शराब आज आमजन में लोकप्रिय पेय पदार्थ बन चूका है, युवा लोग इसे अपने जीवन का भाग बना चुके है. शौक को पूरा करने के लिए जीवन में अपनाए गए इस जहर को प्रतिबंधित करने के लिए बिहार सरकार द्वारा सम्पूर्ण राज्य में शराब को पूर्णरूप से प्रतिबंधित कर दिया गया.
बिहार राज्य से प्रभावित होकर देश के कई अन्य राज्यों में भी यह पहल देखने को मिली जिसमे गुजरात, नागालैंड, मिजोरम में भी शराब पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। सरकार द्वारा युवाओ के लिए इन नियमो का उलंघन करने पर सजा का प्रावधान भी किया गया है.
शराबबंदी की आवश्यकता
भारत जैसे विकासशील देश में जहा देश के युवा लगभग शत प्रतिशत साक्षर है, वहा हमें शराब बंदी की क्यों आवश्यकता पड़ती है? एक युवा खुद के प्रति इतना जागरूक नही हो सकता? अपने स्वास्थ्य के ख्याल के लिए सरकार को शराब बंद करना पड़ता है.
यदि हम अपने नजरिये से देखे तो यह एक नशा है, जो जानलेवा तथा एक लत का रूप है. इसके लाभ ना मात्र के बराबर है. विपरीत अपने नुकसान है. शराब व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेती है. इससे व्यक्ति को हांसिल कुछ भी नही होता है.
एक शराबी को शराब के नशे से खोने के लिए सबकुछ होता है, पर पाने के लिए कुछ भी नही. पैसा, परिवार, सुख-चैन, रिश्ते, चरित्र और इज्जत सबकुछ छीन लेता है, एक शराब का नशा. वो पदार्थ जिसके फायदे न मात्र हो तथा नुकसान ही नुकसान हो उसका प्रतिबंधित होना लाजमी है. और किया जाना चाहिए.
निष्कर्ष
एक जिम्मेदार नागरिक तथा एक जिम्मेदार सरकार को इस परस्थिति से युवाओ को बाहर निकालने के लिए अपने हरसंभव प्रयासों द्वारा इस मामले को गंभीरता से लेकर देशभर में मादक पदार्थो को बंद करना चाहिए.
शराब पीने वालो के साथ ही साथ शराब बनाने वाले तथा बेचने वालो के खिलाफ भी ठोस कदम उठाने चाहिए. ताकि हमारे देश के भविष्य को नशे की लत से मुक्त जीवन प्रदान किया जा सकें.
निबंध 2 (400 शब्द) – शराब: एक सामाजिक कलंक
परिचय
आज हमारे देश के युवाओ के लिए शराब एक सामान्य पेय पदार्थ है, जिसे पीना कोई लत या नशा नही है. जो उनकी साक्षर होने की योग्यता पर सवाल करता है. एक बेहतर देश और बेहतर समाज निर्माण के लिए नशामुक्त समाज का होना बहुत आवश्यक है.
नशे से मुक्त व्यक्ति को यदि हम पिछड़े हुए समाज और अनुशासनहीन, असामाजिक व्यक्ति मानते है, तो हमें अपने नजरिये को बदलने की जरुरत है. एक समाज नशामुक्त होना समाज की सुन्दरता तथा सुरक्षा को सुनश्चित करती है.
शराब: एक सामाजिक कलंक
एक समाज जहा सभी लोग शराब का सेवन एक पेय पदार्थ की तरह करते है, वहा अपने आप को शर्ब से दूर बनाए रखना अपने आप में एक चुनौती होती है.
समाज में जहा शराब का अधिपत्य होता है, वहा किसी भी व्यक्ति का शराब न पीना उसके रिश्तो और संबंधो को कमजोर करता है. पर माहौल की स्थिति में व्यक्ति सभी को देककर अपने आप को उसी आग में झोंक देता है.
शराब एक दुष्प्रभावी नशा है, यह जीवन को बर्बाद कर देता है. यह जानलेवा है. यह सभी जानते हुए भी इसका व्यापर चलता है, उसे पीने वालो की संख्या बढ़ रही है, तथा युवा लोग इसके प्रभावों को ठीक तरह से जानने के बावजूद भी इसकी ओर खींचे चले आ रहे है.
यह एक ऐसा नशा है, जो व्यक्ति की मृत्यु का कारण नही बनता बल्कि यह समाज की मान, मर्यादा को भी मार देता है. यह नशेड़ी व्यक्ति के साथ ही समाज तथा कई परिवारों को उजाड़ देता है. यह समाज के लिए एक कलंग है. इससे समाज में कई दुष्कर्म होते है.
इसकी वजह से कई लोगो का जीवन बर्बाद होता है, एक घर का एक शराबी पुरे परिवार को बर्बाद कर देता है. उससे सभी प्रभावित होते है. सरकार को नशे को लेकर ठोस कदम उठाने चाहिए. तथा राष्ट्रिय स्तर पर इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
कई बार हमारे सामने यह सवाल भी आया होगा, कि सरकार शराब के दुष्प्रभावो को जानते हुए भी इसे बंद क्यों नही करती है? इसका कारण है, अर्थव्यवस्था में शराब कारोबार की हिस्सेदारी. सरकार खुद शराब का कारोबार चलाती है. जिससे मुनाफा आता है.
हर वर्ष शराब की खपत तेजी से बढती जा रही है. सरकार शराबबंदी की बात मात्र करता है, और खुद व्यापर में शामिल रहती है, जिस कारण शराब के कारोबार में कमी की बजाय तेजी से वृदि हो रही है.
निष्कर्ष
हम सभी केवल इसके लिए सरकार को ही दोषी नहीं ठहरा सकते है, क्योकि इसके लिए सबसे पहले हम खुद और हमारा समाज सबसे बड़े जिम्मेदार होते है. हमें अपने समाज और व्यक्तिगत स्तर पर कुछ ऐसे नियम बनाकर शराब से मुक्त होना तथा सभी को कराना हमारा दायित्व है.
अपने आप में बदलाव लाने का जिम्मा हमारा होता है, तथा हम अपनी तथा अपने समाज की कमियों को सुधार सकते है. कुछ समाज ऐसे है, जहा आज भी शराब पीना अपराध है. ऐसे नियमो को अपने समाज में लाकर अपने समाज को नशामुक्त बनाना आवश्यकत है.
शराब पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए पर निबंध (500 - 600 शब्द)
परिचय
हमारे देश के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शराब सेवन एक चिंतनीय विषय के रूप में उभरा है किसी भी पदार्थ का अधिक सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता ही है साथ ही साथ नशे का अत्यधिक सेवन करना हमारे लिए जानलेवा भी हो सकता है।
शराब की लत व्यक्ति के जीवन के साथ ही साथ उसके व्यक्तित्व, आर्थिक स्थितिऔर उसके परिवार समाज और मान सम्मान को भी बर्बाद कर देता है आज के युवाओं को शराब का नशा अपना आदी बना चुका है। शराब के बढ़ते दुष्प्रभाव और इसके दुष्परिणामों के कारण ही इसे प्रतिबंध करना एक उचित पहल होगी।
शराबखोरी एक आम प्रवृत्ति बनती जा रही है
शराब आज के समय में एक नशे के साथ ही लोगों की आम प्रवृत्ति में प्रवेश कर रहा है सामान्यत शादी- विवाह, समारोह, पार्टी, त्योहार और अन्य अवसर पर शराब का सेवन करना आम बात हो चुकी है बहुत से लोग शराब पीना अपने आप में एक आत्मसम्मान की भावना मानते हैं।
जब कोई व्यक्ति शराब की पार्टी में भाग नहीं लेता है या शराब नहीं पीता है तो उसे निम्न वर्ग का मान लिया जाता है आज के समय में शराब के नशे से सबसे ज्यादा प्रभावित युवा हो रहे हैं जिसमें सबसे अधिक विद्यार्थी हैं वह शराब को आनंद फानंद में अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं और अपने भविष्य को बर्बाद कर देते हैं।
स्वाद के लिए शुरू किए गए इस शराब की हमारी हमारे जीवन को ले डूबती है। एक नशेड़ी व्यक्ति जीवन में हमेशा असफल ही होता है क्योंकि उसकी मानसिक संतुलन और बौद्धिक क्षमता संपूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाती है।
शराब के सेवन से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है
शराब की सेवन से व्यक्ति की संवेदनशीलता के साथ ही उसकी बौद्धिक क्षमता तर्क क्षमता समाप्त हो जाती है। शराब पीने के बाद व्यक्ति अपने नियंत्रण में नहीं रह पाता है.
वह नशे की बीमारी के कारण खुद पर नियंत्रण खो देता है जिस कारण व ना चाह कर भी विचित्र हरकतें करने लगता है। यह केस अत्यधिक मात्रा में शराब के सेवन से होती है इसके साथ ही शराब के सेवन से कैंसर जैसी भयानक और जानलेवा रोग उत्पन्न होता है।
यदि हम शराब को एक दवाई के रूप में थोड़ा सा लें तो यह हमारे लिए फायदेमंद भी होता है पर इसकी अधिक मात्रा हमारे लिए जहर का काम करती है। एक साथ अत्यधिक शराब के सेवन से हमारा लीवर खराब हो जाता है जो हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।
लीवर के साथ ही यह हमारे हृदय को भी प्रभावित करता है जिस कारण कई बीमारियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है इससे होने वाली भयानक बीमारियों में दिल का दौरा और कैंसर भी शामिल है जिसके द्वारा व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
शराब पर प्रतिबंध के फायदे और नुकसान
लाभ:
पारिवारिक विवादों और घरेलू हिंसा में कमी - अगर शराब मिलना कम हो जायेगा तो घर में लड़ाई झगडे में कमी आ जाएगी लड़ाई की जड़ शराब ही है शराबी को शराब पिने के लिए पैसो के कारण घर में लड़ाई जगड़े करने पड़ते है.
कुछ शराबी शराब पिने के बाद अपना आपा खो देते है जिसके कारण वह घर में परिवारजनों के साथ या अन्य किसी के साथ दुर्व्यवहार करते है इससे घर का व पास पड़ोस का माहोल खराब होता है शराब बंद होने से घरेलू हिंसा में भी कमी आएगी शराब बंद होने से नये शराबी नही बन पाएंगे
दुर्घटनाओं में आएगी कमी- शराब बंद होने से वहां दुर्घटना में कमी आएगी शराबी शराब पिने के बाद अपना संतुलन खो देते है और वह वाहन को लापरवाही से चलाते है शराब बंद होने से स्वयं को व निर्दोष व्यक्ति को नुकसान होने से बचाया जा सकता है
वित्तीय बर्बादी को रोका जा सकता है - शराब पीने में आर्थिक नुकसान भी एक बड़ा नुकसान है, इसकी प्रतिबन्ध से आर्थिक स्थिति को सही किया जा सकता है.
तथा धन को बचाया जा सकता है. कई परिवार शराब के कारण आर्थिक संकट का सामना करते है, उनके लिए शराब बंद होने से पैसो की जरुरत पूरी हो सकेगी.
शराब के सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं कम हो जाएंगी - शराब से या अन्य किसी भी नशे से होना वाला सबसे बड़ा नुकसान स्वास्थ्य सम्बंधित ही होता है. ऐसे में शराब बंदी से स्वास्थ्य स्तर को बेहतर किया जा सकता है. इससे होने वाले अनेक बीमारियों से खुद को बचाया जा सकता है.
शांति का माहौल- परिवार तथा समाज में शराबी व्यक्ति की वजह से हमेशा अशांति बनी रहती है, किसी न किसी वजह से आएदिन झगड़े होते रहते है. पर शराबबंदी से परिवार तथा समाज में शांति का माहौल बना रहेगा. व्यक्तिगत रिश्ते तथा सम्बन्ध अच्छे रहेंगे.
नुकसान:
सरकार को आर्थिक नुकसान - हमारे देश की अर्थव्यवस्था में शराब के व्यापार से काफी प्रतिशत योगदान रहता है. ऐसे में शराबबंदी से देश की अर्थव्यवस्था में आर्थिक नुकसान देखने को मिलेगा. राजकीय आय में कमी देखने को मिलेगी.
कालाबाजारी का चलन होगा - सरकार चाहकर भी नशे की लत में पागल लोगो को इस नशे से दूर नही कर सकती जिस कारण देश में कालाबाजार का चलन होने लगेगा जिससे शराब का व्यापार किया जाएगा.
शराब का कलाधंधा चलाया जाएगा, जिसमे महंगे दामो पर बेचकर नशेड़ियो का फायदा उठाया जाएगा. और व्यापारी मुनाफा कमाने में कामयाब होंगे. इसे हम अफीम के उदहारण द्वारा समझ सकते है. जो आज बंद होने के बाद भी देशभर में अफीम का सेवन किया जाता है.
विभिन्न भारतीय राज्यों में शराब पर प्रतिबंध- भारतीय सरकार शराबबंदी के लिए प्रयास कर रही है, पर यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर क्रांति लाएगी. ऐसे मामलो में विद्रोह भी संभव है. इसलिए सरकार देश के कई राज्यों में इसे प्रतिबंधित कर चुकी है. तथा इसे धीरे धीरे देश के सभी राज्यों में बंधित करेंगे.
देश के कुछ राज्यों में आज पूर्णरूप से मादक पदार्थो को बंद कर दिया गया है, जिसमे बिहार, गुजरात, नागालैंड, मिजोरम जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप शामिल है. यहाँ प्रतिबन्ध होने के बाद काफी हद तक बेहतर स्थिति देखने को मिली है.
निष्कर्ष
शराब एक नशा ही नहीं बल्कि हमारे परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए एक संकट है। एक जिम्मेदार नागरिक होते हुए हमारा दायित्व बनता है, कि हम सभी मिलकर सभी को शराब से मुक्त कराए तथा सरकार अपने कर्तव्यो को निभाते हुए शराबबंदी देशभर में करें. तथा इसके व्यापार को बंद करें.
शराबबंदी का महत्व, इतिहास
हमारे देश में बात शराब के सेवन की करें, तो लोग इसे कई बहानो से पीते है, कई लोग इसे गम में पीते है,तो कई इसे जश्न के समय में यानी हर समय शराब जरुरी है. आज के साक्षर युवाओ को शराब के नुकसान फायदे समझाने की आवश्यकता नही है.
देश के युवा यह जानते हुए भी शराब का सेवन करते है, कि शराब हमारे लिए जानलेवा होता है, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. इससे हमें अनेक प्रकार के रोग हो सकते है.
भारत में शराबबंदी का इतिहास :
भारत में शराबबंदी का विषय आज उजागर नही हुआ है. यह विषय गांधीजी द्वारा उजागर कर दिया गया था. गांधीजी ने शराब के सेवन को बुराई नही बल्कि बीमारी कहा उनके अनुसार इसका सेवन करना बीमारियों को आगाह करना है.
इसी कारण गुजरात में 1 मई, 1960 को शराबबंदी कर दी गई, जो बहुत पुराने समय की बात है, पर आज भी वहा शराब बंद होने के बाद भी लोग शराब का व्यापार करते है. तथा नशेडी लोग पीते भी है.
यही हालत बिहार में भी है, जहा अप्रैल 2016 को शराबबंदी की गई थी, पर सभी राज्यों में अवैध तरीके से शराब का व्यापर चलता है. जिससे शराब में मिलावट की जाती है. और कई लोगो की मौत शराब में मिलावट से हुई है.
ऐसे में इन परस्थितियो से बचाव के लिए कई राज्यों ने शराबबंदी ही नहीं की तथा कई राज्यों ने अपने शराबबंदी को वापस शुरू कर दिया. जिसमे मध्यप्रदेश प्रमुख राज्य है.
हर साल शराब के नशे के सेवन करने के बाद हजारो दुर्घटनाए होती है. जिसमे शराबी के साथ ही साथ बेकसूर लोग भी अपना जीवन गँवा देते है. शराब पीकर वाहन चलाना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है.
शराब के संबंध में भारतीय संविधान में प्रावधान:
राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत आर्टिकल 47 में राज्य स्वास्थ्य सुधार के लिए कार्य करेगा. तथा वे सभी मादक पदार्थो के सेवन से आमजन को बचाएगा, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
ऐसे पदार्थो पर सरकार रोक लगा सकती है. राज्य का यह भी दायित्व बनता है, कि वो नागरिको को अच्छे से जीवन जीने के लिए स्वतन्त्र रहे.
सविंधान की सांतवी अनुसूची में वर्णित है, कि शराब एक राजकीय विषय है. इस विषय में राज्य सरकार के पास यह शक्तिया होती है, कि वह इससे सम्बंधित सभी प्रकार के नियम बना सकती है. मादक पदार्थो के उत्पादन, निर्माण, कब्ज़ा, परिवहन, खरीद एवं बिक्री इन सभी पर राज्य सरकार का नियंत्रण होता है.
सवैधानिक प्रावधानों से यह स्पष्ट होता है, कि शराबबंदी हो या कोई मादक पदार्थ की बंदी को सविंधान एक लक्ष्य के रूप में देखती है. फिर राज्य सरकार शराबबंदी क्यों नही करती है? इसका मुख्य कारण राज्य की अर्थव्यस्था में इस कारोबार की भागीदारी जो बहुत ज्यादा है.
शराबबंदी की आवश्यकता क्यों?
शराबबंदी एक चिंतनीय विषय है, इस पर अमल करना जरुरी है. कई खोज के अनुसार यह हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, तो कई इसे हानिकारक बताते है. यदि हम शराब को एक दवाई के रूप में लें, तो यह हमारे लिए लाभदायक भी होता है. जिसमे कमजोर लोगो को ऊर्जा मिलती है.
एक युवा को इसे लेने की आवश्यकता नही है, इसे वृद्ध लोग दवाई के रूप में ले सकते है. कहते है, हर चीज की अति ख़राब होती है. उसी प्रकार शराब की अति भी ख़राब होती है. इसलिए इसे एक सीमा में पिया जाए तो यह सही भी है. पर इसे सीमा से अधिक पीते है, तो यह हमारे लिए नुकसानदायक साबित होता है.
महात्मा गांधीजी का लक्ष्य था, कि देश में एक भी शराबी व्यक्ति न हो जो शराब का सेवन करें. तथा हमारे समाज को बिगाड़े. उनके अनुसार एक समाज में गरीब व्यक्ति एक शराबी की तुलना में अच्छा होता है.
एक शराबी अपने साथ साथ समाज को दुष्प्रभावित करता है. जबकि एक गरीब खुद के लिए ही संघर्ष करता है. इसलिए उनके 1927 में कहे गए शब्दों को हमें आज समझने की जरुरत है. तथा एक गरीब बनकर रहना अच्छा है. एक शराबी बनकर रहने के बजाय. इसलिए अपने आदर्शो को मानकर शराब को जीवन से दूर रखे.
एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य बनता है, कि खुद शराब तथा अन्य मादक पदार्थो के सेवन से दूर रहे तथा और लोगो को इस जाल से बचाए. जो इस रोग का शिकार हो गया वो इसे छोड़ नही पाता है. इसलिए इसे टाल देना ही हमारे स्वास्थ्य के लिए उचित उपाय होगा.
आमजन की इस नशे से नाजुक स्थिति को देखकर कई राज्यों ने इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का फैसला भी किया पर आज के युवाओ द्वारा अवैध रूप से किये जा रहे काले धंधे तथा शराब में मिलावट द्वारा किये जा रहे खिलवाड़ से सरकार को पुनः शराब शुरू करने के लिए बाध्य किया है.
शराब एक खतरनाक रोग है, जिसकी छपेट में आने से बचे. जिसने शराब को छुआ है, वो छोड़ नही पाया है. इसलिए इसे दवाई या अन्य किसी भी तरीके से शुरू ना करें. सभी को नशामुक्त बनाए. तथा एक स्वस्थ जीवन का निर्माण करें.
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