धन पर निबंध Essay on Money in Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत है धन, दौलत पैसा आज हरेक इंसान की अहम जरूरत एवं ख्वाइश होती हैं. आज का निबंध , भाषण, स्पीच, अनुच्छेद, लेख , आर्टिकल, शोर्ट पैराग्राफ जीवन में धन के महत्व / उपयोगिता (Importance In Life), धन ही सब कुछ है या धन कुछ नहीं है (मनी इज एवरीथिंग) पर आज का निबंध लिखा गया हैं. उम्मीद करते हैं यह आपकों पसंद आएगा.
धन पर निबंध Essay on Money in Hindi
पैसा अर्थात धन जीवन की आवश्यकताओ की पूर्ति का अहम साधन हैं न कि साध्य, हम धन के द्वारा ही सभी आवश्यक वस्तुएं खरीद पाते हैं. धन के महत्व को कोई नहीं नकार सकता मगर इसके महत्वहीन उपयोग और अधिक से अधिक पाने की चाहत मनुष्य को बहुत नीचे गिरा देती हैं.
प्रत्येक समय संसार के अधिकतर लोगों के मस्तिष्क में एक विचार चलता है वह है अधिक से अधिक धन कमाने के आसान से आसान तरीके और उपाय.
भारतीय संस्कृति में धन जिसे अर्थ के रूप में सम्बोधित किया जाता हैं जीवन के चार अहम कर्तव्यों में गिना जाता हैं. व्यक्ति को धनार्जन की आयु में अपने कुटुंब के जीवन यापन उनकी इच्छाओं अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए धन कमाना उचित हैं.
मगर गलत तरीको से कमाया गया धन जीवन के लिए विष के समान होता है, हम धन की मदद से बहुत कुछ अर्जित कर सकते हैं. मगर सुख, प्रेम, ख़ुशी और प्रेम को को नहीं पा सकते हैं.
धन पर निबंध, Essay on Money in hindi (100 शब्द)
पृथ्वी के अन्य जीवों तथा प्राणियों को छोड़कर धन मनुष्य की अहम जरूरत हैं जिसकी मदद से वह अपनी सभी जरूरतों की पूर्ति कर पाता हैं.
हमारे दैनिक जीवन की कई मूलभूत जरूरतों यथा रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा ईलाज आदि की पूर्ति के लिए धन का होना परिहार्य हैं इसतरह हम कह सकते है कि धन के बिना जीवन व्यतीत करना बेहद मुश्किल हो सकता है मगर असम्भव तो कतई नहीं.
बहुत से लोग धनाभाव में अथवा बेहद अल्प धन के सहारे ही जीवन काट लेते हैं. जीवन में ख़ुशी, स्नेह प्रेम और रिश्तों को अधिक मजबूत और खुशहाल बनाने में पैसा अपनी भूमिका अदा कर सकता हैं. मगर धन ही इनका स्रोत कभी नहीं हो सकता हैं.
एक दम्पति के रूप में व्यतीत को परिवार के गुजर बसर के लिए धन की आवश्यकता तो होती ही हैं मगर उसके साथ ही साथ स्नेह, मार्गदर्शन तथा मन की शान्ति तनाव मुक्ति आदि की जरूरत भी होती हैं.
जीवन को अधिक आरामदेह बनाने की होड़ में धन पथभ्रमित कर हमें अपनों से अकेला भी कर देता हैं. इसलिए उतना ही कमाएं जो हमारी जरूरतों को पूरा कर सके साथ ही हम उस धन का सदुपयोग कर सके उसे नियंत्रित कर सके.
धन का महत्व पर निबंध
हरेक दौर में धन मूल्यवान रहा हैं मगर आज का भौतिकतावादी आपाधापी का जमाना इसकी कुछ अधिक ही चाहत को जन्म देता हैं. हमारा चंचल मन अधिक से अधिक सुखी एवं उसके बाद भविष्य को धन की मदद से अधिक सुखी बनाने के जुगाड़ में लगा रहता हैं.
कई बार हम यह अनुभव करते है कि पैसा ही सब कुछ हैं लोग चंद रूपयों की खातिर अपना ईमान बेच देते हैं किसी की जान लेने तक से नहीं हिचकते हैं.
धन की शक्ति और जादू ही कुछ ऐसा ही होता हैं यह अच्छे अच्छों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता हैं, हमारे घर के संस्कार ही बच्चों को धन की लालसा तथा संग्रह की प्रवृत्ति को जन्म देते हैं.
जब बच्चा स्कूल जाने में आनाकानी करता हैं तो मम्मी पापा उसे पैसे देकर स्कूल भेजने के लिए राजी करते हैं. हमारी यही सोच गहरी होती जाती हैं.
और एक दिन हम अपने, अपने परिवार समाज, देश के लिए कुछ करने की बजाय पैसे के लिए सब कुछ करने लगते हैं. हमारा समस्त क्रियाकलाप दौलत पर केन्द्रित हो जाता हैं जो कई मायनों में घातक हैं.
धन के रूप FORMS OF MONEY
जब हम बीमार पड़ते है तो हमें ईलाज के लिए अच्छी दवाई और डॉक्टर की मदद लेनी पड़ती है ऐसे में भले ही हमारे अपने काम न आए हमें स्वस्थ बनाने में हमारी पूंजी मदद करती हैं. आज के दौर में धन के कई रूप हैं जिन्हें हम आमतौर पर दौलत, पूंजी या सम्पति के रूप में परिभाषित करते हैं.
सोने चांदी आभूषण, हमारी जमीन जायदाद घर उद्योग काम काज, डिजिटल मनी, सिक्के या नोट्स, ई मुद्रा जैसे कई स्वरूप हमारे समक्ष रहते हैं.
कई लोग भविष्य की सुरक्षा के लिए बीमा अथवा बचत योजनाओं में धन लगाकर भविष्य के लिए बचाते है, तो अन्य वर्तमान में अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए शेयर बाजार जैसे प्रक्रमों में धन लगाते हैं.
धन से लाभ ADVANTAGES OF MONEY
यदि हम धन के फायदे और गुण गिनने लगे तो ये असीमित होंगे इसकी वजह हमारे जीवन में धन की गहरी उपयोगिता हैं. समस्त लौकिक सुखो जैसे अच्छा घर बनवाना, फ़ार्म हाउस रखना, बढ़िया गाडी लेना, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाना आदि में धन लाभदायक है तथा हमारे इस तरह के जीवन लक्ष्यों की पूर्ति कर सकता हैं.
आज पैसा सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन चूका हैं. समाज में सम्मानित जीवन वही लोग जीते हैं जो धनवान हैं. गरीब लोगों की कोई आवभगत नहीं हैं.
हमारे यहाँ एक अच्छी कहावत है जब तक जेब मे पैसा हैं लोग पूछेगे तू कैसा हैं. यह सच्चाई हैं क्योंकि धन के बिना व्यक्ति न अच्छी शिक्षा पा सकेगे न अच्छे वस्त्र भोजन, ईलाज करवा पाएगा, इसलिए सम्मानित जीवन जीने में धन मददगार साबित होता हैं.
दैनिक जीवन में धन के मामले में सबसे बड़ा अंतर गरीब और अमीर व्यक्ति की खानपान में नजर आता हैं. एक तरफ अमीर लोगों के लिए खाने के लजीज पकवान बनते है तो वहीं गरीब को दो वक्त की रोटी सुलभ नहीं हो पाती हैं,
यह सच्चाई है अमीरों के कुत्ते जिस ठाठ बाट से जीवन जीते हैं वह हमारे गरीब भाई बहिनों को भी नहीं नसीब हो पाता हैं. इस जमीन आसमान के अंतर का मूल कारण पैसा ही है जो अमीर के पास अपार है जबकि गरीब के पास खाने तक का नहीं हैं.
आम आदमी जीवन की जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में अपनी जिन्दगी बिता देता हैं. वह साधारण उपयोग की चीजे मोबाइल, एसी, गाड़ी, फ्रीज, अच्छा घर पाने के लिए जीवन भर पाई पाई जोड़ता रहता हैं.
रोजाना वह किराणे की दूकान, बिजली के बिल के भुगतान की कतार या बस व रेल में धक्कामार जीवन जीने को मजबूर रहता हैं. वही अधिक धन वाले लोग एक आदेश से अपनी ख्वाइशे पूरी कर लेते हैं.
यात्रा के लिए स्वयं की गाड़ी या विमान अथवा फर्स्ट क्लास की टिकट से सफर करते हैं. जितना तेजी से धन का प्रवाह तेजी से बढ़ा है उतना ही हमारा जीवन असुरक्षित होता जा रहा हैं,
दिन दहाड़े चोरी डाके, हत्या जैसे कृत्य पैसों के लिए कर दिए जाते हैं. एक सम्पन्न व्यक्ति अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा के लिए गार्ड या बॉडीगार्ड का प्रबंध कर लेते हैं. जबकि अभावों में जीने वालों के लिए दो जून की रोटी का प्रबंध भी मुश्किल रहता हैं.
धन से हानि DISADVANTAGES OF MONEY
ऐसा नहीं है धन होने का मतलब लाभ ही लाभ है बल्कि इसके कई सारे दुष्परिणाम भी हैं. अधिकतर से हम अच्छी तरह रूबरू भी हैं. आज अपराध की जड़ पैसा ही हैं.
चाहे वह प्रत्यक्ष रूप में हो या अप्रत्यक्ष रूप से. लोग नैतिक अथवा अनैतिक तरीके से धन पाने की चाहत में किसी दूसरे की सम्पति लूटने उसे बर्बाद करने के लिए चोरी लूटपाट, सुपारी जैसे कृत्य अंजाम दे देते हैं.
व्यक्ति को अनैतिक बनाने में जितना योगदान पैसे का है उतना अन्य किसी का नहीं हैं. अधिक पाने के लिए गलत उपयोग से भी बाज नहीं आते हैं.
भ्रष्टाचार की समस्या के मूल में पैसा ही हैं. देने वाला अपना काम या अपने प्रति सहूलियत चाहता है रिश्वत लेने वाला अपने ईमान की कीमत लगाता हैं. इस तरह सरकारी दफ्तर के चपरासी से लेकर महकमों के आला अधिकार अपनी लम्बी जेब सिलवाते हैं.
नेता लोग अपना घर भरने के लिए सरकारी योजनाओं का पैसा हडप कर जाते हैं. इन समस्त चारित्रिक पतन के कुकर्मों में धन का ही हाथ है उसी को ही पाने की लालसा हैं.
धन न सिर्फ लालच, इर्ष्या और अपराध को जन्म देता हैं बल्कि शोषण का कारण भी बनता हैं. गरीब मजलूम व्यक्ति चाहे वह फेक्ट्री में काम करने वाला मजदूर हो या सुरक्षा गार्ड उन्हें कम से कम वेतन में अधिक से अधिक काम करवाया जाता हैं.
धनाढ्य लोग शोषित व पिछड़े लोगों का शोषण कर अपनी अमीरी का ग्राफ बढ़ाने में लगे रहते हैं. जिस कारण गरीब ओर अधिक गरीब हो रहा है. तथा अमीर अधिक अमीर.
धन की सीमायें LIMITATONS OF MONEY
यदि आप सोचते है संसार के समस्त सुखो की खान धन हैं. पैसा ही सब कुछ है और आप जब सबसे अमीर बन जाएगे तो सबसे खुश इंसान होंगे. तो आप बिलकुल गलत हो सकते है, पैसे की अपनी एक सीमा होती हैं.
वह उस दायरे तक सम्भव चीजे दिला सकता हैं. कितना भी धन हो आप एक मृत इंसान में जान नहीं फूक सकते हैं. नही आप किसी माल में जाकर अपनी दौलत की बदौलत सुख, मन की शान्ति और खुशियों को खरीद सकते हैं.
यदि आप किसी का प्यार पाना चाहते हैं तो भी पैसे के दम पर नहीं पा सकते हैं. पैसा मात्र आवश्यक जरुरतो व विनिमय का साधन हैं. यह न कभी जीवन था न कभी हो सकेगा.
मनी ऑर्डर पर निबंध Essay on Money Order In Hindi
डाक विभाग में मनीऑर्डर एक ग्राहक सुविधा सेवा हैं जिसकी मदद से एक व्यक्ति अन्य व्यक्ति को धन भेज सकता हैं. मनी ऑर्डर के द्वारा भारत में तथा भारत के बाहर के देश जिनके साथ मनी आर्डर करार हैं वहां आसा नी से पैसा भेजा अथवा मंगाया जा सकता हैं.
ज्ञात हो भारत के 27 देशों के साथ मनी आर्डर भेजने की सेवा चलती हैं. यह प्रक्रिया दो तरफा हैं एक पैसा भेजना तथा दूसरा मंगाना. नेपाल तथा भूटान के साथ ही दो तरफा सेवाएं चलन में हैं
अन्य 25 देशों से केवल मनी आर्डर आने की सुविधा हैं. इसका अर्थ यह है विदेश में रहने वाला व्यक्ति मनी ऑर्डर के माध्यम से भारत में भुगतान पा सकता हैं.
भले ही आज के जमाने में डिजिटल लेन देन का चलन इतना प्रचलित हैं. पूर्व में धन प्रेषण की उतनी सुविधाएं नहीं थी. अतः एक स्थान से दूसरे स्थान पर मनी ट्रांसफर के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा मनी ऑर्डर सेवा की शुरुआत की गई थी.
मनी ऑर्डर की सुविधा आज भले ही उतनी प्रासंगिक व उपयोगी नहीं रही हो. मगर आज से तीन दशक पूर्व तक यही पैसे की आवाजाही का बड़ा माध्यम हुआ करती थी.
उद्योगों के विकास तथा व्यापार की उन्नति में इसका अहम योगदान रहा हैं. भारतीय डाक विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मनी ऑर्डर सुविधा की शुरुआत वर्ष 1986 में की थी.
इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर सेवा आधुनिक अवधारणा है जो 1986 में पांच देशों के साथ आरम्भ हुई थी. अब भारत 97 अन्य देशों के साथ ई मनी ऑर्डर सेवा से जुड़ा हैं.
देश के बड़े शहरों में विदेशी मुद्रा विनिमय कार्यालय खुले हैं जहाँ से विदेशी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित कर संबंधित ग्राहक को डाक सेवा के जरिये पहुचाया जाता हैं.
डाकघर ग्राहकों को मनी ऑर्डर के द्वारा धन भेजने के लिए समर्थ बनाता हैं. यह पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी एक आदेश है जिसके मिलने पर प्राप्तकर्ता डाकघर लाभार्थी व्यक्ति को नकद के रूप में भुगतान करता हैं.
मनी ऑर्डर में जिस व्यक्ति का नाम लिखा होता हैं. संबंधित ऑर्डर की धनराशी उसी व्यक्ति को प्राप्त हो सकती हैं. इस सेवा का बड़ा लाभ यह है कि कोई व्यक्ति प्रदेश में काम करता हैं तो मनी आदेश के जरिये अपने घर पर पैसे भेज सकता हैं.
एमओ के जरिये पैसे भेजने की प्रक्रिया बेहद आसानी है जितना कि किसी को डाक भेजना हो. इसके लिए सबसे पहले पोस्ट ऑफिस का विजिट करना होगा. काउंटर से मनीऑर्डर का form प्राप्त कर उसमें मांगी गई सभी जानकारी भरे तथा हस्ताक्षर या अंगूठा देकर रकम समेत फॉर्म जमा करा देवे.
मनी ऑर्डर के साथ प्रेषक यदि कोई संदेश पहुचाना चाहते हैं तो भी लिख सकते हैं. एक एम ओ की अधिकतम धन की अवधि 5000 हजार रू हैं.
यदि आपके किसी मित्र या रिश्तेदार के नाम मनी ऑर्डर भेजा है तथा प्राप्तकर्ता द्वारा अभी तक उसे प्राप्त नहीं किया हैं तो आप उसमें इच्छित बदलाव करा सकते हैं.
डाकघर जाकर एक आवेदन पत्र के माध्यम से आप भेजे गये एमओ में सुधार उसे रोकने, पते विवरण या लाभार्थी का नाम बदलने का अवसर भी रहता हैं. इसके लिए डाक घर आपसे कोई शुल्क भी वसूल नहीं करता हैं.
विश्व में मनी ऑर्डर प्रणाली का इतिहास लगभग दो सौ वर्ष पुराना हैं. इस प्रणाली को पहली बार ब्रिटेन की एक निजी इकाई द्वारा 1792 में चलाया गया. मगर कमिशन शुल्क अधिक होने के चलते विनिमय का यह प्रयास सफल नहीं हो पाया था.
उस फर्म ने इस प्रणाली को 1836 में एक अन्य फर्म को बेच दिया जिसने कमिशन के शुल्क को कम करके इसे समूचे ब्रिटेन में लोकप्रिय बना दिया. विश्व में 1 जनवरी 1881 को पोस्टल ऑर्डर सिस्टम की विविधत शुरूआत हो गई.
यदि हम भारत में मनीऑर्डर सेवा के इतिहास व शुरुआत की बात करे तो 140 वर्षों से चली आ रही डाक विभाग की यह सेवा 1880 में शुरू हुई थी, जिसे अब विराम लगाया जा चूका हैं.
देश के डेढ़ लाख डाकघरों के माध्यम से मनी ऑर्डर सेवा को संचालित किया जाता था. यह सेवा खासकर मध्यमवर्गीय तबके के लिए धन के लेन देन का अहम साधन हुआ करती थी.
देश के अलग अलग स्थानों में बैठे व्यक्ति अपने परिवार जनों को इसी के द्वारा नकद भेजा करते थे. सदियों से चली आ रही पारम्परिक मनी ऑर्डर को समाप्त करने के बाद डाक विभाग ने इसके स्थान पर बदलते वक्त के अनुकूल इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर (ईएमओ) एवं इंस्टैंट मनीऑर्डर (आईएमओ) सेवाएं आरम्भ की हैं.
मनी ऑर्डर की सीमाओं को दूर करते हुए ये प्रणालियाँ ग्राहकों को अधिक सुविधाएं देने का काम करेगी. जहाँ पूर्व की व्यवस्था में अधिकतम पांच हजार रूपये एक एमओ में भेजे जा सकते थे.
अब आईएमओ की मदद से एक हजार से लेकर पचास हजार रूपये स्थानांतरित किये जा सकेगे. कागजी फॉर्म के स्थान पर एक इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म भरकर पैसे भेजे जा सकते हैं.
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