महंगाई पर निबंध Essay On Inflation In Hindi- आधुनिक समय में संसाधनों की कमी तथा बढती मांग के कारण लगातार महंगाई बढती जा रही है. आज के आर्टिकल में हम बढती महंगाई जो हमारे लिए संकट बन रही है. Inflation In Hindi के बारे में जानेगे.
महंगाई पर निबंध Essay On Inflation In Hindi
Inflation In Hindi Essay
महंगाई देश के लिए संकट बन रही है. देश के प्रत्येक नागरिक इस संकट का सामना कर रहे है. खासकर किसान और गरीब लोग इससे काफी प्रभावित हो रहे है.
देश में बढती जनसँख्या के कारण देश में अनाज की पूर्ति न होने के कारण अनाज को विदेशो से खरीदना पड़ता है. जिस कारण हमें अधिक पैसे देने की जरुरत पड़ती है. जिसे हम महंगाई कहते है.
पिछले कुछ सालो से देश में महंगाई को लेकर समाधान की बात चल रही है. हर व्यक्ति महंगाई से बचने का प्रयास कर रहा है. लोगो की मांग महंगाई कम करना तथा आय बढ़ाना है. लेकिन इसके विपरीत हो रहा है.
आज हमारे देश के रुपयों की कीमत घटती जा रही है. जिसका कारण मुद्रास्फीति है. एक ओर महंगाई अपने पैर पसार रही है. वही पैसो की कीमत में कमी तथा भ्रष्टाचार आज हमारे लिए महंगाई का प्रमुख कारण बन रहे है.
जब जब देश में महंगाई का कहर छा जाता है, तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. पर इसे रोक पाना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए हमें पहले से सतर्क रहकर वस्तुओ का सिमित उपयोग तथा भण्डारण करना चाहिए.
Essay 2
महंगाई आज के समय में आसमान को छू रही है. हर वस्तु के दाम तेजी से बढ़ते जा रहे है. जिसमे परिणामस्वरूप आज कई लोगो को आर्थिक कमी के कारण भूखा रहना पड़ता है.
महंगाई यानी वस्तुओ की क्रय मूल्य में बढ़ोतरी या वस्तुओ की कीमत को बढ़ाना. महंगाई हमारे लिए संकट बन रही है. इस समस्या से सभी प्रभावित हुए है. खासकर आर्थिक रूप से कमजोर लोग.
कोरोना जैसी महामारी के समय जहा लोग बेरोजगार हो गए वही सरकार ने वस्तुओ के दामो को बढ़ा दिया जिस कारण वस्तुओ की खरीददारी मुश्किल बनती जा रही है.
लागातार देश की आर्थव्यवस्था में भी महंगाई के कारण बदलाव देखने को मिला है. भारतीय जनता महंगाई को कम करने की अपील कर रही है, पर अभी तक दाम बढ़ रहे है.
दामो का बढ़ना संसाधनों को कमी को दर्शाता है. और हमारे देश में भी इसी हालात के कारण दामो में बढ़ोतरी हो रही है. अत्यधिक जनसख्या के कारण अधिक वस्तुओ की जरुरत पड़ती है.
जिसकी वजह से देश को आपूर्ति के लिए विदेशो से आयात करना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है. जिस कारण ही वस्तुओ के दामो को बढ़ाया जाता है.
अत्यधिक बाहरी आयात से तथा बढती मांग के कारण विदेशी भारतीय मुद्रा को कम कीमती कर देती है. लेकिन हमें अपनी जरुरत को पूरा करने के लिए अधिक दाम देने पड़ते है.
भारत के आधे से अधिक लोगो की आजीविका का साधन कृषि है. पर सभी किसान आज भी वर्षा पर निर्भर रहते है. किसानो को अच्छी व्यवस्था नहीं मिल पाने के कारण वर्षा पर निर्भर नजर आते है.
जब जब देश में अकाल या बाढ़ की स्थिति बन जाती है, तो देश के किसान फसले निर्यात करने के बजाय खुद ही खरीदने के लिए विवश हो जाते है. और इसी कारण विदेशो से आयात करना पड़ता है.
जब विदेशो से फसलो को खरीददारी की जाती है, तो हमें महंगी रेट में वस्तुए मिलती है. कई व्यापारी जो पहले से ही अकाल की स्थिति देखकर माल को एकत्रित कर लेते है. तथा दुगुने दाम होने पर बेचते है.
कमरतोड़ महंगाई पर निबंध Hindi Essay On Inflation
हमारे जीवन में कुछ उतार चढाव हमेशा देखने को मिलते रहते है. ये उतार चढ़ाव गरीब लोगो को लिए मुश्किल बन जाते है. जब वस्तुओ के दाम में उतार चढाव नजर आता है, तो उनके लिए जीना मुश्किल हो जाता है.
प्रकृति के प्रकोप के कारण कई बार हमें अकाल सुखा, अनावृष्टि तथा अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओ का सामना करना पड़ता है. ये आपदा किसी भी समय आ सकती है. ये आपदा सबसे अधिक प्रभावित किसानो को करती है.
जब जब किसान खेत में फसल बोता है, तो उन्हें प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योकि किसान आज भी कृत्रिम साधनों को बजाय वर्षा पर निर्भर रहते है.
जिस वर्ष किसी आपदा के कारण फसल ख़राब हो जाती है, तो अन्न का दाता कहे जाने वाले किसान खुद भूख के मारे तड़पते है, जिसका प्रमुख कारण महंगाई है. जो दिनों दिन बढती जा रही है.
आज के समय में अनाज से लेकर पेट्रोलियम तक सभी वस्तुए काफी महंगी हो गई है. जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा झटका लगा है. जिससे देश की इकोनोमी में भी बदलाव नजर आ रहा है.
महंगाई के अनेक कारण है, जिसमे जमाखोरी, कालाबजार तथा अत्यधिक जनसंख्या उत्तरदायी है. आज के स्वार्थी लोग अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए वस्तुओ को जमा कर रखते है. तथा सामग्री को कमी होने पर दुगुने दाम में बेचते है.
भारतीय लोग महंगाई से मुक्ति पाने के प्रयास कर रही है. साथ ही भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाने के प्रयास किये जा रहे है. लेकिन वस्तुओ की मांग को पूर्ति के लिए महंगाई आवश्यक बन गई है.
महंगाई केवल भारत में ही नहीं बल्कि अनेक देशो में है, जिसमे कई देशो की हालात भारत से भी ख़राब है. अन्य देशो की तुलना में हमारे देश की स्थिति काफी मजबूत है.
महंगाई कई लूगो के लिए जान का दुश्मन बन रही है. बेरोजगारी ओर उपर से महंगाई का तांडव लोगो को इस जिन्दगी से दूर ले जाता जा रहा है. खासकर गरीब लोग इसका शिकार हो रहे है.
आज हमारे देश में पेट्रोल से लेकर सब्जी तक सभी के दाम बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे है. जिसे खरीद पाना आमलोगों के लिए मुश्किल हो गया है.
एक तरह जहा देश में महंगाई बढ़ रही है. वही दूसरी ओर रुपये की करेंसी घटती जा रही है. कुछ अर्थशास्त्री के अनुसार मुद्रा आस्पीती हमारे लिए बड़ी समस्या बन सकती है.
आज से दो वर्ष पूर्व जो महत्व १००० रुपयों का था. जो आज लाख रुपयों का होता है. यानी पैसो की जरुरत अधिक हो गयी है. तथा इसे कम मूल्य दिया जा रहा है. पहले की 100 की वस्तुए आज 1 हजार में खरीदनी पड़ती है.
जब देश में मांग की अपेक्षा जरुरत अधिक हो जाती है. तो वस्तुओ के दाम में बढ़ोतरी कर दी जाती है. जिसे हम मुद्रास्फीति या महंगाई कहते है. हमारे देश में मुद्रा का मात्रक दो है.
- थोक मूल्य सूचकांक- इन मूल्यों की गणना वर्ष भर के बाद की जाती है. इसमे खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि प्रकार की सभी वस्तुए सम्मलित होती है.
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- इस सूचक के आधार पर वस्तुओ की दर के अनुसार तथा उपभोक्ता का खरीददारी के अनुसार गणना की जाती है. इस सूचक से खरीदी गई सभी वस्तुओ का औसत निकाला जाता है.
हर वर्ग में दो प्रकार के निवेशक होते है. जिसमे कुछ सरकारी नौकर होते है. तथा कुछ उघोगपति होते है. जिनका कार्य हमेशा चलता रहता है. तथा महंगाई से ऐसे लोगो को फायदा भी होता है. खासकर व्यापारियों के लिए.
कुछ लोग निजी कार्य करके अपना गुजरा करते है. ऐसे लोगो के लिए मजदूरी निश्चित नहीं होती है. जिस कारण उन्हें कभी कबार रोजगार मिलता है. जिससे ऐसे लोग अपना दो समय का भोजन नहीं झुटा पाते है.
मजदूरो के लिए इस विकट परस्थितियों में सेठ साहूकार अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए मजदूरो को कम वेतन देना शुरू कर देते है. जिससे मजदूरी मना भी नहीं कर पाते है. और कम वेतन कमरतोड़ महंगाई का शिकार होते है.
कई बार मुद्रास्फीति से बड़े लोगो को भी नुकसान होता है. जब महंगाई बढती है, तो मुद्रास्फीति कम हो जाती है. पैसो की कीमत कम समझी जाती है. इस स्थिति में कई बार ऋणदाता अपना दिया ऋण में पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर पाता है. जिससे ऋण ग्राही को फायदा होता है.
बढती महंगाई से उत्पादनकर्ता किसानो को फायदा होता है. कई बार जब किसान फसल को इकट्ठा करके मुद्रास्फीति के समय में बेच देते है, तो उन्हें काफी लाभ होता है, क्योकि इस समय पैसो की कीमत कम समझी जाती है.
पर कुछ किसानो जो पहले अपना धान बेच चुके हो उनके लिए पैसो की कीमत कम होना तथा महंगाई का बढ़ना मुश्किल हो जाता है. जो सामग्री किसान सस्ते दामो में बेचते है. वही वस्तु का दाम तेजी से बढ़ जाता है. तथा वाजिब दाम महंगाई के आगे गुटने टेक देता है.
महंगाई का सबसे बड़ा कारण मागं का बढ़ता तथा उसकी आपूर्ति न हो पाना है. पर इससे बचने के लिए हमें कुछ जरुरी वस्तुओ को जमा कर लेना ही उचित है. क्योकि जब उत्पादनकर्ता अपनी वस्तु को बेचता है.
उस समय उस वस्तु की मांग कम तथा सामग्री अधिक हो जाती है. जिस कारण सामग्रियों को विदेशो में निर्यात किया जाता है. कुछ समय बाद देश में कमी होने पर उसी वस्तु को दुगुने दाम में ख़रीदा जाता है.
जिस कारण महंगाई बढ़ जाती है. इससे देश पर आर्थिक संकट बन जाता है. जिस कारण इस परस्थिति में वस्तुओ को सरकार द्वारा जमा करना ही उचित विकल्प होता है.
महंगाई को रोकने का दूसरा उपाय देश में उत्पादन में बढ़ोतरी कर किसानो को सहायता की जाए तथा अधिक से अधिक उत्पादन किया जाए जिससे विदेश में अनाज की कमी होने पर महंगे भाव में वस्तुओ को बेचा जा सकें.
कुछ खाद्यान्न जिसे जमा करना जरुरी होता है, पर जमा करने का अधिकार केवल सरकार को हो जो विकट परस्थिति में देश में उस सामग्री का वाजिब दाम ले.
कुछ सेठ साहूकार अपने व्यापार को बढाने के लिए खाद्य सामग्रियों को जमा कर देते है. जिस कारण खाद्यान्न समग्री की कमी हो जाती है. और बढती मांग के कारण वस्तुओ के दाम के बढ़ाना पड़ता है.
इस परस्थिति से बचने के लिए निजी जमाखोरी पर पाबंधी लगाई जानी चाहिए. जिससे देश में ऐसी विकट परस्थिति न बने.
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