गुरु पूर्णिमा पर निबंध 2022 Essay On Guru Purnima in Hindi- मनुष्य जीवन में गुरु का विशेष स्थान होता है. गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है. गुरु को महत्व देने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को सभी धर्म के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते है. आज के आर्टिकल में हम गुरु पूर्णिमा के बारे में जानेंगे.
गुरु पूर्णिमा पर निबंध Essay On Guru Purnima in Hindi
एक व्यक्ति का जीवन गुरु के अभाव में शून्य होता है. संस्कार और शिक्षा जीवन का मूल स्वभाव होता है. इनसे वंचित रहने वाला व्यक्ति बुद्दू होता है. जिसमें गुरु के ज्ञान का अभाव होता है.
गुरुओ का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है, पर गुरु पूर्णिमा एक विशेष दिन होता है, जो गुरुओ को ही समर्पित होता है. इस दिन को हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध तथा जैन सभी धर्म के लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है.
आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है. यह हिन्दुओ के श्रेष्ठ रचयिता वेदव्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की थी, उनके जन्मदिन के अवसर पर गुरु पूर्णिमा हर साल मनाई जाती है.
एक विद्यार्थी के जीवन में गुरु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. गुरु के ज्ञान और संस्कार के आधार पर ही उसका शिष्य ज्ञानी बनता है, गुरु मंदबुद्धि शिष्य को भी एक योग्य व्यक्ति बना देते है. गुरु के ज्ञान का कोई तोल नहीं होता है.
गुरु का महत्व जीवन उतना है, जितना चंद्रमा के जीवन में सूर्य का जब तक सूर्य के संपर्क में चंदा रहता है. वह चमकता है, पर जब संपर्क टूट जाता है, तो उसकी रोशनी घायब हो जाती है. इसी कारण गुरु के शब्द का अर्थ ही अन्धकार से उजाले की ओर होता है.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आज भी लोग अपने गुरु बनाते है. तथा जीवन में कल्याण के रास्ते को अपनाते है. गुरु को उस दिन अपने कार्यो पर गर्व होता है. जिस दिन उसका शिष्य एक बड़े ओदे पर पहुँचता है. गुरु अपने शिष्यों से कोई स्वार्थ नहीं रखते है, उनका उद्देश्य सभी का कल्याण ही होता है.
गुरु पूर्णिमा के दिन विद्यार्थी अपने गुरु के सम्मान में अनेक गतिविधिया करते है. शिष्यों द्वारा गुरु की पूजा की जाती है. तथा उन्हें ढेर सारा सम्मान और उज्ज्वल जीवन देने के लिए धन्यवाद देते है.
इस दिन शिष्यों द्वारा अपने पहले गुरु अर्थात माता-पिता और परिवार को भी सम्मान दिया जाता है. तथा उन्हें अपना आदर्श मानकर उज्ज्वल जीवन का आशीर्वाद मंगाते है. तथा लाइफ के सच्चे मूल्य का ज्ञान लेते है.
इस दिन विद्यालय कॉलेज और गुरुकुलो में शिक्षको और अपने गुरुओ को सम्मान के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. तथा गुरुओ के सम्मान में गीत, भाषण, कविताए, नृत्य और नाटक किये जाते है.
इस दिन वेदव्यास जी का जन्मदिन होता है, जिस कारण उनके शिष्य उन्हें सम्मान देते है. तथा उनके बारे में भी सभी को बताया जाता है. वेदव्यास जी के सूत्रों का अध्ययन किया जाता है.
इस उत्सव के इतिहास को लेकर दो मान्यताए प्रचलित है. हिन्दुओ के अनुसार इसी दिन भगवान शिव द्वारा अपने शिष्यों को ज्ञान दिया गया था. जिस कारण इसी दिन से हिन्दुओ ने इस पर्व की शुरुआत की थी.
दूसरी मान्यता के अनुसार इसकी शुरुआत बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध द्वारा किया गया था. माना जाता है, कि बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति के बाद उन्होंने ज्ञान का प्रसार-प्रचार शुरू किया जिसमे उनका पहला उपदेश जिसे हम धर्मचक्रपर्वत कहते है, जो सारनाथ में दिया गया था. उस उपदेश के कारण बौधो द्वारा इसकी शुरुआत की गई.
ज्योतिष मान्यता के अनुसार ब्रहस्पति गृह को ग्रहों का गुरु माना जाता है. जिस कारण आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति का शुभ अवसर होता है. जिस कारण इस दिन को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है.
Guru Purnima Speech Hindi
गुरु पूर्णिमा हिंदी माह आसाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. यह दिवस सभी धर्म के लोग मनाते है, गुरुओ को समर्पित यह पूर्णिमा गुरु के सम्मान से ओर भी रंगीन हो जाती है. आदि गुरु वेदव्यास के जन्म दिन के अवसर पर यह पूर्णिमा मनाई जाती है.
हर व्यक्ति के जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है. एक गुरु व्यक्ति को सडक से धनवान बना सकता है. गुरु हारे हुए व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचा सकता है. गुरु का जीवन निस्वार्थी होता है. गुरु अपना उद्देश्य केवल ज्ञान और संस्कार देने ही मानते है.
गुरु को ब्रह्मा तथा विष्णु और महेश के समक्ष माना गया है. गुरु को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा एक विशेष दिवस है. हमेशा हमें गुरुओ का सम्मान करना चाहिए. पर इस दिवस का उद्देश्य गुरुओ के महत्व से सभी को अवगत कराना है.
आप सभी महमानों और मेरे गुरुओ का बहुत बहुत स्वागत मै ( विद्यार्थी का नाम ) आप सभी को यहाँ आने पर आपका आभार मानता हूँ. आपके आगमन से ही हमारा सौभाग्य है.
जैसा कि आप सभी जानते है, आज आषाढ़ माह की पूर्णिमा के अवसर पर हम हर साल की तरह ही इस बार भी गुरु पूर्णिमा का अमृत महोत्सव मनाने के लिए आज इस प्रांगण में एकत्रित हुए है.
गुरुओ को सम्मान देना हमारी आदर्शता मानी जाती है, तथा व्यक्ति को गुरु को सम्मान देना उसका पहला कर्तव्य मन जाता रहा है. गुरुओ में शिष्यों का सम्बन्ध काफी पुराना है.
महाभारत के रचयिता आदिकवि वेदव्यास के जन्मदिन को हर साल गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते है. इस अवसर पर विद्यालय और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. तथा गुरुओ को सम्मानित किया जाता है.
यह दिन गुरुपो को ही समर्पित है. आज हम यहाँ पर विराजमान सभी गुरुजनों को कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम और कविता, भाषण तथा मालार्पण के माध्यम से सम्मानित करेंगे. व्यक्ति की पहली आवश्यकता गुरु होते है.
गुरु की महता को महत्व देते हुए प्राचीन धर्मग्रन्थो में भी गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान बताया है. एक व्यक्ति गुरु का ऋण सभी नहीं चूका पाता है. हमेशा निस्वार्थ भाव से सिखाने का कार्य गुरु द्वारा ही किया जाता है.
गुरु अधंकार से भरे जीवन में उजाला लाने का काम करते है. हर संस्कारी और शिक्षित व्यक्ति की सफलता के पीछे गुरु का हाथ होता है. गुरु हमेशा जीवन में उन्नति के पथ पर चलाना सिखाता है.
हर परस्थिति में संघर्ष करने का जज्बा गुरु से ही मिलता है. शिक्षा और संस्कार जो जीवन में बहुत आवश्यकत होती है. इसके बिना आज जीवन का कोई महत्व नहीं है. जो अनमोल उपहार हमें गुरु ही देते है.
कई लोग गुरुओ को उनके धर्म या जाति के आधार पर विभाजित करते है, पर ये केवल उनकी गलत मानसिकता है. कोई व्यक्ति धर्म विरोधी या समर्थक हो सकता है, पर एक गुरु हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहकर सभी को ज्ञान की कुंजी प्रदान करता है.
गुरुओ का हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए. यह हमारा कर्तव्य है. आज के इस कार्यक्रम में भाग लेकर आपने हमारे कार्यक्रम को शुभोषित किया आप सभी का पुनः धन्यवाद जय हिन्द जय गुरुदेव..
Guru Purnima 2022 Short Essay Paragraph Speech For Students In Hindi
भारतवर्ष में हर साल आषाढ़ पूर्णिमा को मनाया जाने वाले ये पर्व भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण एशिया में मनाया जाता है. इस पर्व में हिन्दू, जैन तथा बौध धर्म के अनुनायी शामिल होते है.
इतिहास उठाकर देखा जाए तो हमें पता चलता है, कि गुरु के बिना ज्ञान का कोई महत्व नहीं होता है. और जिसके पास गुरु होता है. उसके लिए ज्ञान का कोई महत्व नहीं होता है. गुरु बना देना ही ज्ञान के सागर को प्राप्त करने के समान होता है.
ये पूर्णिमा वेदव्यास को समर्पित है. जिस कारण इसे व्यास जयंती या व्यास पूर्णिमा के नाम से जानते है. ये इस साल 24 जुलाई को है. यह पर्व गुरु शिष्य को अर्पित होता है. इस पर्व पर गुरु शिष्य की झलक देखने योग्य होती है. गुरु का शिष्य के प्रति तथा शिष्य का गुरु के प्रति अपार प्रेम देखने लायक होता है.
किताबी ज्ञान और गुरु के ज्ञान में बहुत अंतर होता है. किताबी ज्ञान हमें शिक्षा देता है. पर गुरु का ज्ञान हमें जीवन जीने की शिक्षा संस्कार, त्याग, प्रेम, करुना, दयाभाव, सौहार्द और संघर्ष करना आदि सिखाता है, जो किताबी ज्ञान से बढ़कर होता है.
गुरु हमेशा सभी को अपनों की तरह रखता है. तथा गुरु के पास भेदभाव नाम की कोई चीज ही नहीं होती है. सभी को गुरु समान मानता है. तथा सभी को शिक्षा में निपुण करता है. यह गुरु की सबसे बड़ी विशेषता होती है.
गुरु के बारे में पौराणिक ग्रंथो में लिखी गई इस पंक्ति को आपने पढ़ा ही होगा, ‘’गुरूर ब्रम्हाब गुरूर बिष्णु् गुरूर देवो महेश्वमरा ।गुरूर साक्षात परम ब्रम्ह् तस्मैर श्री गुरूवै नम: । इसमे गुरु की महानता बताते हुए. गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात साक्षात् भगवान् का दर्जा दिया गया है.
गुरु पूर्णिमा का दिन भगवान् विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान् की पूजा की जाती है. तथा अपने उज्ज्वल जीवन की कामना की जाती है. गुरु शिष्यों को आशीर्वाद देते है.
यह नया दिन सभी को भाता है. सभी इस पर्व का बेसब्री से इन्तजार करते है. इस दिन शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है. माना जाता है, कि इस दिन शुरू किया गया कार्य मंगलमय होता है. इस दिन गुरु शिष्य के अपार प्यार की झलकियाँ देखी जा सकती है.
गुरु पूर्णिमा की पूजा करने की विधि
- सुबह जल्दी स्नान करके सफ़ेद कपडे पहने.
- भगवान्अ विष्णु की मूर्ति के सामने अपने गुरु, और माता-पिता जो आपके पहले गुरु है, उनका ध्यान करें.
- हल्दी का चन्दन ,फूल एवं आटें की पंजीरी का भोग लगाए।
- अपनी पहुँच के अनुसार गरीबो की सहायता करें. तथा जानवरों को भोजन दें.
- स्वार्थी जीवन से बाहर निकलकर कुछ नया कार्य शुरू करे जिससे किसी का भला हो सकें.
- इस दिन कोई अपना गुरु बनाए यदि गुरु पहले से है, तो उनसे आशीर्वाद लेकर उज्ज्वल जीवन की कामना करें.
हर व्यक्ति की सफलता के पीछे किसी गुरु का हाथ होता है. गुरु के अभाव में व्यक्ति जीवन की राह से भटक जाता है. हमारी संस्कृति में गुरु को प्राचीन समय से महत्व दिया जाता रहा है. तथा उन्हें सम्मान दिया जाता है.
गुरु के अभाव में व्यक्ति चोर, डकेत और गैरकानूनी कार्य करता है, क्योकि उसे कोई समझाने वाला नहीं होता है. इसी कारण हमें एक गुरु की आवश्यकता होती है. जिसे हम अपना आदर्श मानकर जीवन में उन्नति कर सकें.
जितना महत्व हमारे लिए गुरु का उतना ही महत्व इस पर्व का है. इसलिए इस पर्व को विशेष दर्जा दें. तथा गुरुओ का सम्मान करें. और उनके आदर्शो को जीवन में अपनाए. और जीवन में एक नई शुरुआत करें.
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