईश्वर को धन्यवाद देते हैं.
इस उत्सव को जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं जितने कि हिन्दू. जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी को इसी दिन मोक्ष मिला था इस घटना को जैनी क्षमा दिवस के रूप में मनाते है.
इसके अतिरिक सिख धर्म में भी दिवाली के दिन का ऐतिहासिक महत्व हैं इस दिन छठे सिख गुरु हर गोबिंद जी को मुगलों ने रिहा किया था, अतः सिख लोग इसे बंदी छोड़ पर्व के रूप में भी मनाते हैं.
हिन्दू धर्म की कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि जब रावण सीता का हरण का लंका ले गया तो भगवान राम ने लंका की चढ़ाई की और दशहरा के दिन रावण का वध कर सीता के साथ अयोध्या रवाना हुए थे.
माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या की रात को ही प्रभु राम सरयू के तट अयोध्या पहुंचे थे. अपने प्रिय राम के आगमन पर वहां के निवासियों ने घी के दिए जलाए तथा खुशियों के साथ राम को गले लगाया.
दिवाली की रात धन दात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान हैं. सुख सम्पदा के लिए लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती तथा गणपति का भी पूजन किया जाता हैं. इस रात को घर में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को पावन पर्व की बधाई के साथ उपहार भी आदान प्रदान किये जाते हैं.
दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.
दरअसल दिवाली का पर्व एक दिन का न होकर पंचदिवसीय पर्व हैं. इसका प्रथम दिवस धनतेरस के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन कुबेर और धन्वन्तरि का जन्म हुआ था.
मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से धन 13 गुणा बढ़ जाता हैं. इसका दूसरा दिन छोटी दीपावली का होता हैं इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाई थी.
पर्व का तीसरा दिन मुख्य दिन होता हैं इस दिन दिवाली का उत्सव मनाते है तथा पूजा सम्पन्न होती हैं. घर घर घी के दिए जलाकर, पटाखे, फुलझड़ी जलाया उत्सव मनाया जाता हैं.
आज के समय में इको फ्रेंडली अर्थात प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने की बात कही जाती हैं. वर्तमान में मिट्टी के दीपकों का स्थान मोमबत्तियों तथा सजावट की लाइट्स ने ले लिया हैं.
उत्सव का चौथा दिन गौवर्धन पूजा के रूप में मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जी ने इसी दिन इंद्र देव के अहंकार को मिटाकर अपनी अंगुली पर गौवर्धन पर्वत उठाया था. इस तरह इस दिन गायो व बछड़ों की पूजा भी की जाती हैं. दिवाली का पांचवा और आखिरी दिन भैया दूज का होता हैं. इस दिन बहिन भाई के यहाँ जाती हैं.
दीपावली पर निबंध
हमारे देश में प्रतिवर्ष अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं. हिन्दुओं के त्योहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली और होली ये चार प्रमुख त्योहार हैं. इनमें भी दीपावली प्रमुख त्योहार हैं.
इस त्योहार पर लोग दीपकों को पक्तियों में रखकर रौशनी करते हैं. इसलिए हम इसे दिवाली या दीपावली अर्थात दीपकों की पक्तियों को अवली कहते हैं.
मनाने का समय- यह कार्तिक मॉस की अमावस्या को मनाया जाता हैं. यह त्योहार अमावस्या के दो दिन पूर्व पूर्व त्रयोदशी से लेकर इसके दो दिन बाद द्वितीया तक चलता हैं. इस प्रकार यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता हैं.
मनाने का कारण-इस त्योहार के साथ हमारी अनेक ऐतिहासिक तथा धार्मिक परम्पराएं जुड़ी हुई हैं. हिन्दुओं की मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे. उनके आने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने अपने अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
मनाने का समय- यह कार्तिक मॉस की अमावस्या को मनाया जाता हैं. यह त्योहार अमावस्या के दो दिन पूर्व पूर्व त्रयोदशी से लेकर इसके दो दिन बाद द्वितीया तक चलता हैं. इस प्रकार यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता हैं.
मनाने का कारण-इस त्योहार के साथ हमारी अनेक ऐतिहासिक तथा धार्मिक परम्पराएं जुड़ी हुई हैं. हिन्दुओं की मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे. उनके आने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने अपने अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्रमंथन से धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी. जैन धर्म वाले महावीर स्वामी से सम्बन्धित कथा कहते हैं. कुछ लोग इस दिन हनुमान जी की जयंती बताते हैं. मत चाहे जो कुछ भी हो, परन्तु उल्लास आनन्द की दृष्टि से मनाये जाने वाले त्योहारों में यह प्रमुख त्यौहार हैं.
मनाने की विधि- दीपावली से पहले धनतेरस के दिन गृहणियां नयें बर्तन खरीदना शुभ मानती हैं. रूप चौदस को घरों की सजावट कर छोटी दीपावली मनाई जाती हैं. अमावस्या को दीपावली का त्योहार उल्लास से मनाया जाता हैं.
मनाने की विधि- दीपावली से पहले धनतेरस के दिन गृहणियां नयें बर्तन खरीदना शुभ मानती हैं. रूप चौदस को घरों की सजावट कर छोटी दीपावली मनाई जाती हैं. अमावस्या को दीपावली का त्योहार उल्लास से मनाया जाता हैं.
दीपावली के दिन प्रत्येक घर में लक्ष्मी पूजन होता हैं. दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती हैं. लोग गोबर का गोवर्धन बनाकर उसे पूजते हैं. कहते है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर ब्रज की मूसलाधार वर्षा से रक्षा की थी.
इसके बाद भाई दोज का त्योहार मनाते हैं. बहिनें अपने भाइयों के ललाट पर तिलक लगाती हैं. और उन्हें मिठाइयाँ खिलाती हैं. दीपावली के दिन व्यापारी लोग दावत पूजन भी करते हैं. और अपने बहीखाते भी बदलते हैं. इस प्रकार यह त्योहार पांच दिन तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं.
महत्व-हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.
उपसंहार-हिन्दुओं में मनाए जाने वाले त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्व हैं. यह हमारी सांस्कृतिक मंगलेच्चा का प्रतीक हैं. स्वयं गरीबी को झेलते हुए भी भारतवासी बड़े उत्साह के साथ दीपावली का पर्व मनाते हैं. लक्ष्मी पूजा करते है और करते रहेगे.
महत्व-हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.
उपसंहार-हिन्दुओं में मनाए जाने वाले त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्व हैं. यह हमारी सांस्कृतिक मंगलेच्चा का प्रतीक हैं. स्वयं गरीबी को झेलते हुए भी भारतवासी बड़े उत्साह के साथ दीपावली का पर्व मनाते हैं. लक्ष्मी पूजा करते है और करते रहेगे.
निबंध – 4 (1000 शब्द)
परिचय
दीपावली (Deepawali) हिन्दू धर्म का धन, धान्य, सुख, चैन व ऐश्वर्य का त्योहार माना जाता है। सम्पूर्ण देशभर में हिन्दू लोग इसे बड़े धूमधाम के साथ मनाते है. इस त्योहार के अवसर पर कई जगहों पर पौराणिक कथाओ का आयोजन किया जाता है.
दिवाली का त्योहार भारत भर में तथा नेपाल में भी मनाई जाती है. यह त्योहार रोशनी का त्योहार है. दीपक , पटाके तथा फुलझड़िया जलाना इस पर्व की विधि तथा इतिहास में प्रचलित रहा है. इस उत्सव को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
भारत के विभिन्न स्थान पर दिपावली मानाने की वजह
भारत देशभर में विभिन्न राज्यों में दिवाली का त्योहार अपने अलग अलग रूप में तथा मानाने की अलग-अगल वजह होती है। उन में से कुछ प्रमुख निम्नवत् हैं-
माँ लक्ष्मी को कालीमाता का रूप धारण करने के कारण भारत के पूर्वी राज्यों उड़ीसा, बंगाल में इस दिन माँ लक्ष्मी की जगह माँ काली की पूजा अर्चना की जाती है. तथा इस त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता है.
भारत के उत्तरी राज्यों में इस दिवस की अलग ही मान्यता तथा ख़ुशी है, इस दिन पंजाब के अमृतसर में 1577 को स्वर्ण मंदिर की नीव रखी गई थी, जिस कारण इस दिन को याद किया जाता है. साथ ही सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को इस दिन जमानत मिली थी.
पश्चिमी भारत में इस दिन माँ लक्ष्मी गणेशा जी तथा माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. तथा दिवाली पर दीपक जलाए जाते है. देश के अलग अलग क्षेत्रो में अलग अलग रूपों में माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
भारत के दक्षिणी राज्यों में दिवाली के अवसर पर माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. जिस कारण इस दिन को बुराई पर सच्चाई की जीत के प्रतीक के रूप में याद रखते है. यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि राज्यों में इस मान्यता से मनाई जाती है.
विदेश में दिपावली का स्वरूप
नेपाल – भारत देश के साथ ही अन्य कई देशो में यह त्योहार प्रचलित है, यह त्योहार नेपाल में भी मनाया जाता है. जहाँ इस दिन नेपाल में कुत्तो की पूजा की जाती है. तथा रात के समय में दीपक और मोमबतिया जलाई जाती है. तथा इस त्योहार को मनाया जाता है.
इस दिन भारतीय रीती-रिवाजो की तरह ही नेपाली लोग भी एक दुसरे के घर जाते है. तथा भोजन करते है. तथा भाईचारे की मिशल कायम करते है. यह त्योहार आपसी प्रेम का पर्व है.
मलेशिया – भारत देश की तरह ही मलेशिया में रहने वाले हिंदुओं द्वारा इस दिन दीपावली के त्योहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मानते है. इसलिए इस दिन मलेशिया में अधिकारिक तौर पर अवकास रखा जाता है.
सभी सरकारी दफ्तरों में छुट्टी रख दी जाती है. तथा सभी लोग इस दिन दिवाली के त्योहार को मिलकर मानते है. पार्टिया की जाती है. तथा जश्न के साथ यह त्योहार मनाया जाता है. अन्य धर्म के मलेशियाई लोग इस त्योहार के रंग में रंग जाते है, तो इसका अलग ही दृश्य झलकता है.
श्रीलंका – भारत के पडोसी द्वीपीय देश श्रीलंका में रहने वाले हिन्दू लोगो द्वारा दिवाली के त्योहार को बड़े हर्षोल्लास साथ मनाया जाता है. इस दिन वहां के लोग सुबह जल्दी उठकर तेल से स्नान करते है. तथा पूजा पाठ के लिए मंदिरों में जाते है.
इस दिन पूजा अर्चना के साथ ही पकवान भी बनाए जाते है. तथा सभी एक दुसरे के घर भोजन करने जाते है. इस दिन लोगो द्वारा कई खेल खेले जाते है, जिसमे आतिशबाजी, गायन, नृत्य, भोज आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
दिवाली एक भारतीय त्योहार ही नही है. बल्कि यह दुनियाभर में तथा कई धर्मो द्वारा मनाया जाता है. यह एक पवित्र त्योहार है. यह भारत के साथ ही अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर, रीयूनियन, फिजी में रहने वाले हिन्दुओ तथा अन्य लोगो द्वारा मनाया जाता है.
दीपावली (Deepawali) पर ध्यान रखने योग्य बातें
हिन्दू लोग दिवाली के ख़ुशी के अवसर पर पटाके तथा फुलझड़िया जलाकर और दीपक जलाकर अपनी ख़ुशी जाहिर करते है. पर कई बार बच्चो द्वारा अत्यधिक खतरनाक पटाके जलाने से कई प्रकार के नुकसान भी होते है.
इसलिए हमें दिवाली के अवसर पर अच्छी क्वालिटी के तथा कम पटाके ख़रीदे और सुरक्षित तरीके से जलाए. जिससे किसी भी प्रकार की इस शुभ घडी में हानि ना हो. कई बार हमारी लापरवाही बड़े संकट का कारण बन जाती है. कई बार मुंह की त्वचा पटाको की वजह से जल जाती है. इसलिए सावधानी से इस त्योहार को मनाए.
दीपावली (Deepawali)पर अभद्र व्यवहार न करें
दीपावली का त्योहार माँ लक्ष्मी जी का त्योहार होता है. इस त्योहार से पूर्व जिस घरो में साफ सफाई की जाती है. कहा जाता है. धन की देवी उस घर में प्रवेश करती है. जहाँ स्वच्छता होती है. इसलिए लोग घरो की अच्छे से साफ सफाई करते है.
कई लोग इस दिन अपनी गलतियों से बाज नही आते है. तथा जुआ जैसे खेल खेलते है. जिससे इस त्योहार की मान मर्यादा में कमी आती है. इसलिए अपने इस पवित्र त्योहार के दिन ऐसे खेल ना खेलें.
जो हमारे समाज के लिए अच्छा ना हो. क्योकि यह दिन अच्छाई का प्रतीक है. तथा रोशनी यानि नई उम्मीद का पर्व है. इसलिए हमें इस पर्व के अवसर पर जीवन में कुछ नया शुरू करने का प्रयास करना चाहिए, जो हमारे जीवन तथा भविष्य को सुधारने में उपयोगी हो.
अत्यधिक पटाखो का जलाया जाना
दिवाली के दिन हम पटाके जलाते है, यह हमारी परम्परा रही है. तथा हमें अपने ख़ुशी के पालो में पटाके जलाने भी चाहिए, पर एक सीमा तक हमें सिमित रहना चाहिए. क्योकि हम आनंद फानन में ना जाने हजारो पटाके फोड़ देते है.
जिससे कई प्रकार के नुकसान होते है. सबसे बड़ा नुकसान ध्वनि प्रदुषण तथा जीवो में डर का बनना है. कई मासूम जीव पटाको की आवाज से डरते है. जिससे वे दुविधा में पद जाते है. तथा इससे प्रदुषण की मात्रा में वृद्धि होती है. इसलिए पटाके जैसी खतरनाक वस्तुओ का प्रयोग इस शुभ अवसर पर ना के बराबर करना चाहिए.
निष्कर्ष
दिवाली हिन्दुओ का पवित्र पर्व है. यह हमारे लिए ख़ुशी तथा जश्न का समय होता है. इसलिए हमरा कर्तव्य बनता है, कि हम अपनी ख़ुशी के पलो में अन्य किसी जीव-जंतु और अन्य समाज के किसी भी व्यक्ति को हमारे कार्यो से या जश्न से नुकसान ना पहुंचे तथा सभी के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाए. तथा इस दिवस की यादो को बनाए.
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