Short Essay on Aryabhatt in Hindi आर्यभट्ट पर निबंध : प्रिय दोस्तों आप सभी का हम हार्दिक स्वागत करते हैं आज के लेख में हम भारत के ज्योतिषविद् और गणित के विद्वान् आर्यभट्ट के बारे में संक्षिप्त निबंध यहाँ बता रहे हैं. यह निबंध बच्चों के लिए विशेष उपयोगी हैं.
Short Essay on Aryabhatt in Hindi
अधिकतर विद्वान् भारतीय आचार्य आर्यभट्ट का जन्म 476 ई में मानते हैं. उनके जन्म वर्ष और स्थान के सम्बन्ध में कोई ठोस सबूत नहीं है, जो यह पुष्ट कर सके कि आर्यभट्ट का जन्म कब और कहाँ हुआ था.
आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम नामक ग्रंथ की रचना की थी. ये ज्योतिष विज्ञान और गणित के ज्ञाता थे. आर्यभट्ट ने अपने ग्रंथ में ज्योतिष शास्त्र के कई सिद्धांत, पृथ्वी सूर्य की दूरी तथा कई अवधारणाओं का प्रतिपादन किया. इस ग्रंथ में वे अपना जन्म स्थान कुसुमपुर बताते हैं.
भारत के प्राचीन वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने देश ने अपना सम्मान मानते हुए अपने पहले कृत्रिम उपग्रह का नाम भी उन्ही के नाम पर आर्यभट्ट रखा हैं. विज्ञान तथा गणित के क्षेत्र में उनकी देन भारतीय वैज्ञानिक के लिए विरासत हैं जिसे वे आगे बढ़ाकर मंगल तथा चन्द्रमा तक पहुँच पाए हैं.
भारत को जिस शून्य का आविष्कारक माना जाता हैं वह आर्यभट्ट की ही देन हैं. उनकी इस खोज ने इन्हें सदा सदा के लिए अमर बना दिया.
वे पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने पृथ्वी तथा सूर्य के बीच की दूरी, इनके चक्करों की गणना, पाई का मान तथा एक वर्ष मे 365 दिन की संकल्पना प्रस्तुत की थी.
उनकी बौद्धिक क्षमता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता हैं जब आर्यभट्ट मात्र 23 वर्ष के थे तब इन्होने अपने ग्रंथ आर्यभट्टीयम की रचना कर डाली थी.
महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट का देहांत 550 ई में हो गया था. गणित तथा अन्तरिक्ष में उनके शोध गणनाओं के लिए सदैव उनका स्मरण किया जाता रहेगा.
आर्यभट्ट ने आर्यभट्ट सिद्धांत दिया तथा इसमें गणित के कई उपभागों रेखागणित, वर्गमूल, घनमूल आदि की अवधारणा को विकसित किया, उनकी खगोल व अन्तरिक्ष सम्बन्धी गणना बहुत सटीक है. जिनका प्रयोग आज भी हिन्दू पंचाग तैयार करने में किया जाता हैं.