मेरा प्रिय नेता पर निबंध Mera priya neta essay in hindi [My favourite leader]: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ. आज आपके लिए मेरे पसंदीदा नेता पर निबंध (mera priya neta nibandh hindi) भाषण लेख अनुच्छेद यहाँ सरल भाषा में बता रहे हैं.
एक श्रेष्ठ नेता वो होता है. जो देश का भली भनति नेतृत्व करता है. तथा देश के हित में कार्य करता है. देश को एकता के बंधन में बांधे रखता है. मैंने जीवन में अनेक नेता देखे है.
मेरा प्रिय नेता पर निबंध Mera Priya Neta Essay In Hindi
नेता का तात्पर्य नेतृत्व क्षमता से युक्त व्यक्ति जो सर्वमान्य तो होता ही है साथ ही उसमें सभी को साथ लेकर चलने की काबिलियत भी होती हैं. एक सफल नेता के लिए अच्छा वक्ता होना भी अहम गुण माना जाता है तभी वह अपनी बात उसी रूप में दूसरों तक पहुंचा पाता हैं.
समाज के सभी वर्गों की स्वीकार्यता एवं ईमानदार छवि भी एक नेता के लिए अनिवार्य शर्त मानी जाती हैं. यदि हम सफल नेता की इन सभी कसौटियों पर आज के हमारे नेतृत्व को परखे तो सम्भवतः कुछ ही नाम सामने आएगे, जिनमें एक नेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हैं. जो मेरे सबसे प्रिय नेता हैं.
आम लोगों की भीड़ से निकला एक नवयुवक जिसनें पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता के रूप में ईमानदारी से काम करते हुए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की दूसरी बार कमान संभाली वो व्यक्तित्व कोई आम हो ही नहीं सकता.
प्रखर राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रेत ने भले ही रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर अपना आरम्भिक जीवन शुरू किया मगर अपने लक्ष्य हमेशा ऊँचे ही रखे. आज भी वो तस्वीर आँखों के समक्ष आ जाती है.
जब एक शेर की भांति 90 के दशक में माननीय मोदीजी ने कट्टरपंथियों के गिरफ्त में श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराकर राष्ट्र द्रोहियों को चुनौती दी थी कि अपनी माँ का दूध पिया हो तो रोक लो.
इंसान अपने विचारों और कर्मों से जाना जाता हैं. एक जनप्रिय नेता के रूप में नरेंद्र मोदी जितने उच्च विचारों के धनी है उतने ही कार्यकुशल, कर्मठ और मेहनती भी हैं. भारत ही नहीं विश्व की राजनीति के इतिहास में ऐसा कोई चमत्कारी राजनेता नहीं हुआ होगा जिसने एक दशक तक एकछत्र राज किया हो.
लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार कहे जाने वाले चुनावों में जनता को हर प्रत्याशी में नरेंद्र मोदी दिखना अपने आप में विलक्षण भावना थी, अपने नेता के प्रति जनता का इतना अटूट भरोसा सम्भवतः कभी नहीं रहा होगा.
हाल ही के दिनों में अख़बार में खबर छपी थी कि तमिलनाडू के एक किसान ने नरेंद्र मोदी का मन्दिर बनाकर उसमें वह रोजाना मोदीजी की पूजा करता हैं. किसी इंसान के प्रति भक्ति एवं अटूट श्रद्धा का भाव करोड़ो भारतीयों में आज भी देखा जा सकता हैं.
17 सितंबर 1950 को बडनगर में जन्में मोदीजी बचपन में स्कूल से आने के बाद तथा छुट्टी के दिन भाई के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. धर्म के प्रति इनका गहरा लगाव बचपन से ही था.
जब ये 17 वर्ष के थे तो इन्होने घर छोड़कर हिमालय चले गये तथा दो वर्षों तक वहीँ रहे. मोदीजी जब लौटकर आए तो उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन की तथा इसी समय वे आरएसएस से भी जुड़े.
युवावस्था में मोदीजी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विभिन्न छात्र संगठनों से जुड़े रहे. इसके बाद ये भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और 2001 में राज्य के मुख्यमंत्री भी बने. हिन्दू मुस्लिम दंगे भी इसी वर्ष हुए इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा.
जनता का उनके प्रति अटूट भरोसा तब भी था इसलिए तमाम आरोप प्रत्यारोप के बाद भी मोदीजी दुबारा चुन कर आए और लगातार तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए एक नयें विकास मॉडल को प्रस्तुत किया, जो बाद में गुजरात विकास मॉडल के रूप में देशभर में चर्चित रहा.
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जीवन कोई संयोग नहीं बल्कि कठिनाइयों से भरा था. एक कर्मयोगी की भांति अपने काम और भविष्य की योजनाओं के दम पर उन्होंने सदैव जनहित के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया.
जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार चुना तो भारतीय राजनीति के नयें दौर की शुरुआत मानो तभी हो गई. हर हर मोदी, घर घर मोदी, अच्छे दिन आने वाले है.
जैसे जनप्रिय स्लो गन लोगों के जेहन में उतर गये थे. नयें तरीके से चुनाव प्रचार देश में ऐसा चला कि अच्छे अच्छे राजनीति के पंडित और उनका अनुभव व भविष्यवानियाँ धरी की धरी रह गई.
इस तरह मोदीजी ने 2014 में भारी बहुमत के साथ एनडीए घटक दलों के साथ सरकार बनाई. ये देश के 15 वें प्रधानमंत्री बने. मोदीजी की एक खूबी मुझे बेहद प्रिय है वह है.
उनका साहस, कभी भी कड़े निर्णय लेने से वे न तो घबराते है और ना ही निर्णय लेने के बाद पीछे हटते हैं. 2014 के चुनावों में उनका सीधा मुकाबला 60 वर्षों तक भारत पर शासन करने वाले सत्ताधारी परिवार से था.
मगर जनता के प्रति उनके भरोसे और स्वच्छ छवि ने कांग्रेस को बिना लड़े ही परास्त कर दिया. उनकी जीत का एक बड़ा कारण उनकी भाषण शैली व व्यक्तित्व भी हैं. वे सदैव हिंदी में भाषण देते है.
देश के करोड़ों लोगों को यह अपनेपन का एहसास दिलाता हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के बाद हिंदी भाषी दूसरे प्रधानमंत्री मोदीजी ही हैं जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी का मान बढ़ाया जो हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय हैं.
आमजन की संवेदना, संस्कार, कार्यकुशलता और सुझबुझ में नरेंद्र मोदी जैसा नेता आज के भारत में दूसरा नहीं हैं. गैर राजनीतिक परिपाटी से जब पहली बार प्रधानमंत्री बनकर संसद पहुंचे तो झुककर लोकतंत्र के मन्दिर को प्रणाम करना राजनेताओं के लिए प्रेरणा का पल था.
उनके पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री रहते देश में कई बड़े कार्य हुए स्वच्छता और अर्थव्यवस्था की बंधकों की मुक्ति तथा डिजिटल भारत के लिए कई योजनाएं चलाई गई.
गरीबो के लिए बिजली, घर, गैस कनेक्शन किसानों के लिए सम्मान निधि, छात्रों के लिए स्कोलरशिप, वृद्धों के लिए पेंशन इस तरह समाज के सभी वर्गों को अपनी योजनाओं का लाभार्थी बनाया.
नरेंद्र मोदीजी के कार्यों की बदौलत अधिकतर राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को एक तरफा जीत मिली. सम्भवतः यह पार्टी को वह फल मिला जो पुण्य कर्म उन्होंने मोदीजी को 2014 में अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाकर किया था.
लोकसभा चुनाव 2019 जब पूरे विश्व की नजर भारत के चुनाव परिणामो पर नजर थी. हुआ वही जो भारत को मंजूर था नरेंद्र मोदी भारी बहुमत के साथ दूसरी बार चुनकर आए.
दूसरी बार प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने उन पुराने विवादों को निपटाने का काम किया जो दशकों से अटके थे तथा जिसके कारण भारतीय अक्सर उदास रहा करते थे.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए को हटाना, तीन तलाक निषेध, राम मंदिर और नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे कठोर कदम एक साहसी नेता ही उठा सकता हैं.
महज छः महीनों में जिन्होंने न केवल घर की समस्याओं को सुलझाया बल्कि पाकिस्तान और उसके आतंकवाद को भी धराशायी कर डाला.
विश्व के अनगिनत देशों के सर्वोच्च सम्मान मिले हो या कई पत्रिकाओं ने उन्हें विश्व के सबसे लोकप्रिय व्यक्ति का खिताब दिया हो उनके लिए आज भी भारत के गरीब, मजदूर, किसान और छात्रों और सैनिक उनकी प्रथम प्राथमिकता हैं. बदले में उन्हें भारत की जनता ने जो स्नेह प्रदान किया है वो सभी के जीवन में नसीब नहीं होता हैं.
मेरे प्रिय नेता ही नहीं नरेंद्र मोदी सम्पूर्ण भारत को प्रिय हैं. उनके एक कथन पर लाखों लोग फ्री की सब्सिडी छोड़ देते है, उनके सम्मान में प्रत्येक भारतीय हाथ में झाड़ू उठा लेता हैं.
एक महीने तक एटीएम की कतारों में खड़ा रहने वाला हरेक युवा मोदीजी को अपना प्रिय एवं आदर्श नेता मानता हैं. भगवान से प्रार्थना है उन्हें स्वस्थ एवं दीर्घायु बनाएं मोदीजी से अपेक्षा है कि वे भारत की अपेक्षा पर खरा उतरने का प्रयास करे.
मेरा प्रिय नेता सुभाषचंद्र बोस पर निबंध My favourite leader Subhas Chandra Bose Essay in Hindi
मै सुभाष चन्द्र बोस को मेरा प्रिय नेता मानता हूँ, क्योकि मै उनके नेतृत्व और उनकी क्षमताओं से भली भांति परिचित हूँ. नेताजी ने जीवनभर देश की आजादी के लिए जंग लड़ी. आज के समय में हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है.
इस समय नेता देश का नेतृत्व सही ढंग से नै कर पाते है. धन्य है. मेरे नेता सुभाष चन्द्र को जिन्होंने गुलामी के उस दौर में भी देश के लिए कई संघटन बनाए. और उनका नेतृत्व कर सभी भारतीयों को आजादी की नई उम्मीद जगाई.
नेताजी ने अपने संघ के लिए सबकुछ कुर्बान कर दिया था. वे हमेशा अपने देश के लिए सोचते थे. उनका मानना था. कि हमारे देश का हर व्यक्ति आजादी से जीवन व्यापन करें.
इसी में मेरे ख़ुशी है. इसलिए नेताजी ने तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा जैसे वादे किये. और नेताजी के इस वादे से ही अनेक भारतीयों ने खुद बहाया देश के लिए खुद को अर्पण कर दिया. जिसका परिणाम ये रहा हमारा देश जल्द ही आजाद हो गया.
नेताजी एक माहन राष्ट्रभक्त थे. इस बात से आप भली भांति परिचित है. नेताजी हमेशा ब्रिटिश सरकार के विरोध में रहते थे. इसी बीच नेताजी को कई बार सालको के पीछे भी जाना पड़ा पर नेताजी ने कहा गुलामी से जेल ही श्रेष्ठ है.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. नेताजी बचपन से ही देशभक्त थे. केवल नेताजी ही नहीं इनका सम्पूर्ण परिवार भी देश प्रेम के बंधन में बंधा हुआ था.
इनके पिताजी जानकीनाथ एक श्रेष्ठ वकील थे. नेताजी ने अपनी शुरूआती शिक्षा कटक से पूर्ण की उसके बाद प्रेसिडेंट कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की. अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद नेताजी इंगलैंड गए. और आईसीए की परीक्षा को उतीर्ण किया.
अपनी युवा अवस्था में ही नेताजी को गुलामी ये जंजीर पसंद नहीं आई. और उन्होंने अपने जीवन को दुखिग्रस्त जीने की बजाय सुख समृद्ध जीवन जीने की ठान ली. इसके लिए उन्हें जीवन त्याग तक कबूल था.
नेताजी विवेकान्नद से काफी प्रभावित हुए. और उन्होंने उनका अनुसरण कर अंग्रेजो से जंग जारी रखी. नेताजी ने पहली बार देश के लिए असहयोग आन्दोलन में भाग लिया इस आन्दोलन का अंग्रेजो पर काफी प्रभाव देखने को मिला.
अनेक आंदोलनों में भाग लेने के बाद 1930 में नेताजी ने नमक नामक एक आन्दोलन की शुरुआत की. ये आन्दोलन प्रिंस ऑफ़ वेल्स के भारत आने के विरोध में था. इस विरोध का नेतृत्व कर रहे नेताजी को अंग्रेजी सरकार ने छः माह के लिए जेल में डाल दिया.
1939 में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कौंग्रेस के अध्यक्ष बने. पर इस पद को कुछ समय के लिए रखने के बाद नेताजी ने इसे इस्तीफा दे दिया. नेताजी एक स्वतन्त्र नेता थे. जो एक गुलाम देश में जीने की बजाय अपनी धाक जमकर रखते थे.
ये बात अंग्रेजो को हजम नहीं हुई,. इन्होने नेताजी के घर पर नजर रखी. लेकिन नेताजी ने उनकी आँखों में मुन्झते हुए वहा से निकल पड़े और रूस से लेकर जर्मनी जापान और यूरोप से सभी देश से नेताजी ने सहायता की मांग की.
आख़िरकार नेताजी की इस मांग को जापान ने स्वीकार किया. और भारत की सहायता के लिए हाथ बढाया.इस समय भारतीय राष्ट्रीय सेना संघटन का गठन किया जाता है.
भारत आते ही दूसरी बार नेताजी को अध्यक्ष बनाया जाता है. पर नेताजी और गाँधी के मतभेद के कारण नेताजी ने इस पद को इस्तीफा दे दिया.
नेताजी और जापान की फ़ौज द्वारा बनाए गए. संघटन राष्ट्रीय सेना ने उत्तरी पूर्वी भारत पर अधिकार ज़माना शुरू किया. और कई जगहों से अंग्रेजो खदेड़ दिया. इस प्रकार नेताजी की ये टुकड़ी काफी प्रभावित साबित हो रही थी.
लेकिन 18 अगस्त 1945 को विमान में उड़ान भरते समय तकनीकीकरण की समस्या के कारण विमान की दुर्घटना हो गई. और इस दुर्घटना में नेताजी देश के लिए शहीद हो गए.
नेताजी के जीवन से सम्पूर्ण भारतीयों को सिख मिली और सभी ने देश के लिए जंग में भाग लिया. और सभी ने नेताजी को अपना श्रेष्ठ नेता बताया. नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक श्रेष्ठ नेता होने के साथ साथ एक वीर पुरुष थे. नेताजी आज भी हमारे लिए प्रेरणा का साधन है.
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों मेरा प्रिय नेता पर निबंध Mera priya neta essay in hindi [My favourite leader] का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. यह यादाश्त आधारित निबंध है इसलिए कोई तथ्यात्मक त्रुटि हो तो क्षमा करे साथ ही कमेन्ट कर अपनी राय जरुर दे कि यह निबंध आपकों कैसा लगा.