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छोटे चार धाम की यात्रा पर निबंध | Essay On Char Dham In Hindi

छोटे चार धाम पर निबंध | Essay On Char Dham In Hindi- नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के आर्टिकल में हम छोटे चार धामों के बारे में जानेंगे यह धाम हैं जिनकी यात्रा करना मात्र ही हर व्यक्ति का सपना होता है और यहां यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

चार धाम की यात्रा पर निबंध | Essay On Char Dham In Hindi

छोटे चार धाम की यात्रा पर निबंध | Essay On Char Dham In Hindi

धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि यदि व्यक्ति जीवन में एक बार चारों धाम की यात्रा कर देता है तो उसके जीवन का कल्याण हो जाता है तथा उसके संपूर्ण पाप धुल जाते हैं। चारों धाम की यात्रा एक स्वर्ग की यात्रा के समान होती है।

वैसे चारों धाम बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और पुरी जगन्नाथ को कहते हैं लेकिन बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री को छोटे चारों धाम के नाम से जाना जाता है और यहां की यात्रा चारों धाम की यात्रा के समान ही मानी जाती है।

चारों धाम देश के चार अलग-अलग भागों में होने के कारण हर व्यक्ति के लिए यात्रा करना मुश्किल होता है लेकिन छोटे चारों धाम केवल उत्तराखंड राज्य में ही स्थित है। 

उत्तराखंड राज्य में गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। उत्तराखंड के इन चारों धामों में हर साल लाखों लोग धार्मिक महत्व को देखते हुए अपना कल्याण और उज्जवल जीवन की कामना के लिए यहां आते हैं तथा अपनी मन्नत पूरी करते हैं।

9 वी शताब्दी के समय शंकराचार्य द्वारा बद्रीनाथ की खोज की गई तथा केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का वह मंदिर है जहां ज्योतिष लिंग स्थित है। चारों धाम उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुके हैं। परिवहन की एक कुशल व्यवस्था के कारण यहां आना और भी आसान हो गया है।

आध्यात्मिक शांति, सुख समृद्धि,और स्वास्थ्य, धार्मिक भावनाओं से लाखों सैलानी यहां यात्रा करने आते हैं और अपने जीवन को सफल बनाते हैं। तथा भगवान के दर्शन कर सभी पाप से मुक्त हो जाते है.

यहां आप जाकर चारों धाम की यात्रा एक साथ कर सकते हैं और यहां आपको गंगा, यमुना, शिवजी और भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने का शुभ अवसर मिल जाता है।चारों धाम में आपको संस्कृति विरासत और एकता भाईचारे का प्रतीक देखने को मिलता है।

बद्रीनाथ- यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, इसका निर्माण प्राचीनकाल में किया गया था. यह चार धाम में से एक है. यह उतराखंड के नर नारायण पर्वतों के बीच स्थिति है. यह नदी अलकनंदा नदी के किनारे बना हुआ है. जो इसकी सुन्दरता को ओर भी बेहतर बनाती है.

वैदिककाल में इसका निर्माण हुआ, पर उसके बाद 8-9 शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण शंकराचार्य द्वारा किया गया था. इस मंदिर में आज 15 मुर्तिया है. जिसमे भगवान विष्णु, गणेश, नर, नारायण, लक्ष्‍मी और शिव-पार्व‍ती की मुर्तिया विराजित है. जहा लोग उनकी पूजा अर्चना करते है.

बद्रीनाथ चार धामों की यात्रा में सबसे अंतिम मंदिर है. यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो छोटे चार धाम तथा चार धा, दोनों में ही शामिल है. यह विष्णु भगवान् को अर्पित है. यहाँ लाखो सेलानी आते है.

यह मंदिर अप्रैल से नवम्बर तक खुला रहता है. माना जाता है, कि यह एक शांत जगह है, जिसकी तलाश में विष्णु भगवान् यहाँ आए थे. तथा यहाँ पर भक्ति भावना में लीन हो गए. यह मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र है.

केदारनाथ- यह उतराखंड में स्थित धाम है, जो मंदाकिनी नदी के तट पर बना हुआ है. यह पशुपतिनाथ यानी शिवजी और भगवान वृषभनाथ को समर्पित मंदिर है. यह छोटे चार धामों में गिना जाता है. यह मंदिर त्याग की भावना को दर्शाता है.

मान्यता के अनुसार इस मंदिर में पहले शिवजी रहते थे, पर किसी कारणवश उन्होंने इस भूमि का त्याग कर दिया.
केदारनाथ ने इस मंदिर में समाधी ली थी. केदारनाथ में हमेशा भीड़ का माहोल देखने को मिलता है. यहाँ मई जून के महीने में यात्रा करना उचित माना जाता है.

हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ में महादेव जी के १२ बारह ज्योतिर्लिंग में से एक यहाँ स्थित है. यहाँ २०१३ में आई बाढ़ के कारण ये काफी प्रभावित हुआ पर यह सुरक्षित है. यहा के आस पास के मकान ढह गए. इस केदारनाथ मंदिर को पंच केदार में गिना जाता है.

यह मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान वृषभनाथ का मंदिर है. इस मंदिर की यात्रा किये बिना चारो धाम की यात्रा करना भी निष्फल माना जाता है. इसका इतिहास बहुत पुराना है. यहाँ हजारो सालो से इसकी पूजा होती आई है.

यमुनोत्री- यह मंदिर उत्तरकाशी में स्थित है. यह मंदिर यमुना माँ को समर्पित है.इसमे स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप धुल जाते है. यमुना का वर्णन पुराणों में भी किया गया है. यमुना को सूर्य भगवान् की पुत्री माना जाता है.

यमुना ग्लेशियर यहाँ की सुन्दरता में चार चाँद लगाते है. यह छोटे चार धमो में प्रमुख मंदिर है. यह  कालिंदी पर्वत पर होने के कारण इसकी ऊंचाई अधिक है, जिस कारण श्रीद्धालु यहाँ के दर्शन नहीं कर पाते है.

यमुनोत्री के साथ ही चार धाम की यात्रा की शुरुआत होती है. यहाँ सूर्यकुंड भी बनाया गया है, जो काफी प्रसिद्द है. माना जाता है, कि सूर्य भगवान् अपनी बेटी यमुना को आशीर्वाद देने के लिए यहाँ आए थे.

गंगोत्री- भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री से ही है. यहाँ गंगा को भागीरथी के नाम से जानते है. यहाँ गोमुख है, जहा से इसका उद्गम होता है. माना जाता है, कि भागीरथ राजा ने भगवान् की तपस्या कर गंगा को शिव के सिर से पृथ्वी पर लाए थे.

गंगोत्री में मंदिर भी बने हुए है, जो भागीरथी के उद्गम स्थल से बाए ओर है, यहाँ के मंदिरों में शिव, यमुना, गंगा, महादुर्गा तथा लक्ष्मी  की पूजा की जाती है. यहाँ बैठकर भागीरथ ने कठोर तपस्या की थी, जिस कारण यहाँ भागीरथ शिला भी है.

मान्यता के अनुसार कैप्टन अमर सिंह द्वारा शंकराचार्य जी के सम्मान में गंगोत्री मंदिर का निर्माण किया गया. इस मंदिर के दर्शन करना और मंदिर में स्नान करना एक व्यक्ति के लिए मोक्ष की प्राप्ति के संमान है.

गंगा नदी में स्नान कर अपने पापो को भुलाने के लिए लाखो श्रीद्धालु यहाँ आते है. और परम्परा के अनुसार मृत लोगो के अवशेष को इस नदी में विसर्जित किया जाता है.

यदि जीवन में एक बार चारो धाम की यात्रा की जाए तो जीवन सफल हो जाता है. इसलिए हमें एक बार यहाँ की यात्रा अवश्य करनी चाहिए. ये धार्मिक पर्यटन स्थल बन चुके है. यहाँ हर साल लाखो सैलानी यहाँ के दर्शन करने के लिए आते है.

चारो धाम की यात्रा के समय हमेशा अपने पास ऊनि वस्त्र जरुर रखे तथा वर्षा के मौसम में यहाँ जाने से बचे. अपने साथियो के साथ यात्रा करने जाए. यहाँ के मंदिर ऊंचाई पर बने हुए है, इसलिए यहाँ के लिए सावधानी पूर्वक कार्य लें.

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