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गणेशोत्सव पर निबंध Essay on Ganesh Utsav in Hindi


गणेशोत्सव पर निबंध Essay on Ganesh Utsav in Hindi 
गणेशोत्सव पर निबंध Essay on Ganesh Utsav in Hindi

गणेश को सबसे पवित्र तथा सबसे अग्रणी देवता माना जाता है. हर कार्य की शुरुआत से पूर्व गणेश  पूजा की जाती है. इस प्रकार गणेश का हर शुभ कार्य में विशेष स्थान है.

भगवान गणेश हिन्दुओ के प्रमुख देवता है. भगवान गणेश के जन्मदिन के अवसर पर साल भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. ये गणेश के जन्मदिन का अवसर है.

गणेश जी की पूजा केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य सभी धर्म के लोग भी करते है. नेपाल श्रीलंका तथा तिब्बत सहित अनेक देशो में गणेश पूजा की जाती है.

भगवान गणेश के इस पर्व को मानाने के लिए आज हम स्वतंत्र है. और आज ये हिन्दुओ के लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, पर ये त्यौहार अंग्रेजो के समय में मानाने के लिए अनुमति प्रदान नहीं कर सका.

इस पर्व को मानाने के लिए बल गंगाधर तिलक ने अनेक प्रयास किये. जिसमे परिणामस्वरूप इस त्यौहार को मनाया जाने लगा. इस त्यौहार को अंग्रेजो ने प्रतिबंधित कर दिया.

इस त्यौहार को मानाने के लिए पहला प्रयास तिलक ने किया. इस प्रयास में उन्होंने महाराष्ट्र के गाँवो में सभी को गणेश समूह बनाने के लिए प्रेरित किया. इनका प्रमुख उदेश्य अंग्रेजो के खिलाफ सभा करना था.

तिलक के लम्बे प्रयास के बाद इस त्यौहार को मानाने के लिए सभी एकत्रित हुए. ओर इस त्यौहार की शुरुआत की. गणेश के इस जन्मदिन की शुरुआत के बाद हर साल हम इस पर्व को मनाते है.

भगवान गणेश का जन्म गवरी और भगवान शिव के घर हुआ. इसलिए गणेश को गवरिपुत्र कहते है. गणेश बचपन से ही तेजस्वी तथा चंचल थे. जो इनकी पहचान था.

गणेश के गज का शिर होने के कारण इन्हें गजानंद कहते है. हाथी के शिर को धारण के करने से लेकर कई मान्यता प्रचलित है. जिसमे एक मान्यता के अनुसार माता पार्वती गणेश को बहार खड़ा कर खुद स्नान करने के लिए गई हुई थी.

उसी समय शिवजी आते है. लेकिन गणेश जी अपने वचन का पालना करते हुए. शिव जी घर में जाने से मन कर देते है. इसी समय शिवजी खुद को क्रोध नियंत्रण नहीं कर पाते है. और गणेश जी का शिर काट देते है.

दूसरी मान्यता के अनुसार जब भी पहली बार शनिदेव किसी भी बच्चे को देखते है, तो उसका शिर भस्म हो जाता है. लेकिन पार्वती इस बात से अनजान थी. उसने शनिदेव से दृढ इच्छा जाहिर की. ओर गणेश को देखने के लिए कहा.

पार्वती ने शनि को गणेश का दर्शन करवाया और गणेशा का शिर धड से अलग हो गया. माता पार्वती इस चमत्कार को देखकर पागल सी हो गई. और विष्णु भगवान से प्रार्थना करने लगी.

पार्वती की दृढ इच्छा के आगे विष्णु ने कुछ सैनिको को भेजा और आदेश दिया. जो सबसे पहले आको मिले उसका शिर काट ले आना. वचन के अनुसार सैनिको को सबसे हाथी मिला. और सैनिक उसका शिर कर ले आए.

इस घटना के बाद से गणेश जी के धड पर हाथी का शिर मौजूद था. गणेश के लम्बे पेट के कारण इन्हें लम्बोदर कहा जाता था.

माता पार्वती ने गणेश की प्राप्ति के लिए कई यज्ञ किये. लम्बी तपस्या के बाद गणेश की प्राप्ति हुई. लेकिन गणेश का जन्म पार्वती के अवतार गवरी के पेट से हुआ.

गणेश का जन्म भाद्रपद की शुक्ला चतुर्थी को हुआ. इसी दिन को हम हर साल गणेश चतुर्थी मनाते है. इस अवसर पर लोग सभी गणेश की पूजा अर्चना करते है.

गणेश के इस पर्व पर महिलाओ द्वारा गणेश की एक विशाल प्रतिमा बनाई जाती है. जिसे नजदीकी नदी में प्रवाहित किया जाता है. तथा गणपति बाप मोरिया जैसे गीत गाकर गणेशा के जन्मदिन की ख़ुशी व्यक्त करते है.

मान्यताओ के अनुसार गणेशा का जन्म वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था. इस पर्व पर भारत के अनेक स्थानों पर इस पर्व का मेला भरता है. जहा गणेश की पूजा की जाती है. तथा लोग गणेश का रूप धारण कर मनोरंजन करते है.

इस दिन गणेश की एक विशाल यात्रा निकलती है. जिसमे महिलाए मधुर-मधुर गीत गाती है. तथा लोग नृत्य करते है. और गणेशा की मूर्ति को शिर पर रखकर चलते है.

इस यात्रा को नदी या समुद्र तक समाप्त कर देते है. जहा गणेशा की प्रतिमाँ को नदी में स्थापित कर देते है. तथा सभी हंसते गाते नाचते इस पर्व की ख़ुशी मनाते है.

गणेश के इस पर्व को लगातार दश दिन तक मनाया जाता है. और सभी गणेश की पूजा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है. 

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