Essay on nature in Hindi प्रकृति पर निबंध:- प्रकृति हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है. हमारे चारो ओर की आकृति ही प्रकृति है. आज प्रकृति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.
प्रकृति पर निबंध Essay On Nature In Hindi Wikipedia
प्रकृति मानव जीवन का अहम हिस्सा हैं. मनुष्य और प्रकृति का सम्बन्ध मित्रतापूर्ण एवं अभिन्न व अविभाज्य हैं. हम प्रकृति को धर्म अर्थात ईश्वर का स्वरूप मानकर उसकी पूजा करते हैं.
व्यक्ति केवल प्रकृति की छाया में ही स्वयं को आनन्दित तथा प्रसन्नचित महसूस कर सकता हैं. कवियों, लेखकों, चित्रकारों के लिए भी प्रकृति आदिकाल से पसंदीदा विषय रहा हैं.
प्रकृति ने हमे बहुमूल्य उपहार प्रदान किये हैं. पानी, हवा, भूमि, पेड़, जंगल, पहाड़, नदी, सूरज, चाँद, आकाश, समुद्र समस्त वस्तुएं प्रकृति की ही देन हैं.
हमें प्रकृति के संतुलन के साथ छेड़खानी किये बगैर इसकी सुन्दरता का भोग करना चाहिए. हमारा प्रयास रहना चाहिए कि हम इसके स्वरूप को सुंदर बनाए रखे तथा इसके विनाश को रोके. जिससे हम आसानी से इसका आनन्द ले सकते हैं.
ईश्वर ही हमारी इस सुंदर प्रकृति का निर्माण करने वाला हैं. हमें इसके मौलिक स्वरूप के साथ छेड़खानी किये बगैर संतुलन को बनाए रखना चाहिए. इसे ईश्वरीय शक्ति तथा अद्वियता को स्वीकार कर आनन्द लेना चाहिए.
हमें प्रकृति के संतुलन के साथ छेड़खानी किये बगैर इसकी सुन्दरता का भोग करना चाहिए. हमारा प्रयास रहना चाहिए कि हम इसके स्वरूप को सुंदर बनाए रखे तथा इसके विनाश को रोके. जिससे हम आसानी से इसका आनन्द ले सकते हैं.
ईश्वर ही हमारी इस सुंदर प्रकृति का निर्माण करने वाला हैं. हमें इसके मौलिक स्वरूप के साथ छेड़खानी किये बगैर संतुलन को बनाए रखना चाहिए. इसे ईश्वरीय शक्ति तथा अद्वियता को स्वीकार कर आनन्द लेना चाहिए.
Essay On Nature in hindi
हमारे चारो ओर का आवरण पर्यावरण ही प्रकृति है. जिसमे पेड़ पौधे, नदी, झरने, बेल, पर्वत, पठार, बारिश,जंगल, सूर्य, चाँद तथा मानव भी प्रकृति का ही हिस्सा है.
प्रकृति भगवान द्वारा दिया गया, एक अनमोल उपहार है. ये हमें निशुल्क सुविधा देता है. पर मानव के विवेकपूर्ण उपयोग के कारण प्रकृति की बर्बादी हो रही है. लोग अपने व्यवसाय के लिए प्रकृति का हनन कर रहे है.
पृथ्वी के संतुलन का कारण प्रकृति से ही है. प्रकृति की इस छटा में जीवन हमेशा स्वस्थ तथा तुन्द्रुस्त रहता है, पर लोग तकनीकीकरण का उपयोग कर स्वस्थ बनते है.
प्रकृति की इस खुली पवनो और पंछी की मधुर आवाजे जीवन को स्वर्ग का रूप देती है. सुबह की ठंडी ठंडी पवने झरने की आवाज तथा नदियों के हंस मन को मोहित कर देते है. और एक ख़ुशी की चमक ला देते है.
प्रकृति की गोद में अनेक ऋषि मुनियों ने अपना जीवन गुजारा है, और आज भी प्रकृति के गुणगान गाए जाते है. प्रकृति माँ की भांति हमारी सुरक्षा करती है. तह हमें हर सुविधा प्रदान करती है.
प्रकृति के संसाधनों के हो रहे दुरुपयोग से प्रकृति काफी बैचेन नजर आ रही है. पेड़ पौधे, बारिश कम हो रहे है. बढ़ते उद्योगीकरण तथा वाहनों के धुए से लगातार प्रदुषण बढ़ता जा रहा है. जो हमारे लिए नुकसानदायक है.
प्रदुषण जैसी सस्मयाओ का सामान केवल प्रकृति ही कर सकती है. लेकिन हम अपनी सुरक्षा को ही नुकसान पहुंचा रहे है. जिस कारण प्रकृति कमजोर हो रही है. तथा प्रदुषण बढ़ता जा रहा है.
प्रदुषण जैसी अनेक समसयाओ का समनाधन प्रकृति ही है. इसलिए हम सभी को प्रकृति का दुरुपयोग करने की बजाय इसका सदुपयोग करें. प्रकृति की सुरक्षा करें.
प्रकृति की सुरक्षा से ही हमारे जीवन की सुरक्षा की जा सकती है. प्रकृति हमारे जीवन का आधार है. इसलिए पेड़ पौधे अधिक से अधिक लगाए. तथा सभी को इसके लिए जागरूक बनाए.
प्राकृतिक सौंदर्य: हमारा साथी प्राकृतिक पर्यावरण
प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह हमारे आसपास व्यापक रूप से फैला होता है, हमारा ध्यान खींचता है, और हमारे जीवन को समृद्ध करता है। प्रकृति हमारे चारों ओर हर तरफ से एक सुरक्षात्मक कवच की भाँति काम करती है, जो हमें नुकसान से बचाती है। हम उसकी योग्यता के बिना धरती पर स्थायी रूप से नहीं रह सकते हैं।
प्रकृति का आदान-प्रदान कई रूपों में होता है, जैसे पेड़-पौधों, जंगलों, नदियों, बारिश, जलवायु, पहाड़ों, और तालाबों में। इन प्राकृतिक तत्वों का हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है, और हमें इन्हें संरक्षित रखने का दायित्व है।
हमारे व्यस्त और तेजी से बढ़ते जीवन में, हम अक्सर प्रकृति के सौंदर्य का आनंद नहीं लेते हैं और अपने स्वास्थ्य की देखभाल से भी पीछे हो जाते हैं। हम तकनीकी उपग्रेडेशन के चक्कर में उलझ जाते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि प्रकृति हमें स्वस्थ और खुश रहने के लिए आवश्यक है।
प्राकृतिक सौंदर्य का महत्व और उसके प्रभाव को नकारात्मक दिशा में बदलने वाले कई लेखक ने हमारे सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए इसे महत्वपूर्ण माना है। प्राकृतिक तत्वों के साथ हमारे संबंध हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
मानव जाति की तेजी से बढ़ती तकनीकी उन्नति के चलते, हम प्रकृति की संरक्षण की दिशा में धीरे-धीरे कदम रख रहे हैं। यह हमारे औद्योगिकीकृत जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी से उसका समरक्षण करें ताकि हमारे आने वाले पीढ़ियाँ भी इसका आनंद ले सकें।
हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति समर्पित रहना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करने और संरक्षण करने की जरुरत है, ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इसका आनंद ले सकें और हमारे साथी प्रकृति के साथ आनंद उठा सकें।
इसलिए, हमें अपने संबंध प्राकृति के साथ बनाए रखने का संकल्प करना चाहिए ताकि हम सदैव इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकें और हमारे आने वाले पीढ़ियाँ भी उसका आनंद ले सकें।
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