इस शहर के बारे में काफी लिखा गया, काफी पढ़ा गया किंतु इसके बारे में पूरी जानकारी न होना भी एक दिलचस्प है। क्योंकि वाराणसी खुद के बारे में किसी को जानने ही नहीं देता। कहते हैं अगर आप हिंदू धर्म से हैं तो आप जिंदगी में कहीं भी अपना जीवन व्यतीत करें किंतु मरने के बाद एक समय तो आपको वाराणसी आना ही होता है।
वाराणसी पर निबंध | Essay On Varanasi in Hindi
दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट के जरिए वाराणसी के बारे में बताएँगे। यूं तो वाराणसी में जानने लायक काफी कुछ मौजूद है लेकिन कुछ इंसानों की भांति शहर भी ऐसा वर्चस्व कायम रखते हैं कि उनके बारे में जितना जान लो उतना कम है। इसी बात पर एक रोचक तथ्य आपको बताते हैं। क्या आप जानते हैं की हिंदी साहित्य में मौजूद उपन्यासों में सर्वाधिक जिक्र वाराणसी शहर का ही होता है।
भारत के उतरी राज्य उत्तर प्रदेश में मौजूद कई धार्मिक स्थलों में से एक धार्मिक शहर है जिसे सब लोग वाराणसी या बनारस कहकर पुकारते हैं। विश्व में सबसे पौराणिक शहर का तमगा हासिल कर चुका यह शहर हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के दिल में खास जगह रखता है।
गंगा मां का आशीर्वाद और शिव जी की नजर यहां आए हुए हर भक्तों को एक अलग शक्ति की अनुभूति कराता है। यह वह शहर है, जिसमे आज भी भक्ति के प्रति सुहानुभूति का दृश्य दिखता है.
वाराणसी का क्षेत्रफल- भगवान शिव जी की नगरी कही जाने वाला शहर 320 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। हैरानी वाली बात यह है की तकरीबन इतने ही किलोमीटर की दूरी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वाराणसी की है। अगर आप दिल्ली से बनारस आ रहें हैं तो दिल्ली से बनारस पहुंचने के लिए 900 किलोमीटर तक का सफर तय करना होगा।
क्यों है खास?
वाराणसी को खास बनाती है इस शहर का वातावरण, भक्ति के रंग में डूबे लोग। गंगा नदी पर शाम के समय की जाने वाली आरती और बनारसी पान। बहुत कुछ खास है इस शहर में लेकिन जो और खास बना रही है वो है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी (Varanasi Sansad) से ही दो बार जीतकर सांसद बने हैं।
निष्कर्ष
भोले बाबा की नगरी वाराणसी जिसे अनेकों नाम से पहचान मिली है, जो की भारत के इतिहास का सबसे प्राचीन शहर है। यहीं से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा था कि वे आए नहीं बल्कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। जहां की हर गली हर घाट भगवान की शक्ति से भरपूर है। ऐसे शहर में गिनती होती है बनारस की।
वाराणसी…..! इस शहर के नाम में ही प्रेम है, संगीत है, कविताएं है और एक ठहराव है जो आज के वक्त में काफी इंसानों के जीवन में नदारद सी हो गई है।
गंगा मां की गोद में विराजित यह दुनिया में भारत की संस्कृति और सभ्यता का अनूठा प्रदर्शन करती है। शिव की नगरी से प्रख्यात शहर वाराणसी हर वर्ष नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कहते हैं यहां शिव जी का कण कण में वास है और सभी के दिल में भोले के प्रति अनूठी आस है। इस शहर में बसता इसका खुद का इतिहास भी है।
वाराणसी को किसने बनाया
शिव जी की नगरी को माना जाता है की खुद शिव जी ने 5000 साल पहले बनाया था। इसी वजह से काशी उर्फ वाराणसी को दुनिया का सबसे पुराना शहर कहा जाता है। वाराणसी के पौराणिक होने का जिक्र हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में किया गया है। जैसे की रामायण, महाभारत, स्कंद पुराण और ऋग्वेद।
कैसे बनी वाराणसी हिंदू का सबसे बड़ा तीर्थ
वाराणसी एक ऐसा धार्मिक स्थल जहां इंसान चाहे खुद न आ पाए परंतु मौत के बाद आ जाता है ऐसी मान्यता है इस शहर के बारे में। यह हिंदू धर्म का सबसे परमुख तीर्थ स्थान में से एक है। इसका साफ शब्दों में उल्लेख महाभारत की किताब में हुआ है।
कहा जाता है की धरती पर कुछ ऐसी जगह मौजूद हैं जिसे पवित्र माना गया है और कुछ जगहों पर ऋषिमुनियों के वास करने से पवित्र हो चुके हैं। कुछ जगहों पर महान इंसान के जन्म के प्रभाव के कारण पवित्र कहे गए। वाराणसी के पवित्र स्थान होने का मुख्य उल्लेख जाबाल उपनिषद में लिखा गया है।
कहा जाता है मंदिरों का शहर
वाराणसी के कई नामों में इस शहर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। निम्मिनलिखित् मंदिरों में हर दिन काफी भक्तो की भीड़ मिलती है।
वाराणसी का क्षेत्रफल- भगवान शिव जी की नगरी कही जाने वाला शहर 320 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। हैरानी वाली बात यह है की तकरीबन इतने ही किलोमीटर की दूरी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वाराणसी की है। अगर आप दिल्ली से बनारस आ रहें हैं तो दिल्ली से बनारस पहुंचने के लिए 900 किलोमीटर तक का सफर तय करना होगा।
क्यों है खास?
वाराणसी को खास बनाती है इस शहर का वातावरण, भक्ति के रंग में डूबे लोग। गंगा नदी पर शाम के समय की जाने वाली आरती और बनारसी पान। बहुत कुछ खास है इस शहर में लेकिन जो और खास बना रही है वो है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी (Varanasi Sansad) से ही दो बार जीतकर सांसद बने हैं।
निष्कर्ष
भोले बाबा की नगरी वाराणसी जिसे अनेकों नाम से पहचान मिली है, जो की भारत के इतिहास का सबसे प्राचीन शहर है। यहीं से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा था कि वे आए नहीं बल्कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। जहां की हर गली हर घाट भगवान की शक्ति से भरपूर है। ऐसे शहर में गिनती होती है बनारस की।
वाराणसी के बारे में Essay on Varanasi in Hindi
प्रस्तावनावाराणसी…..! इस शहर के नाम में ही प्रेम है, संगीत है, कविताएं है और एक ठहराव है जो आज के वक्त में काफी इंसानों के जीवन में नदारद सी हो गई है।
गंगा मां की गोद में विराजित यह दुनिया में भारत की संस्कृति और सभ्यता का अनूठा प्रदर्शन करती है। शिव की नगरी से प्रख्यात शहर वाराणसी हर वर्ष नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कहते हैं यहां शिव जी का कण कण में वास है और सभी के दिल में भोले के प्रति अनूठी आस है। इस शहर में बसता इसका खुद का इतिहास भी है।
वाराणसी को किसने बनाया
शिव जी की नगरी को माना जाता है की खुद शिव जी ने 5000 साल पहले बनाया था। इसी वजह से काशी उर्फ वाराणसी को दुनिया का सबसे पुराना शहर कहा जाता है। वाराणसी के पौराणिक होने का जिक्र हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में किया गया है। जैसे की रामायण, महाभारत, स्कंद पुराण और ऋग्वेद।
कैसे बनी वाराणसी हिंदू का सबसे बड़ा तीर्थ
वाराणसी एक ऐसा धार्मिक स्थल जहां इंसान चाहे खुद न आ पाए परंतु मौत के बाद आ जाता है ऐसी मान्यता है इस शहर के बारे में। यह हिंदू धर्म का सबसे परमुख तीर्थ स्थान में से एक है। इसका साफ शब्दों में उल्लेख महाभारत की किताब में हुआ है।
कहा जाता है की धरती पर कुछ ऐसी जगह मौजूद हैं जिसे पवित्र माना गया है और कुछ जगहों पर ऋषिमुनियों के वास करने से पवित्र हो चुके हैं। कुछ जगहों पर महान इंसान के जन्म के प्रभाव के कारण पवित्र कहे गए। वाराणसी के पवित्र स्थान होने का मुख्य उल्लेख जाबाल उपनिषद में लिखा गया है।
कहा जाता है मंदिरों का शहर
वाराणसी के कई नामों में इस शहर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। निम्मिनलिखित् मंदिरों में हर दिन काफी भक्तो की भीड़ मिलती है।
- श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
- अन्नपूर्णा मां का मंदिर
- संकठा मन्दिर
- काल भैरव मंदिर
- मृत्युंजय महादेव मंदिर
- विश्वनाथ मंदिर बीएचयू
- तुलसी मानस मंदिर
- संकटमोचन मंदिर
- दुर्गा मंदिर
- भारत माता मंदिर
वाराणसी मात्र एक शहर नहीं यह जगह हर इंसान के लिए एक स्वर्ग सा है। ढेरों मंदिरों से भरपूर यह शहर इंसान को मन की शांति देता है और उनके भीतर आस्था की ज्योत जगाने में भी सक्षम है। प्राचीन काल से आज के समय तक वाराणसी में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। यह पहले भी पवित्र थी और आज भी उसी तरह से पवित्र है इसका कारण है यहां आने वाले भक्त जो की शिव की नगरी को ठीक वैसे ही रखें हैं।
इस दुनिया में भांति भांति के लोग रहते हैं जिनकी भिन्न भिन्न सोच एक दूसरे से इंसान को अलग बनाती है किंतु एक बात के लिए सब एक साथ आ जाते हैं वह है असंतुष्ट होना।
वाराणसी पर बड़ा निबंध | Varanasi Information Essay in Hindi
प्रस्तावनाइस दुनिया में भांति भांति के लोग रहते हैं जिनकी भिन्न भिन्न सोच एक दूसरे से इंसान को अलग बनाती है किंतु एक बात के लिए सब एक साथ आ जाते हैं वह है असंतुष्ट होना।
समाज में अपने कार्य, अपने जगह, अपनी किस्मत से अधिकांश लोग असंतुष्ट ही रहते हैं किंतु अगर कोई ऐसी जगह है धरती पर जहां आप संतुष्ट लोगों की संख्या ज्यादा पाएंगे वे जगह का नाम है वाराणसी।
यूं तो भारत के स्कूलों में इतिहास की किताबों में बताया जाता है की भारत का सबसे पुराना सिविलाइजेशन सिंधु घाटी सभ्यता है। जहां पर मौजूद हडप्पा और मोहनजोदड़ो सबसे पुराने शहर है किंतु भारत की सही हिस्ट्री के मुताबिक बनारस यानी की वाराणसी को ही सबसे प्राचीन शहर का तमगा हासिल है।
यहां एक सुकून है जिसकी तलाश में हर इंसान जीवन भर भटकते रहते हैं। शांति है, हर शख्स भक्ति के रस में डूबा होता है। दरअसल कहते हैं न की कभी कभी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में ठहराव लाना जरूरी होता है तो वहीं ठहराव वाराणसी शहर प्रदान करता है।
कैसा लगता है वाराणसी में
वाराणसी का सही तरह से विश्लेषण तभी मुमकिन है जब आप स्वयं इस धार्मिक पर्यटन स्थल पर आएं और खुद एक्सपीरियंस करें। क्योंकि लाइफ में कुछ जगह खुद के लिए ही होती है।
भारत की राजधानी दिल्ली से 900 किलोमीटर की दूरी पर शिव की नगरी वाराणसी में पहुंचते ही खुद को अलग देश से आया हुए शख्स की भांति महसूस करेंगे। ऐसा लगेगा की मानो भारत एक अलग देश है और वाराणसी एक अलग देश। जहां भाग दौड़ नहीं, मात्र मौजूद है एक शक्ति जो लोगों को जिंदगी की सच्चाई से रूबरू कराती है।
ऋषिमुनियोँ के अनुसार अगर आप हिंदू धर्म से तालुक्कत रखते हैं तो आपके जीवन का आखिरी पढ़ाव ही है वाराणसी। जीवन में चल कर दौड़ कर थक जाने के बाद जो शांति चाहता है शख्स उसकी शांति की पहचान है वाराणसी।
वाराणसी की क्या क्या बातें हैं फेमस
वाराणसी की यूं तो हर बात ही खास है। अगर आप कभी बनारस आ रहे हैं तो निम्मिनलिखित चीजें अपने साथ जरूर लें ताकि यह आपको बाद में याद आता रहेगा की आपने यह चीज बनारस से खरीदी थी।
बनारसी साड़ी
वाराणसी अपनी सिल्क साड़ियों के लिए दुनिया भर में फेमस हैं। इसकी क्वालिटी तो सुंदर होती ही हैं साथ साथ इनमें की गई कलाकारी भी सभी को मोह लेती है। यहां हर जगह से भिन्न भिन्न रेंज में साड़ियां खरीद सकते हैं।
शिवलिंग
वाराणसी को शिव की नगरी कहा जाता है, हर जगह शिव का वास है इस जगह। इसीलिए अपने साथ शिव जी का ही प्रतीक घर पर लेकर स्थापित कर दीजिए। हर साइज में शिवलिंग वाराणसी में उपलब्ध है।
गुलाबी मीनाकारी
वाराणसी में कला और संस्कृति का काफी बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिलता है। Gai ghat पर कलाकार गुलाबी मीनाकारी करते हैं। यह वाराणसी का पर्मुख art form है।
कांच के मोती
कांच के मोती बनाने की सबसे बड़ी फैक्ट्री वाराणसी ही स्थित है। पर्यटक वाराणसी के लोकल मार्केट से इसे खरीद सकते हैं। यह हाथ से बनाया जाता है जो लोगों को बेहद आकर्षित करते हैं।
लकड़ी के खिलौने
दुनिया भर में मिलने वाले प्लास्टिक के खिलौने आपने अपने बच्चों के लिए काफी खरीदें होंगे लेकिन अब बनारस आएं तो खिलौना लकड़ी का लीजिएगा। यह बेहद ही बेहतरीन तरीके से बनाए गए होते हैं जो घर में बेहद ही खूबसूरत लगते हैं। इसके अलावा भी आप वाराणसी से काफी चीजें खरीद सकते हैं।
यूं तो भारत के स्कूलों में इतिहास की किताबों में बताया जाता है की भारत का सबसे पुराना सिविलाइजेशन सिंधु घाटी सभ्यता है। जहां पर मौजूद हडप्पा और मोहनजोदड़ो सबसे पुराने शहर है किंतु भारत की सही हिस्ट्री के मुताबिक बनारस यानी की वाराणसी को ही सबसे प्राचीन शहर का तमगा हासिल है।
यहां एक सुकून है जिसकी तलाश में हर इंसान जीवन भर भटकते रहते हैं। शांति है, हर शख्स भक्ति के रस में डूबा होता है। दरअसल कहते हैं न की कभी कभी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में ठहराव लाना जरूरी होता है तो वहीं ठहराव वाराणसी शहर प्रदान करता है।
कैसा लगता है वाराणसी में
वाराणसी का सही तरह से विश्लेषण तभी मुमकिन है जब आप स्वयं इस धार्मिक पर्यटन स्थल पर आएं और खुद एक्सपीरियंस करें। क्योंकि लाइफ में कुछ जगह खुद के लिए ही होती है।
भारत की राजधानी दिल्ली से 900 किलोमीटर की दूरी पर शिव की नगरी वाराणसी में पहुंचते ही खुद को अलग देश से आया हुए शख्स की भांति महसूस करेंगे। ऐसा लगेगा की मानो भारत एक अलग देश है और वाराणसी एक अलग देश। जहां भाग दौड़ नहीं, मात्र मौजूद है एक शक्ति जो लोगों को जिंदगी की सच्चाई से रूबरू कराती है।
ऋषिमुनियोँ के अनुसार अगर आप हिंदू धर्म से तालुक्कत रखते हैं तो आपके जीवन का आखिरी पढ़ाव ही है वाराणसी। जीवन में चल कर दौड़ कर थक जाने के बाद जो शांति चाहता है शख्स उसकी शांति की पहचान है वाराणसी।
वाराणसी की क्या क्या बातें हैं फेमस
वाराणसी की यूं तो हर बात ही खास है। अगर आप कभी बनारस आ रहे हैं तो निम्मिनलिखित चीजें अपने साथ जरूर लें ताकि यह आपको बाद में याद आता रहेगा की आपने यह चीज बनारस से खरीदी थी।
बनारसी साड़ी
वाराणसी अपनी सिल्क साड़ियों के लिए दुनिया भर में फेमस हैं। इसकी क्वालिटी तो सुंदर होती ही हैं साथ साथ इनमें की गई कलाकारी भी सभी को मोह लेती है। यहां हर जगह से भिन्न भिन्न रेंज में साड़ियां खरीद सकते हैं।
शिवलिंग
वाराणसी को शिव की नगरी कहा जाता है, हर जगह शिव का वास है इस जगह। इसीलिए अपने साथ शिव जी का ही प्रतीक घर पर लेकर स्थापित कर दीजिए। हर साइज में शिवलिंग वाराणसी में उपलब्ध है।
गुलाबी मीनाकारी
वाराणसी में कला और संस्कृति का काफी बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिलता है। Gai ghat पर कलाकार गुलाबी मीनाकारी करते हैं। यह वाराणसी का पर्मुख art form है।
कांच के मोती
कांच के मोती बनाने की सबसे बड़ी फैक्ट्री वाराणसी ही स्थित है। पर्यटक वाराणसी के लोकल मार्केट से इसे खरीद सकते हैं। यह हाथ से बनाया जाता है जो लोगों को बेहद आकर्षित करते हैं।
लकड़ी के खिलौने
दुनिया भर में मिलने वाले प्लास्टिक के खिलौने आपने अपने बच्चों के लिए काफी खरीदें होंगे लेकिन अब बनारस आएं तो खिलौना लकड़ी का लीजिएगा। यह बेहद ही बेहतरीन तरीके से बनाए गए होते हैं जो घर में बेहद ही खूबसूरत लगते हैं। इसके अलावा भी आप वाराणसी से काफी चीजें खरीद सकते हैं।
वाराणसी में आए तो यह जरूर करें
वाराणसी में घूमने लायक काफी कुछ है इसीलिए यहां आए हुए पर्यटक को पूरा समय निकालकर ही वाराणसी आने का प्लान बनाना चाहिए। यूं तो वाराणसी में भी पर्यटक वहीं करेंगे जो वे देश के विभिन्न टूरिस्ट स्पॉट पर करते हैं किंतु वाराणसी जैसा एक्सपीरिएंस आपको दूसरी जगह नहीं मिलेगा।
गंगा पर नांव की सैर
वाराणसी में की गई नाव की सैर जीवन भर खुशी देने का काम करेगी। सुबह के समय 5:30 से 8:00 बजे के मध्य नांव की सैर के दौरान सूर्य उदय का नजारा मनमोहक लगेगा।
गंगा नदी में स्नान
वाराणसी में गंगा मां का आशीर्वाद सदैव रहता है। भारत की और दुनिया की सबसे पवित्र नदी गंगा के समीप बने 84 घाट इसकी चकाचौंध बढ़ाते हैं। हिंदू धर्म में गंगा में नहाना काफी शुभ माना गया है।
घाटों की सैर
वाराणसी की बात हो और उसमे घाटों की बात न हो ऐसा मुमकिन नहीं। यह घाट ही वाराणसी की असली पहचान है। शाम सूरज ढलने के समय घाटों पर सैर करने का अपना ही अलग मजा है।
गंगा सायं आरती
शाम के समय की गंगा आरती में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त जरूर करें। भक्ति और संगीत का अनमोल मिलन वाराणसी में ही संभव होता है। इस आरती में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
निष्कर्ष
वाराणसी में घूमने लायक काफी कुछ है इसीलिए यहां आए हुए पर्यटक को पूरा समय निकालकर ही वाराणसी आने का प्लान बनाना चाहिए। यूं तो वाराणसी में भी पर्यटक वहीं करेंगे जो वे देश के विभिन्न टूरिस्ट स्पॉट पर करते हैं किंतु वाराणसी जैसा एक्सपीरिएंस आपको दूसरी जगह नहीं मिलेगा।
गंगा पर नांव की सैर
वाराणसी में की गई नाव की सैर जीवन भर खुशी देने का काम करेगी। सुबह के समय 5:30 से 8:00 बजे के मध्य नांव की सैर के दौरान सूर्य उदय का नजारा मनमोहक लगेगा।
गंगा नदी में स्नान
वाराणसी में गंगा मां का आशीर्वाद सदैव रहता है। भारत की और दुनिया की सबसे पवित्र नदी गंगा के समीप बने 84 घाट इसकी चकाचौंध बढ़ाते हैं। हिंदू धर्म में गंगा में नहाना काफी शुभ माना गया है।
घाटों की सैर
वाराणसी की बात हो और उसमे घाटों की बात न हो ऐसा मुमकिन नहीं। यह घाट ही वाराणसी की असली पहचान है। शाम सूरज ढलने के समय घाटों पर सैर करने का अपना ही अलग मजा है।
गंगा सायं आरती
शाम के समय की गंगा आरती में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त जरूर करें। भक्ति और संगीत का अनमोल मिलन वाराणसी में ही संभव होता है। इस आरती में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
निष्कर्ष
जीवन में एक बार वाराणसी हर शख्स को जरूर जाना चाहिए। यह सिर्फ हिंदू धर्म के लिए पावन नहीं अपितु पूरे हिंदुस्तान के लिए पावन है। इसके अलावा कई महान ऋषिमुनियों का जन्म स्थल है यह वाराणसी। यहां हिंदू धर्म के मंदिर तो हैं लेकिन साथ ही साथ बौद्ध धर्म, इस्लाम एवं क्रिश्चियन धर्म के कई स्पिरिचुअल जगह वाराणसी में मौजूद है।
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