गंगा नदी पर निबंध Essay on River Ganga in Hindi- गंगा भारत की राष्ट्रीय नदी तथा सबसे बड़ी और पवित्र नदी है. आज के इस आर्टिकल में हम गंगा नदी पर निबंध,लेख,पैराग्राफ,अनुच्छेद के माध्यम से गंगा नदी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
गंगा नदी पर निबंध Essay on River Ganga in Hindi
हमारे देश को विविधाताओ का देश माना जाता है. हमारे देश में अनेक नदिया प्रवाहित होती है. इस देश में कई बड़ी-बड़ी नदिया है. पर भारत की सबसे बड़ी तथा पवित्र नदी गंगा है. गंगा नदी हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर विसर्जित होती है. ये बारहमासी नदी है.
इस नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है. माना जाता है. जो इस नदी में स्नान करता है. वह अपने सभी पापो को धुला देता है. इसी कारण इस नदी को उदारवादी या कल्याणकारी नदी कहते है.
भारतीय धर्म ग्रंथो की मान्यता के अनुसार ये नदी ही नहीं है.बल्कि ये हमारी संस्कृति है. तथा ये हमारी माता है. इस नदी के तट पर अनेक तीर्थ निवास करते है.
गंगा को भागीरथी भी कहते है. इस नदी का ये नाम राजा भागीरथ के नाम से पड़ा है. राजा भागीरथ के वरदान के अनुसार 10 हजार बच्चे थे.
तथा सभी बच्चे एक के बाद एक भस्म होते गए. तभी राजा भागीरथ ने अपने सभी पुत्रो का उद्धार करने के लिए भागीरथ ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिससे भगवान शिव खुश हुए और भागीरथ से पूछा तुम्हे क्या चाहिए.
भागीरथ ने शिव से प्रार्थना करते हुए. कहा कि मेरे सभी पुत्रो को मौत हो गई है. अब उनका मुझे उद्धार करना है. भगवान शिव ने अपनी जटा खोली और गंगा नदी को प्रवाहित किया. भागीरथ को कहा कि इससे स्नान करो आपके सभी पाप उतर जायेंगे.
गंगा नदी से भागीरथ के सभी पुत्रो का उद्धार हुआ तथा उसके बाद सभी लोग गंगा नदी में आकर अपना उद्धार करते है. अपने किये पापो का उद्धार करते है.
इस नदी में मृत लोगो को शांति के लिए शव बहाए जाते है. यहाँ लोग बहुत दूर-दूर से गंगा में स्नान करने आते है.इस नदी के तट पर अनेक लोग भजन करते है. तथा गंगा नदी के तट पर लोग पूजा-अर्चना करते है. तथा यहाँ अनेक कार्यकर्म होते रहते है.
अनेक लोगो के लिए पानी का सबसे बड़ा साधन गंगा नदी है. पर वर्तमान में इसे प्रदूषित किया जा रहा है. जिस कारण इस नदी का जल अपेय होता जा रहा है.
इस पर कई वन्य जीव-जंतु निर्भर है. ये नदी लाखो एकड़ जमीन में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराती है.गंगा नदी पर अनेक बंधो का निर्माण किया गया है. जहा से लोग सिंचाई करते है. तथा पीने के लिए जल प्राप्त करते है. इस नदी पर कई परियोजनाए बनाई गई है.
गंगा नदी का जल उद्गम स्थल पर बहुत स्वच्छ होता है. हरिद्वार तक भी इसका जल पीने योग्य रहता है. पर इसके बाद इस नदी का जल किसी भी काम नहीं रहता है.
इसका प्रमुख कारण लोगो द्वारा इस नदी को प्रदूषित करना. इस नदी में अनेक गाँवो,शहरों के कचरे डाले जाते है. जिससे इस नदी का जल बहुत मलिन हो जाता है.
जिससे ये पानी पीने योग्य नहीं रहता है. इस नदी का जल लोगो को निशुल्क मिलता है. पर लोग इस नदी को मानवीय गतिविधियों द्वारा मलिन कर खुद के पैर पर कुलाड़ी मार रहे है.
पीने योग्य पानी प्राप्त करने का सरल तथा साधारण संसाधन को प्रदूषित किया जा रहा है. इसमे सड़ी-गली गन्दी वस्तुओ को नदी में डालकर मरे हुए पशुओ को डालकर तथा मल-मूत्र का विसर्जन कर इसे प्रदूषित एंव गन्दा किया जा रहा है.
हमारे देश की संस्कृति को बचाए रखने के लिए तथा अपनी प्राचीन सभ्यताओ को बनाये रखने के लिए गंगा को प्रदूषित की जगह स्वच्छ करना होगा.
गंगा नदी का जल बिना प्रदूषित किये कभी ख़राब नहीं होता है. इसे प्लास्टिक की बोतल में कई सालो तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका जल अपने आप गन्दा नहीं होता है.
हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अनुसार गंगा को जल की देवी माना जाता है. इसलिए हिन्दू लोग इसकी पूजा-अर्चना करते है. इसे फुल चढाते है. गंगा के तट की मिटटी से लोग दंतन करते है. तथा तिलक के रूप में ललाट पर लगाते है.
गंगा,यमुना तथा सरस्वती नदी के संगम पर प्रयाग में प्रत्येक बारह वर्ष से कुम्भ का मेला भरा जाता है. ये मेला बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.
इस मैले में लाखो को तादाद में लोग मैला देखने इकठ्ठे हो जाते है. तथा मैले का आनंद लेते है. गंगा के तट पर और भी अनेक तीर्थो का आयोजन किया जाता है.
जिसमे- बनारस, काशी, प्रयाग ( इलाहाबाद). हरिद्वार आदि प्रमुख तीर्थ गंगा नदी के तट पर मैले आयोजित किये जाते है.
यहाँ पर हर छोटे-बड़े उत्सव को मैला भरता है. गंगा नदी कई लोगो के जीविका का साधन भी है. अनेक लोग गंगा के किनारे ठेला लगाकर पैसा कमाते है.
कई लोग भीख मंगाते है. यहाँ हर कोई अपने पाप को दूर करने के लिए आते है. तो इससे गरीब लोगो को भी भीख के रूप में पैसे मिल जाते है. और इसी प्रकार उनकी जीविका चलती है.
कई लोग गंगा की बड़ी भीड़ में लुट मार कर भी पैसे कमाते है. जो कि गंगा के यात्रियों के लिए हानिकारक होता है. गंगा का विस्तार बहुत लम्बा है. ये कई सिकुड़ी हुई है. तो कई चौड़ी हुई है. ये परस्थिति के अनुसार अपना आकार बदलती है.
मैदानी भागो में इसका विस्तार बहुत बढ़ जाता है. वही पहाड़ी इलाको में ये सिकुड़ जाती है. गंगा नदी को आर-पार करने के लिए नावे चलती है. तथा कई स्थानों पर तो पुलों का निर्माण किया गया है. जिससे लोगो के लिए परिवहन करना और भी आसानी हो गई है.
गंगा नदी उपजाऊ नदी भी है. ये नदी मैदानी भागो सींचती है. तथा बंजर युक्त जमीन को ये नदी उपजाऊ बना देती है. हम कह सकते है. कि गंगा कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी नदी है.
गंगा नदी का वेग अधिक होने के कारण ये नदी बड़े-बड़े पत्थरों को अपने साथ घसीटकर ले जाती है.इसके अधिक वेग से हमें नुकसान भी हो सकता है. कई बार इसका अधिक वेग बाढ़ जैसी समस्या खड़ी कर सकती है.
बाढ़ से किसानो की फसल ख़राब होने का खतरा बना रहता है. बाढ़ से फसल की खराबी के साथ-साथ वितीय नुकसान भी होता है.गंगा नदी हिमालय से प्रवाहित होकर 2525 किलोमीटर की दुरी तय करके बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है.
गंगा नदी का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है. इसे पवित्र नदी माना जाता है. इसके महत्व को देखते हुए. भारत सरकार ने 4 नवम्बर 2008 को मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में इसे राष्ट्रीय नदी के रूप में घोषित कर दिया था. साथ ही इसे प्रदूषण और अन्य समस्याओं से मुक्त कराने के लिए गंगा घाटी प्राधिकरण का गठन किया था.
इस नदी को स्वच्छ बनाये रखने के लिए अपने योजनाए चलाई जा रही है. जैसे-उज्जवल गंगा योजना आदि अनेक अभियान चलाये जा रहे है. गंगा को प्रदूषित मुक्त करने के लिए हमें सभी को संकल्प लेना होगा.
तथा अन्य सभी लोगो को इसके लिए प्रेरित करना होगा. ये कार्य सभी के द्वारा मिलजुलकर ही किया जा सकता है. तथा सभी को जिम्मेदारी के साथ अपनी राष्ट्रीय नदी की सुरक्षा हमारा प्रथम कर्तव्य है.
गंगा नदी का उदगम स्थल हिमालय की पहाडियों में स्थित गंगोत्री नमक स्थान है.इस नदी में हिमालय की बर्फ भी पिघलकर मिल जाती है. तथा इसका विकास करती है. ये नदी बारहमास चलने वाली नदी है. ये नदी कभी नहीं सूखती है.
इसमे पानी हर समय रहता है. इस नदी के जल से हमारा देश पानी प्राप्त करता है.इस नदी की अनेक सहायक नदिया है.
जो कि इसके विस्तार तथा जल की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है. जैसे-घाघरा, राम गंगा, गोमती, कोसी, और गंडक बाईं ओर से चम्बल, जमुना आदि अनेक नदिया गंगा की सहायक नदिया है.
Ganga Ka Paryayvachi: 2510 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली गंगा नदी की सहयोगी नदियों में महाकाली, करनाली, कोसी, गंडक, घाघरा तथा यमुना, सोन नदी, महानंदा मुख्य हैं.
गंगा के किनारे हरिद्वार शहर बसा हुआ हैं. गंगोत्री हिमनद यह गंगा नदी का उद्गम स्थल हैं. जहाँ से गंगा की कहानी आरम्भ होती हैं.
Ganga Synonyms In Hindi
जैसा कि आप जान चुके है गंगा एक नदी का नाम है जो स्त्रीलिंग तथा व्यक्तिवाचक संज्ञा एवं एकवचन भी हैं. अब आपकों गंगा के कुछ समानार्थी तथा पर्यायवाची शब्दों के बारे में बता रहे हैं.
- देवसरी
- देवनदी
- नदीशवरी
- मंदाकनी
- भगीरथी
- अलकनंदा
- विश्नुपगा
- विष्णुपदी
- देवपगा
- सुरध्वनि
- ध्रुवनंदा
- सुरसरिता
- सुरसरि
- त्रिपथगा
- जाह्नवी