Veer Kunwar Singh Jayanti Essay In Hindi वीर कुंवर सिंह जयंती पर निबंध: प्रिय पाठकों आपकों वीर कुँवरसिंह (Veer Kunwar Singh Jayanti 2024) की शुभकामनाएं देते हैं. Veer Kunwar Singh Jayanti Essay In Hindi आप जानते ही होंगे हर वर्ष 23 अप्रैल को बाबु कुँवरसिंह जी की जयंती मनाई जाती हैं. 1857 की क्रांति के वे महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ८० साल की आयु में अंग्रेजों के डांत खट्टे किये थे.
Veer Kunwar Singh Jayanti Essay In Hindi
वीर कुंवर सिंह जयंती पर निबंध: वीर कुंवर सिंह का जन्म 1782 में जगदीशपुर शाहबाद बिहार में हुआ था. यदपि वे जगदीशपुर जैसे विशाल राज्य के स्वामी थे. लेकिन मौका मिलते ही इनकी जागीर अंग्रेजी कम्पनी ने हड़प ली.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारी शक्तियों का साथ दिया. इन्होने बिहार के रजवाड़ों को अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान किया.
कुँवरसिंह ने अपने को शाहाबाद का शासक घोषित कर आरा क्षेत्र को भी अंग्रेजों से मुक्त करा लिया. उन्हें जगदीशपुर तो छोड़ना पड़ा लेकिन पहले मिर्जापुर फिर बांदा होते हुए वह कालपी आकर नाना साहब से मिले.
आजमगढ़ पर विजय के कारण लखनऊ में विरजिस कादर ने उनका भव्य स्वागत किया. ब्रिटिश शक्तियाँ एकजुट होकर कुंवर सिंह का पीछा कर रही थी. लेकिन यह शूरवीर ब्रिटिश सेना को हर बार चकमा देकर बच जाता था.
अब उन्होंने किसी भी तरह अपनी जन्मभूमि जगदीशपुर लौटने का निश्चय किया. ब्रिटिश सेना लगातार उनका पीछा कर रही थी. जगदीशपुर के लिए उन्होंने अपनी सेना को गंगा पार करवाई.
जब वे गंगा नदी पार कर रहे थे तो ब्रिटिश सेना की गोलियों से उनके हाथ का पंजा छलनी हो गया. सारे हाथ में जहर न फ़ैल जाए, अतः उन्होंने भुजा काटकर गंगा माँ में भेट चला दी.
अंत में घायल शेर ने एक ही भुजा से 23 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश सेना से टक्कर ली. अंत में उसी दिन अपनी जन्म भूमि जगदीशपुर पहुच कर इस घायल शेर ने शहादत प्राप्त की.
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