Essay On Non-Cooperation Movement in Hindi असहयोग आंदोलन पर निबंध: दोस्तों आपका स्वागत हैं, जैसा कि हम सभी जानते हैं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की बड़ी भूमिका थी उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलन किये, इनमें से एक था असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) 1920 में गांधी द्वारा शुरू किया सबसे बड़ा पहला आंदोलन था. इस निबंध में हम आपकों असहयोग आंदोलन कब हुआ, किसने किया, कारण प्रभाव, परिणाम आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
रौलेट एक्ट जलियांवाला बाग़ हत्याकांड, अंग्रेजों की दमनकारी नीति आदि के विरुद्ध 1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया.
असहयोग आंदोलन पर निबंध Essay On Non-Cooperation Movement in Hindi
इसके अंतर्गत सरकारी स्कूलों, कॉलेजों का बहिष्कार, न्यायालयों का बहिष्कार, सरकारी दरबारों का बहिष्कार तथा उत्सवो उपाधियों का बहिष्कार, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने पर बल दिया गया.
गांधीजी के आव्हान पर लाखों देशभक्त आंदोलन में कूद पड़े. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, तथा विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई.
इस आंदोलन में हजारों मुसलमानों तथा हिन्दुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. अनेक वकीलों ने वकालत छोड़ कर आंदोलन में भाग लिया.
ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए दमनकारी नीति अपनाई. अनेक प्रमुख नेताओं को बंदी बना दिया गया. 1921 के अंत तक लगभग 60 हजार व्यक्तियों को जेल में बंद कर दिया गया. सरकार की दमनकारी नीति के बावजूद लोगों ने आंदोलन जारी रखा.
जब असहयोग आंदोलन अपनी चरम पर था, 5 फरवरी 1922 को चौरी चौरा नामक स्थान पर सत्याग्रहियों और पुलिस की मुठभेड़ हो गई. कुछ भीड़ ने पुलिस थाणे को आग लगा दी. जिससे एक थानेदार तथा 21 सिपाही जीवित जलकर मर गये.
इस पर गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया. इस असहयोग आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप प्रदान किया. इसने राष्ट्रीयता का प्रचार किया. स्वदेशी को प्रोत्साहन मिला और देशवासियों में निर्भीकता, साहस, निडरता की भावनाओं का प्रसार किया.
असहयोग आंदोलन के कारण देशवासियों में राजनीतिक अधिकारों के लिए जागरूकता उत्पन्न हुई व स्वराज्य की मांग प्रबल हुई. अब स्वराज्य का संदेश घर घर पहुँचने लगा तथा बच्चे बच्चे के मुहं में स्वराज्य शब्द सुनाई देने लगा.
इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेज़ी सरकार का बहिष्कार करना था. तथा देश की शक्ति से अंग्रेजो को अवागत करना था. इस आन्दोलन के 3 सालो में देश के अनेक क्रांतिकारियों ने गांधीजी का सहयोग किया.
अंग्रेज अपना अपमान सहन कर रहे थे. पर उत्तरप्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर हुई हिंसक घटना के कारण इस आन्दोलन को गांधीजी ने वापस ले लिया तथा गांधीजी अंग्रेजो से शक्ति के बल पे नहीं आत्मबल से जितना चाहते थे.
गांधीजी की मेहनत पर चौरा चौरी काण्ड ने पानी फेर दिया. पर इस आन्दोलन का प्रभाव आने वाले समय में देखने को मिला सभी देशवासियों से भय निकल गया सभी अंग्रेजो के खिलाफ खड़े हो गए.
असहयोग जैसे आन्दोलन की वजह से देश में आपसी एकता की मिशल कायम की गई तथा देश को अंग्रेजो से मुक्ति मिली तथा अनेक बलिदानों के बाद हम स्वतन्त्र हुए.
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