गरीबी उन्मूलन पर निबंध Essay on poverty Elimination In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत हैं. आज हम गरीबी (निर्धनता/ दरिद्रता) उन्मूलन रोकथाम के उपाय प्रयास व सरकार की योजनाओं पर संक्षिप्त निबंध, भाषण, अनुच्छेद यहाँ बता रहे हैं.
गरीबी उन्मूलन पर निबंध | Essay on poverty Elimination In Hindi
गरीबी निवारण के उपाय (Poverty prevention measures)
- रोजगार उत्पन्न करना- इसके लिए बड़े उद्योग के स्थान पर लघु व कुटीर उद्योग तथा कृषि रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता हैं.
- वितरणात्मक न्याय- धन सम्पति के उत्पादन के साथ ही उसका बंटवारा भी सभी वर्गों में समान रूप से होना चाहिए.
- आदमी भूमि स्वामित्व- प्रति व्यक्ति भू स्वामित्व दिन पर दिन कम होता जा रहा है. अतः विकसित तकनीकों के द्वारा उत्पादन को बढ़ाया जाना चाहिए जिससे कृषि क्षेत्र में बेरोजगारी पर नियंत्रण करके गरीबी को रोका जा सके.
- जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना
- काले धन को समाप्त करना- वर्तमान भारत में यह सामाजिक समस्या देश व्यापी बहस का विषय बन चुकी हैं. काला धन वैद्य या अवैध साधनों से जुटाई ऐसी सम्पत्ति या आय है जिसे कर से बचाने हेतु छुपाया जाता हैं. एक अनुमान के अनुसार विदेशों में जमा काला धन वापिस भारत में लाकर इसे आधार भूत सुविधाओं के विस्तार व अर्थव्यवस्था में शामिल किया जाए तो भारत में उच्च विकास की दर हासिल की जा सकती हैं. फलतः रोजगार में वृद्धि होगी तो स्वतः गरीबी दूर हो सकती हैं.
- योजनाओं का विकेन्द्रीकरण और उनका सफल क्रियान्वयन विभिन्न सरकारी योजनाओं को बनाने व रोजगार देने का कार्य ग्राम पंचायतों व नगरपालिकाओं / नगर परिषदों को सौपना चाहिए.
- नरेगा जैसा कार्यक्रम शहरी क्षेत्रों में भी लागू किया जाए.
- अन्य उपाय- समयबद्ध परिणामोन्मुखी कार्य योजना बनाना, अनावश्यक सरकारी खर्चों में कटौती करना, अवधि ऋणदायी संस्थाओं को प्रोत्साहन देना, सार्वजनिक कल्याण कार्यों में सलंग्न स्वयंसेवी संगठनों को धन उपलब्ध करवाना, युवकों को कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय जैसे तकनीकी क्षेत्र हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना.
- महिला आत्मनिर्भरता केंद्रित कार्यक्रमों को ठीक से लागू करना व आगे बढ़ाना, ऐसे अधिकारियों व विशेष्यज्ञों की टीम बनाई जाए जो कार्योंमुखी प्रोग्राम को समर्पित हो, एनजीओ की सहायता लेना आदि.
गरीबी उन्मूलन की विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम (Various schemes and programs for poverty alleviation)
गरीबी उन्मूलन से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत स्पष्ट किया जा सकता हैं.
- पंचवर्षीय योजनाएं
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम
- राष्ट्रीयकरण
- गरीबी उन्मूलन का बीस सूत्री कार्यक्रम
- अन्य विविध योजनाएं
वर्ष 1950 में योजना आयोग का गठन हुआ जिसका अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता हैं. योजना आयोग का मुख्य कार्य देश की आवश्यकताओं एवं साधनों का व्यापक सर्वेक्षण करके पंचवर्षीय योजनाएं बनाना हैं.
प्रथम पंचवार्षिक योजना 1951 में बनी थी और दसवीं पंचवर्षीय योजना 2007 में समाप्त हो गई. इन योजनाओं में गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को बुनियादी उद्देश्य के रूप में स्थान दिया गया.
1970 के पूर्व तक भारत सरकार चौथी योजना तक कृषि एवं उद्योग में आधारभूत विकास का लक्ष्य रखा था जिससे समेकित विकास पंचवर्षीय योजनाअंतर्गत गरीबी उन्मूलन, बेरोजगारी, आय की असमानता, निर्धनता, रोजगार एवं उत्पादकता में वृद्धि, जनसंख्या नियंत्रण एवं सबके लिए स्वास्थ्य शिक्षा जैसे मुद्दे के रूप में स्वीकार किया.
इन योजनाओं के अंतर्गत सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए प्रायः सभी संभव कदम उठाने का प्रयास किया था. इसी प्रकार दसवीं पंचवर्षीय योजना 2007 तक गरीबी को 26 प्रतिशत से घटाकर 21 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया जबकि 11 वीं योजना का लक्ष्य गरीबी को 16 प्रतिशत तक लाना हैं.
भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए चलाए गये सामुदायिक विकास कार्यक्रम 1952 अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं.
इसके अंतर्गत सामुदायिक विकास योजनाएं, सघन कृषि कार्यक्रम, उन्नत खाद, बीजों एवं तकनीक के प्रयोग पर बल, आदिवासी विकास कार्यक्रम, ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम आदि तमाम ऐसे कार्यक्रम शामिल किये गये है जो गरीबी उन्मूलन की दिशा में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं.
भारत में राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया 1969 में प्रारम्भ हुई, इस क्रम में सबसे पहले 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. गरीबी हटाओ नारे को क्रियान्वित करने के लिए राष्ट्रीयकरण की निति अपनाई गई.
1972-73 में कोयले की खानों का तथा खाद्यान्न के थोक व्यापार का राष्ट्रीयकरण किया गया. नवीनीकरण में सहायता की. राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य निर्धन लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा लाना था, लेकिन स्थिति को कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया.
निर्धनता तथा आर्थिक शोषण को समाप्त करने तथा समाज के कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने के उद्देश्य से जुलाई 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बीस सूत्री कार्यक्रम घोषित किया. इस कार्यक्रम के पांच महत्वपूर्ण लक्ष्य थे.
- मूल्यवृद्धि को नियंत्रित करना
- उत्पादन प्रोत्साहन
- ग्रामीण जनकल्याण
- नगरीय मध्यमवर्ग को राहत
- आर्थिक एवं सामाजिक अपराधों पर रोक
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बीस सूत्री कार्यक्रम में सम्मिलित प्रावधान इस प्रकार थे. सिंचाई क्षमता में वृद्धि, ग्रामीण रोजगार के लिए उत्पादन में वृद्धि, अधिशेष भूमि का वितरण, कृषि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, बंधुआ मजदूरों का पुनर्वास.
अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों का विकास, आवासीय सुविधाओं का विकास, विद्युत् उत्पादन में वृद्धि, परिवार नियोजन, वृक्षारोपण, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, स्त्रियों और बच्चों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम, प्राथमिक शिक्षा का विस्तार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सशक्त करना, औद्योगिक नीतियों का सरलीकरण, कालेधन पर नियंत्रण, पेयजल सुविधाओं में सुधार और आंतरिक संसाधनों का विकास.
बीस सूत्री कार्यक्रम को 1986 में संशोधित रूप से लागू किया गया. नवीन बीस सूत्री कार्यक्रम में निर्धनता उन्मूलन, उत्पादन में वृद्धि, आय की असमानता में कमी, सामाजिक और आर्थिक विषमता को दूर करना और जीवन स्तर में सुधार जैसे मुद्दों को लक्ष्य बनाया गया.
नवीन बीस सूत्री कार्यक्रम भी निर्धारित उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सका. इस असंतोष का कारण राज्य और केंद्र सरकारों ने विकास के अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किये.
भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों के पारस्परिक सहयोग से अन्य कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ताकि गरीबों की आर्थिक सामाजिक तथा शैक्षिक स्थिति में गुणात्मक सुधार लाया जा सके.
इन योजनाओं तथा कार्यक्रमों में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, सरस्वती योजना, द्र्वाकरा तथा निशुल्क शिक्षा जैसे कार्य शामिल हैं. इस दिशा में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम नरेगा कार्यक्रम भी सरकार का सराहनीय प्रयास रहा हैं.
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