जनहित याचिका पर निबंध | Essay on PIL in Hindi: विश्व में पहली बार जनहित याचिका का प्रावधान अमेरिका के संविधान में किया गया भारत में पहली बार इसकी शुरुआत 1980 मैं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वीआर कृष्ण अय्यर तथा पीएन भगवती के समय में हुई पीएन भगवती के समय ही जनहित याचिका को लोकप्रियता प्राप्त हुई जनहित याचिका को सामाजिक हित याचिका तथा सामाजिक क्रिया याचिका के नाम से भी जाना जाता है
Essay on PIL in Hindi
जनहित याचिका का अर्थ
भारतीय संविधान में न्यायपालिका को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के संदर्भ में अधिकार प्रदान किए गए लेकिन समाज के कुछ वर्ग जैसे गरीब अल्पसंख्यक समाज की मूल भावना से विकृत लोगों को जब कानूनी सेवाएं उपलब्ध ना हो सके तो इसके लिए जनहित याचिका का प्रावधान किया गया जनहित याचिका के तहत समाज की जन भावना से जुड़े लोग संगठन जब किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के अधिकारों के लिए न्याय ले जाता है.
तो उस समय जो अपील की जाती है उसे जनहित याचिका कहा जाता है जनहित याचिका केवल हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में ही दायर की जा सकती है
तो उस समय जो अपील की जाती है उसे जनहित याचिका कहा जाता है जनहित याचिका केवल हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में ही दायर की जा सकती है
जनहित याचिका के उद्देश्य
जनहित याचिका का प्रमुख उद्देश्य कानून के शासन की रक्षा करना है इसके साथ ही साथ सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तथा वर्गों तक न्याय पहुंचाना भी प्रमुख उद्देश्य है मौलिक अधिकारों को सार्थक रूप से प्राप्त करना जनहित याचिका के मूल उद्देश्य है
जनहित याचिका की विशेषताएं
भारतीय सविधान में न्यायपालिका का कार्य भारतीय समाज के सभी वर्गों को एक समान मानते हुए निर्णय करना है लेकिन वर्तमान में जनता के कर्तव्यों को लेकर न्यायपालिका द्वारा न्यायिक सक्रियता नाम से समय-समय पर निर्णय लिए जा रहे हैं जो जनहित याचिका का महत्वपूर्ण योगदान है.
जनहित याचिका कानूनी सहायता आंदोलन का रणनीतिक अंग है इसका आज से है कि गरीब जनता तक न्याय की पहुंच को सुलभ बनाना तथा जनहित याचिका व्यक्तिवाद से जुड़ा ना होकर सामूहिक सार्वजनिकता से जुड़ा होना जरूरी है जिसका उद्देश्य हमेशा सार्वजनिक हित को बढ़ावा देना होता है.
जनहित याचिका कानूनी सहायता आंदोलन का रणनीतिक अंग है इसका आज से है कि गरीब जनता तक न्याय की पहुंच को सुलभ बनाना तथा जनहित याचिका व्यक्तिवाद से जुड़ा ना होकर सामूहिक सार्वजनिकता से जुड़ा होना जरूरी है जिसका उद्देश्य हमेशा सार्वजनिक हित को बढ़ावा देना होता है.
यह एक सहकारी प्रयास है जिसमें याचिकाकर्ता समाज के कमजोर वर्गों हेतु संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों एवं सुविधाओं हेतु जनहित याचिका दायर कर सकता है.
जनहित याचिका का विषय क्षेत्र
1998 में सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका के विषय क्षेत्र का निर्धारण किया जिसमें आगे चलकर 2003 में संशोधन भी किया गया वर्तमान समय में जनहित याचिका निम्नलिखित क्षेत्रों में दायर की जा सकती है.
बंधुआ मजदूर बाल श्रमिक पुलिस उत्पीड़न से संबंधित मामलों में, महिलाओं के अत्याचार से संबंधित तथा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अल्पसंख्यक व कमजोर वर्गों के हितों से संबंधित इसके अलावा ग्रामीणों द्वारा ग्रामीणों के माध्यम से उत्पीड़न संबंधी व श्रमिकों के उत्पीड़न से संबंधित तथा पर्यावरण से संबंधित मामलों के साथ-साथ दंगा पीड़ित परिवारों से संबंधित मामलों में भी जनहित याचिका दायर की जा सकती है
बंधुआ मजदूर बाल श्रमिक पुलिस उत्पीड़न से संबंधित मामलों में, महिलाओं के अत्याचार से संबंधित तथा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अल्पसंख्यक व कमजोर वर्गों के हितों से संबंधित इसके अलावा ग्रामीणों द्वारा ग्रामीणों के माध्यम से उत्पीड़न संबंधी व श्रमिकों के उत्पीड़न से संबंधित तथा पर्यावरण से संबंधित मामलों के साथ-साथ दंगा पीड़ित परिवारों से संबंधित मामलों में भी जनहित याचिका दायर की जा सकती है
निष्कर्ष
जनहित याचिका वर्तमान न्याय प्रणाली का एक सक्रिय रूप है इससे समाज के कमजोर वर्गों के हितों का संरक्षण होता है लेकिन कई बार संगठन लोकप्रियता बढ़ाने के लिए जनहित याचिका दायर कर देते हैं इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा कि जनहित याचिका ना तो एक गोली है और ना ही हर एक मर्ज की दवा.
अतः जन भावना से जुड़े लोग इसका प्रयोग तभी करें जब समाज के वंचित वर्गों को कोई नुकसान हुआ हो या पर्यावरण को कोई क्षति पहुंची हो
अतः जन भावना से जुड़े लोग इसका प्रयोग तभी करें जब समाज के वंचित वर्गों को कोई नुकसान हुआ हो या पर्यावरण को कोई क्षति पहुंची हो