कथनी और करनी निबंध Say and do a similar kathni aur Karni ek saman essay in Hindi एक अच्छे और चरित्रवान इंसान की कथनी और करनी एक समान हो यह बहुत आवश्यक माना गया हैं. आज हम इसी पंक्ति पर संक्षिप्त निबंध बता रहे हैं.
एक मानव के रूप में हम बहुत कुछ सोचते हैं. यहाँ तक कि हमारा मस्तिष्क प्रत्येक क्षण विचारों में लिप्त रहता हैं. एक अच्छी कहावत है कि आप भले जो भी सोचे मगर कहो वही जो तुम्हे करना हैं.
कथनी और करनी एक समान Kathni Aur Karni Ek Saman Essay in Hindi
इसका सरल अर्थ यही है कि हमें अपनी कथनी और करनी को एक समान रखने का प्रयत्न करना चाहिए.
भारतीय संस्कृति में कथनी और करनी को समान बनाने वाले मानव को महात्मा की उपाधि दी जाती है जो अपने मन, वचन तथा कर्म से पूरी तरह एक हो वह उत्तम श्रेणी का मानव बन जाता हैं.
बहुत से लोग केवल चिंतन करने में ही जीवन व्यतीत कर जाते हैं. बिना कुछ किये केवल चिंतन करना जीवन में निराशा और अन्धकार को जन्म देता हैं.
वैसे चिंतन करना तथा उसे व्यक्त करना भी कार्य का एक स्वरूप हैं. मगर केवल चिंतन में खोये रहने तथा भविष्य में सब कुछ करने व आज कुछ न करने की प्रवृत्ति मानव को अपने पथ से भटका देती हैं.
वैसे चिंतन करना तथा उसे व्यक्त करना भी कार्य का एक स्वरूप हैं. मगर केवल चिंतन में खोये रहने तथा भविष्य में सब कुछ करने व आज कुछ न करने की प्रवृत्ति मानव को अपने पथ से भटका देती हैं.
इसलिए तो कहा गया है काल करे सो आज कर, आज करे सो अब यानि भले कार्य को करने में देरी नहीं करनी चाहिए. हमें निरंतर कार्य को अच्छे तरीके से करने के विचारों को सोचकर उन्हें क्रियान्वित करना चाहिए.
यही हमारी कथनी और करनी में संतुलन स्थापित करेगा. महान अंग्रेजी कवि शेक्सपियर ने लिखा है कि मन में कोई अच्छा विचार आए तो उसे तुरंत क्रियान्वित कीजिए अन्यथा व मनपटल से मिट जाएगा.
इस तरह अच्छे विचारों को स्वीकार करते हुए हमें उनका लाभ उठाना चाहिए. हरेक इंसान के पास अपने कार्य को करने के अच्छे विचार तो होते हैं मगर समस्या यह है कि हम उन्हें कार्य के रूप में तब्दील नहीं कर पाते हैं.
इस तरह अच्छे विचारों को स्वीकार करते हुए हमें उनका लाभ उठाना चाहिए. हरेक इंसान के पास अपने कार्य को करने के अच्छे विचार तो होते हैं मगर समस्या यह है कि हम उन्हें कार्य के रूप में तब्दील नहीं कर पाते हैं.
कथनी और करनी पर निबंध Essay On Kathni aur Karni In Hindi
हम अपने आस पास ऐसे बहुत से लोग देखते है जो कहते तो कुछ ही करते और कुछ ही अर्थात उनकी कथनी और करनी में बड़ा भेद होता हैं.
दरअसल अपनी कथनी को करनी में बदलने के लिए अपार साहस और दृढ इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती हैं व्यक्ति अपने मानसिक साहस के दम पर ही इन्हें एक कर सकता हैं.
आलस्य तथा कमजोर मनोबल के कारण व्यक्ति अपनी कथनी को करनी में नहीं बदल पाता हैं ऐसा करने के लिए निरंतर संघर्ष एवं कठिन प्रयत्न की आवश्यकता होती हैं.
कई बार इस कहावते सुनने में बड़ी प्रिय होती हैं मगर उन्हें जीवन में चरितार्थ करने की बात आती है तो अमूमन लोग उतना साहस भी नहीं करते हैं.
कमजोर मन के चलते ही व्यक्ति की कथनी और करनी में फर्क आता हैं. व्यक्ति जितना अधिक साहसी और मन से शक्तिशाली होगा उसकी कथनी और करनी में भेद बेहद कम होगा.
अंग्रेजी की मशहूर कहावत है कि करनी से अधिक कथनी बोलती हैं. लोग इसके महत्व को भूल चुके है हर कोई बिना मेहनत के फल प्राप्ति की इच्छा करते हैं. बहुत से लोग ऐसे मिलेगे जो कहेगे बहुत ठंड है मगर गर्मी पैदा करने के वो कोई हल नहीं खोजेगे.
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