प्रिय लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी पर निबंध Essay On Hazari Prasad Dwivedi in Hindi- नमस्कार दोस्तों आज हम साहित्य के क्षेत्र में सबसे अग्रणी नाम हजारी प्रसाद के जीवन से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे.
हजारी प्रसाद द्विवेदी पर निबंध Essay On Hazari Prasad Dwivedi in Hindi
भारत मे समय-समय पर कई कवि, लेखक तथा साहित्यकार हुए। जिन्होने अपने लघु तथा ललित निबंध लिखकर हमारे देश का गौरव बढाया।
अपने सकारात्मक लेखो तथा अपनी रचनाओ से सम्पूर्ण विश्व मे अपना नाम प्रसिद्ध कर दिया। इस प्रकार के रचनाकारो मे एक नाम भारत के प्रमुख रचनाकर, उपन्यासकार तथा निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी क आता है।
इन्होने अपने लेखन से देश मे अपनी एक अलग पहचान बनाई। हजारी प्रसाद द्विवेदी को खड़ी बोली के प्रथम लेखक माने जाते है। आज का हम लेकर आये है। भारत के महान रचनाकर हजारी प्रसाद द्विवेदी पर एक निबंध प्रस्तुत है।
इन्होने अपने लेखन से देश मे अपनी एक अलग पहचान बनाई। हजारी प्रसाद द्विवेदी को खड़ी बोली के प्रथम लेखक माने जाते है। आज का हम लेकर आये है। भारत के महान रचनाकर हजारी प्रसाद द्विवेदी पर एक निबंध प्रस्तुत है।
Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi
भारत के महान रचनाकर हजारी प्रसाद द्वेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 को हुआ था। इनका जन्म आरतदुबे का छपरा बलिया (उतरप्रदेश) मे एक मध्यम वर्ग के परिवार मे हुआ था।
हजारी प्रसाद द्विवेदी पिता का नाम अनमोल द्विवेदी तथा माता ज्योतिष्मति के घर मे जन्म हुआ था। इनके पिता संस्कृत के विख्यात प्रकांड पंडित थे।
भारतीय महान रचनाकर हजारी प्रसाद द्विवेदी का बचपन का नाम वैध्यनाथ था। इन्हे साहित्य के आदिकाल के नाम से भी जानते है। इनका परिवार ज्योतिष पढ़ते थे.
हजारी प्रसाद द्वेदी के पूर्वज दो वेदो के ज्ञाता थे। इसलिए इनके नाम के पीछे द्विवेदी लिखा जाता है। जिसका अर्थ होता है। दो वेदो का जानकार हजारी प्रसाद द्वेदी बचपन से ही किताबे पढ़ने तथा लेखन का कार्य करने की रुचि रखते थे। वे बचपन से ही नई-नई किताबों को पढ़ते थे।
शिक्षा - हज़ारीप्रसाद द्विवेदी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ग्रामीण विद्यालय से की तथा उसके बाद इन्होने अपनी संस्कृत की पढ़ाई ब्रह्मचर्य आश्रम में पूर्ण की थी। जहां वे रणवीर संस्कृत पाठशाला मे प्रथम स्थान के साथ उतीर्ण हुए थे।
तथा अपने इसके बाद वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए 1923 मे काशी मे चले गए थे। 1927 मे इन्होने अपनी उच्च शिक्षा बनारस के शांतिनिकेतन हिंदु विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) से की थी।
प्रसाद द्वेदी अपने ललित निबंध के लिए प्रसिद्ध थे। इन्होने अपनी उच्च शिक्षा के साथ-साथ लेखन का कार्य भी किया था। जो उन्हें एक लेखक कुशल लेखक बनाता है.
हिंदी साहित्य का आधुनिक काल - हिन्दी साहित्य के इतिहास का सबसे श्रेष्ठ काल आधुनिक काल को माना जाता है। इस काल मे गद्य, समालोचना, कहानी, नाटक व पत्रकारिता का सबसे ज्यादा विकास इस काल मे हुआ इसलिए इस काल को सबसे श्रेष्ठ काल भी माना जाता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी रचनाओ मे न केवल पशु-पक्षियो के प्रति मानवीय रूप प्रदर्शित किया जबकि इन्होने मानव के प्रति पशु-पक्षियो द्वारा प्रेम प्रकट, भक्ति, विनोद, तथा करुणा के मानवीय रूप को विस्तार से समझाया भी है।
उनके द्वारा दिये गए ज्ञान को प्रकट कर हम मोक्ष (मुक्ति) को प्राप्त कर सकते है। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने महान व्यक्तित्व तथा उनसे जुड़ी स्मृतियो के सहारे उन्होने संवेदनशीलता, आंतरिक विराटता और सहजता के बारे मे विस्तार से अपने विचार रखे।
हजारी प्रसाद ने अपने लेखन मे पशु-पक्षियो, पेड़-पौधो, मानव तथा प्रकृति से जुड़े अनेक ललित निबंधो की रचना की। इन्होने हर क्षेत्र मे निबंध तथा उपन्यास के मध्यम से अपने मनमोहित तथा सरल भाषा मे विचार प्रस्तुत किये।
भाषा - हर रचनाकर की अपनी एक भाषा होती है। द्विवेदी की अपनी बोली खड़ी बोली थी। इन्होने विषय के अनुसार अलग-अलग भाषा का चयन कर रचनाए लिखी.
इनकी अधिकांश रचनाओ मे संस्कृतनिष्ठ शास्त्रीय भाषा का प्रयोग किया गया है। उनके जीवन की व्यावहारिक भाषा खड़ी बोली थी। वे अपनी रचनाओ मे उर्दू और अंग्रेज़ी का मिश्रण भी देखने को मिलती है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रमुख तथा लोकप्रिय निबंध तथा उपन्यास - हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रमुख तथा लोकप्रिय निबंध निम्नलिखित है- अशोक के फूल,कुटज,कल्पलता श्रीश के फूल इनके श्रेष्ठ निबंध थे।
इन्होने अपने जीवन मे निबंध के साथ-साथ उपन्यास भी लिखे जिसमे प्रमुख निम्नलिखित है- बाणभट्ट की आत्मकथा ((1946)), चारु चन्द्र लेख (1963), पुनर्नवा (1973), अनाम दास का पौथा (1976) आदि। इनके प्रमुख उपन्यास थे।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की उप्लब्धियों तथा लेखन क्षमता लिखने के ढंग को देखते हुए। उन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा पद्मभूषण से अलिंकृत किया गया।
सम्पादन- संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, संदेशरासक मृत्युञ्जय रवीन्द्र, महापुरुषों का स्मरण, आलोक पर्व, विश्व-भारती, अभिनव भारती आदि।
आलोचना- किसी वस्तु तथा किसी विषय के बारे मे तथा उसके लक्ष्य को नजर रखते हुए। उस वस्तु के गुणधर्म तथा दोष उपयुकत्ता का विवेचन करने वाली साहित्यिक विधा को आलोचना या समीक्षा कहते है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940), हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास (1952), कबीर (1942) सम्मान,साहित्य का मर्म (1949) दिया गया था। 1997 मे भारत सरकार ने हजारी प्रसाद द्विवेदी के चित्रण की 2 रुपये की टिकट छापकर सम्मान दिया था।
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 1930 मे भगवती देवी से विवाह किया था। विवाह करने के बाद बच्चो को पढ़ना चाहते थे। हजारी प्रसाद द्विवेदी को रवीद्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन विश्व विद्यालय मे हिन्दी शिक्षक के रूप मे इन्हे नियुक्त किया.
इन्होने अपनी सम्पूर्ण मन, लग्न के साथ ये बच्चो को पढ़ाई कराते थे। ईमानदारी से बच्चो को शिक्षण ग्रहण कराये करते थे।
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उम्मीद करता हूँ। दोस्तों आज का हमारा लेख हजारी प्रसाद द्विवेदी पर निबंध Essay On Hazari Prasad Dwivedi in Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम साहित्य के क्षेत्र में सबसे अग्रणी नाम हजारी प्रसाद के जीवन से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे.