सितार पर निबंध essay on sitar in hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में हम सितार के बारे में बता रहे है. भारतीय संगीत में इस वाद्य यंत्र ( Musical instrument) का महत्वपूर्ण स्थान हैं. निबंध, स्पीच, अनुच्छेद के रूप में यहाँ सितार के बारे में जानकारी दी हैं.
सितार वादको में बड़ा नाम भक्त कवयित्री मीराबाई का नाम मुख्य हैं. ये कृष्ण भक्ति के पद व भजन सितार के साथ ही गाया करती थी. सितार के सुर आज के गानों में अधिक उपयोग में नहीं लाया जाता हैं. रन्जन वीणा में गिटार और सितार से अधिक माधुर्य मिलता हैं.
आधुनिक समय में सितार गायकी की लोकप्रियता का श्रेय पंडित रविशंकर को दिया जाना चाहिए, इन्होने इसे बड़े मुकाम तक पहुंचाया जाता हैं. इस कारण रविशंकर को सितार के जादूगर के नाम से भी जाना जाता हैं जो शास्न्त्रिय एवं शालीन शैली के महान संगीतकार हुए.
सितार पर निबंध | Essay On Sitar In Hindi
सितार वीणा तथा ईरानी तंबूरा का एक मिश्रित रूप होता है। इसका खोजकर्ता अमीर खुसरो को माना जाता है। यह भारत के सबसे पसंदीदा तथा सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्रों में गिना जाता है, इसका उपयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
सितार एक भारतीय वाद्य यंत्र है, क्योंकि इसमें भारतीय वाद्योँ की तीनों विशेषताएं हैं। भारतीय संगीत के मुख्य उपकरणों में सितार भी हैं. यह वीणा और तंदूरा का मिश्रित रूप माना जाता हैं. मध्य काल से वर्तमान तक इसके विकास काल में महत्वपूर्ण बदलाव आए.
ऐसा माना जाता हैं कि इसे फारस अथवा ईरान से भारत लाने वाले अमीर खुसरो थे. इस कारण सितार का जनक अथवा पिता आविष्कारक अमीर खुसरो को ही माना गया हैं जो प्रसिद्ध कवि, संगीतकार एवं दरबारी विद्वान् थे.
भारत के लोकप्रिय वाद्य यंत्रों में इसकी गिनती की जाती हैं. सितार को हिन्दू मुस्लिम मिश्रित शैली का यंत्र कहते हैं. इसका उपयोग प्राचीन शास्त्रीय संगीत से लेकर प्रत्येक तरह के संगीत में प्रयोग होता हैं.
भारतीय संगीत के जानकार इसे वीणा का विकसित रूप त्रितंत्री भी मानते हैं. जो पूर्णतया भारतीय वीणा का स्वदेशी स्वरूप है तथा इसमें कोई विदेशी योगदान नहीं हैं.
सितार के अन्य तार वाद्य यंत्रों की तीन विशेषताएं होती हैं इसमें तार के अतिरिक्त घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाएँ होती हैं. वर्तमान दौर में सितार की तीन शैलिया प्रसिद्ध हैं. जिन्हें तीन संगीत घरानों के रूप में जाना जाता हैं.
एक शैली को पंडित रविशंकर ने अपनाया जो सेनी घराने की शैली का परिष्कृत रुपी थी. सितार की दूसरी शैली इमदाद खानी शैली हैं यह अपनी मधुरता के लिए जानी जाती हैं इसके मुख्य संगीतकार विलायत खाँ थे. इसकी तीसरी मुख्य शैली मिश्रबानी थी. इसे लालमणि मिश्र ने निर्मित किया. मिश्र ने ही सितार को भारतीय वाद्य यंत्र माना है वे खुसरों को इसका जनक मानने वालों को स्वीकार नहीं करते हैं.
सितार वादको में बड़ा नाम भक्त कवयित्री मीराबाई का नाम मुख्य हैं. ये कृष्ण भक्ति के पद व भजन सितार के साथ ही गाया करती थी. सितार के सुर आज के गानों में अधिक उपयोग में नहीं लाया जाता हैं. रन्जन वीणा में गिटार और सितार से अधिक माधुर्य मिलता हैं.
आधुनिक समय में सितार गायकी की लोकप्रियता का श्रेय पंडित रविशंकर को दिया जाना चाहिए, इन्होने इसे बड़े मुकाम तक पहुंचाया जाता हैं. इस कारण रविशंकर को सितार के जादूगर के नाम से भी जाना जाता हैं जो शास्न्त्रिय एवं शालीन शैली के महान संगीतकार हुए.
भारतीय शास्त्रीय रागों की अनूठे स्वर निकल पड़ते जब इनकी अंगुलियाँ सितार पर पड़ती थी. भारत के बाहर विदेशों में सितार की लोकप्रियता फैलाने में इनका बड़ा योगदान रहा हैं.
दरअसल सितार एक तार वाद्य यंत्र हैं. भारतीय संगीत के तार वाद्यों में एक से पांच तक तार होते हैं इनमें एक तार वाले को एकतारा दो तार वाले को दोतारा चार तार वाले को चहरतारा तथा पांच तार वाले सितार को पंच तारा के नाम से जाना जाता हैं.
भारत में कई प्रसिद्ध सितार वादक हुए जिनमें पंडित रविशंकर, उस्ताद लियाकत खां, शुजात खान, पंडित उमाशंकर मिश्रा के नाम मुख्य रूप से इतिहास में दर्ज किये गये.
दरअसल सितार एक तार वाद्य यंत्र हैं. भारतीय संगीत के तार वाद्यों में एक से पांच तक तार होते हैं इनमें एक तार वाले को एकतारा दो तार वाले को दोतारा चार तार वाले को चहरतारा तथा पांच तार वाले सितार को पंच तारा के नाम से जाना जाता हैं.
भारत में कई प्रसिद्ध सितार वादक हुए जिनमें पंडित रविशंकर, उस्ताद लियाकत खां, शुजात खान, पंडित उमाशंकर मिश्रा के नाम मुख्य रूप से इतिहास में दर्ज किये गये.
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