100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line

मेरा शौक पर निबंध My Hobby Essay In Hindi

प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने शौक तथा रूचिया अलग-अलग होते है. इसी प्रकार किताबे पढ़ना तथा खेलना मेरा शौक है. आज हम इस लेख के माध्यम से मेरा शौक पर निबंध My Hobby Essay In Hindi मेरे शौक के बारे में विस्तार से पढेंगे.

मेरा शौक पर निबंध My Hobby Essay In Hindi

मेरा शौक पर निबंध My Hobby Essay In Hindi
आज हमारा जीवन अपने कार्यो की उलझन के कारण जीवन हमेशा शंकाओ और तनावपुर्ण रहता है. इसलिए हर व्यक्ति अपने फ्री समय में कुछ न कुछ शौक रखता है. जो उसका सबसे बड़ा मनोरंजन का साधन होता है.

हर व्यक्ति की कुछ न कुछ होबिस होती है. एक व्यक्ति की कुछ भी रूचिया हो सकती है. जिसमे किताबे पढना, खेलना तथा परोपकार करना भी हो सकता है.

हमारी रुचियाँ हमारा चरित्र दर्शाती है. तथा हमारे मन के भावो को प्रकट करती है. वे कार्य जिसे करने में हमें आनंद आता है. तथा जीवन के सभी दुःख भूल जाते है. वह हमारे शौक होते है.

आज के अधिकांश लोगो की रूचिया मोबाइल बन गई है. जो इस दुनिया से बाहर ही नहीं निकल पाते है. इसलिए हमें ऐसे शौक को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.

हमारे दैनिक जीवन की वे विधिया जिन्हें हम ज्यादा करना चाहते है. वह हमारा शौक होता है. या जिस कार्य को करने में हमारी रूचि होती है.

आज के ज़माने में देखा जाए तो कई लगो के शौक फ़ोन देखना टीवी देखना आदि होते है. पर मेरा शौक इनसे कुछ भिन्न है. मै हर समय किताबे पढ़ना तथा खाली समय में खेलना पसंद करता हूँ. और मै सबसे ज्यादा शौक नई-नई किताबे पढ़ने में रखता हूँ.

मेरे दादाजी किताबे पढ़ना पसंद करते थे. वे जो भी नई किताब बाजार में आती मेरे  दादाजी  उसे लेकर आते थे. इसी कारण में मेरे दादाजी के साथ रहकर किताबे पढ़ना सिख गया.

और  दादाजी  की तरह ही बचपन से ही किताबो में उलझा रहता था. इसलिए मेरा दादाजी बहुत सहयोग करते थे. जो भी नई किताब आती वो मेरे लिए लाते थे. दूसरा मेरा शौक खेलना का था.

वह मेरा शौक मेरे बड़े भाई से मुझमे दिखने लगा. मै जब छोटा था. तब मेरा भाई बहुत खेला करता था. मै भी उनके साथ खेलता था. हालंकि मै बहुत छोटा था. फिर भी मै उनके साथ खड़ा रहता तथा उनके खेल को बारीकी से देखता था.

इसी कारण जब में बड़ा हुआ. तब मेरा खेलना का बड़ा शौक था.कई साल तक तो मै बहुत ज्यादा खेला करता था. पर अब मै दिन में 2 घंटे ही खेलता हूँ.

मेरे दादाजी तथा पिताजी भी मुझे खेलने को कहते थे. मेरे दादाजी मुझे कहते थे. कि बेटे खेलने से शरीर स्वस्थ रहता है. और जब शरीर स्वस्थ रहेगा. तभी तुम किताबे पढ़ पाओगे. इसी कारण में खेलता भी था.

कई बच्चो को सजावटी किताबे अच्छी लगती है. पर मुझे तो किताबे देखने से ज्यादा किताबे पढ़ने में मजा आता है. हर बच्चे की अपनी बचपन की पसंद बड़े होने पर छुट जाती है.

और नए शौक उत्पन्न हो जाते है. पर मुझे जो बचपन में पसंद था. वो आज भी पसंद है. और मुझे इसी शौक को बरक़रार बनाये रखने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है. मै आज किताबो तथा खेल को चाहकर भी नहीं छोड़ सकता हूँ.

किताब की खासियत

मेरी किताबे पढ़ने की आदत बचपन से थी. पर मेरी किताबो की बहुत सारी खासियत थी. किताबो के मध्यम से हम घर बैठे ज्ञान प्राप्त कर सकते है.

किताबो से हम अपनी सम्पूर्ण परेशानियो को अनदेखा कर सकते है. तथा किताबो से हम अपने अकेलेपन को मिटा सकते है. किताबे हमारे स्वस्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होती है.

किताबो के अध्ययन से हम उच्च विचार तथा उच्च शिक्षा सरलता से प्राप्त कर सकते है. जो भी किताबे पढाता है. उससे किताबे  दोस्ती बना लेती है.

तथा उसे किताबे बहुत अच्छी लगती है. क्योकि इसमे बहुत मजेदार-मजेदार कहानिया संग्रहण होता है. जो कि हमें नैतिक शिक्षा भी देता है.किताबे मेरी सबसे श्रेष्ठ दोस्त है. इसी में शौक रखता हूँ.

अपने जीवन में अच्छी आदत डालना बहुत मुश्किल होता है. पर मेरे लिए ये बहुत आसन थी. क्योकि मेरी ये आदत बचपन से थी. जिस व्यक्ति का शौक किताबो में नहीं है. या जो व्यक्ति किताबो को नहीं पढ़ता है.

वह सच्चे ज्ञान से कभी-भी परिचित नहीं हो सकता है. हालाँकि सांसारिक ज्ञान तो हर कोई प्राप्त कर सकता है. आज के इस युग में धन कोई काम का नहीं है. जब ज्ञान न हो.

आज पैसो से ज्यादा लोग ज्ञान की वेल्यु करते है. धन आज है. कल खत्म हो जायेगा. और धन को चुराया भी जा सकता है. पर ज्ञान एक ऐसी चीज है. जो न तो खत्म होती है. और न ही इसे चुराया जा सकता है.

मेरा दूसरा शौक खेलना है. जो कि हमारे स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है. हमें समय पर खेलना चाहिए. जिससे हमारा मन-मस्तिक उज्जवल रहता है.

हमेशा खेलने से शरीर नियंत्रित होता है. इसलिए शौक में एक शौक खेल का भी होना चाहिए. पर ऐसा शौक नहीं होता चाहिए. कि आज सुबह खेलने चले जाए.और न तो किया और पुरे दिन खेलते रहे.

इस प्रकार खेल आपके लिए बहुत नुकसान दायक हो सकता है. इसलिए खेल को खेल के समय में ही खेलना चाहिए. पर खेलना जरुर चाहिए.

शौक के माध्यम से हम अपने सभी कष्टों को दूर कर सकते है. प्रत्येक शौक से अनेक फायदे होते है. हर व्यक्ति के शौक होने चाहिए.

मै मेरे शौक का गुलाम बन चूका है. पर मेरा शौक शिक्षा के क्षेत्र में है. इसलिए मुझे इससे कोई मुशीबत नहीं है. यदि आप का शौक कोई अन्य फालतू कामो में है. तो आप उन्हें अभी से छोड़ना प्रारंभ करें.

क्योकि अपने शौक को छोड़ना बहुत मुश्किल होता है.बुरे शौको को छोड़े और अपने जीवन में अच्छे शौक बनाये.

निबंध-2 रूचि पर निबंध

एक व्यक्ति की पसंदीदा आदत उस व्यक्ति की रूचि होती है. अर्थात एक व्यक्ति की वह आदत जो उसे खुश रखे तथा उसे वह कार्य करने में आनंद प्राप्त होता है.

एक व्यक्ति की अनेक रूचिया हो सकती है. जैसे-किताबे पढ़ना,खेलना,खाना,आदि. हर व्यक्ति में हॉबी होनी आवश्यक है. क्योकि व्यक्ति को सबसे ज्यादा ख़ुशी उसकी रूचि से ही मिलाती है.

वह हर समय अपनी रूचि को पूर्ण करना चाहता है. हर व्यक्ति की अपनी अलग-अलग रूचिया होती है. रूचि ही एक ऐसी वस्तु है. जो व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकता है.

रूचिया अनेक प्रकार की होती है. जिसमे कई आउटडोर तथा कुछ इनडोर भी होते है. व्यक्ति को जीवन में सफलता पाने तथा जीवन की ख़ुशी से व्यतीत करने के लिए रूचि का होना आवश्यक होता है. 

शौक की अपनी एक अलग दुनिया होती है. इस दुनिया में हर कोई मग्न रहता है. शौक के कारण ही मानव खुश रह पाता है. एक व्यक्ति अपने शौक को पूर्ण करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

अच्छा शौक व्यक्ति को चरित्रवान बना सकता है. तथा बुरा शौक व्यक्ति की जिंदगी को बर्बादी की ओर ले जा सकता है. शौक जिंदगी को बदल सकती है. इसलिए हमें सोच-समझकर अपने शौक को आगे बढ़ाना चाहिए. 

मेरे भी अनेक शौक है. जिसमे  संगीत सुनना,समाचार पत्र पढ़ना तथा लेखन का कार्य करना आदि. मेरी सबसे श्रेष्ठ रूचिया है.

मै हर समय संगीत सुनाता हूँ. तथा मेरी रुचियों से मुझे काफी फायदा भी होता है. मै हर समय ख़ुशी महसूस करता हूँ. मै सुबह उठते ही स्नान करके समाचार पत्र पढ़ता है. 

मेरी इसमे इतनी रूचि है. कि मै समाचार पत्र को दो बार पढ़ लेता हूँ. इसके बाद में घर के कार्य में सहयोग करता हूँ. तथा साथ में संगीत भी सुनता हूँ. खाली समय में लेखन का कार्य भी करता हूँ.

जो कि मुझे बहुत अच्छा लगता है. मुझे लगता है. रुचियों के बिना व्यक्ति का जीवन अधुरा होता है. जो रूचि रखता है. वह हमेशा खुश रहता है. हमेशा स्वस्थ रहता है.

मेरी छोटी-सी उम्र में इनते बड़े शौक देखकर मेरे शिक्षको ने भी मेरे इन्ही शौको को बरक़रार रखने की सलाह दी है. मेरे शौक बहुत अच्छे है.तथा मुझे मेरे शौक जीवन में बहुत आगे जाने में सहायता करेंगे.

मै हर गम को अपने शौक से व्यस्त कर देता हूँ.मेरे माता-पिता मेरे इन शौको को बहुत पसंद करते है. मेरे इन शौको से सभी खुश है. तथा मेरें शौको की वजह से में हर समय खुश नजर आता हूँ.

तथा अपनी समस्या का समाधान बहुत आसानी से कर देता हूँ, हालंकि मुझे गुस्सा बहुत आता है. पर मेरे पास इतनी योग्यता प्राप्त है. कि में मेरे गुस्से को नियंत्रण कर सकता हूँ.

मेरे शौको को में जब भी पूरा करता हूँ. लगता है. जैसे मैने को गढ़ जीत लिया है. मै सिर्फ अपने शौको को ही पूरा नहीं करता हूँ. बल्कि घर के कार्य में भी हाथ बटाता हूँ.और पढाई भी करता हूँ. इसी कारण मै सभी को पसंद हूँ.

अपने जीवन का भविष्य अपने शौक निर्धारित करते है. इसलिए हमें अच्छे शौक बनाने चाहिए. तथा कोई बुरी रूचि है. तो उसे जल्द से जल्द छोड़ने का प्रयास करें. क्योकि जीवन इन्ही पर निर्भर होता है.

अपने जीवन में अच्छे शौक बनाये जिससे अपना जीवन संवरे तथा दूसरो को भी प्रेरणा मिलें.अतः-अच्छे शौक रखो तथा अच्छे कर्म करो.

शौक का महत्व

शौक एक ऐसा शब्द है, जो किसी के देने से या अच्छे बुरे होने से उत्पन्न नहीं होता है. यह मन को जो चीज अच्छी लगती है. उसमे शौक या रूचि उत्पन्न हो जाती है. यह बचपन से ही हमारे अंदर जन्म लेने लगता है.

किसी कार्य को करने से हमें आनंद की अनुभूति होती है. हमारे मन को शांति मिलती है, वही हमारा शौक या रूचि होती है. अपनी मन पसंद के अनुसार ही शौक होते है. जो मन को चीजे अच्छी लगती है. उसमे हमारी रूचि होती है.

कुछ शौक हमारे टेलेंट से विकसित होते है. जो हमें आत्मविश्वास तथा कार्य करने के लिए प्रेरित करते है. जिससे लम्बे समय तक किया गया कार्य शौक में बदल जाता है. जैसे किसी गेम को खेलने में हम अच्छे है, तो हमें वह खेलने में आनंद आता है. जिससे उसे खेलने में रूचि होती है.

तथा हम उस खेल को खेलते है. अपना पूरा जीवन शौक को देना हमारी बर्बादी बन सकता है. पर शौक को हम खाली समय को आनंदमय रूप से निकालने के लिए शौक वाले कार्य करते है. जो हमें थकावट से दूर करके नई उर्जा प्रदान करता है. 

मेरे भी कई शौक है, जिन्हें मै पूरा करता हूँ. मेरा शौक बगीचे में विसरण करने का होता है. क्योकि मुझे बगीचा बहुत अच्छा लगता है. मेरे घर के बगीचे में अपना लगभग आधा दिन गुजारता हूँ.

सुबह उठते ही मै बागीचे में जाकर बैठ जाता हूँ. तथा योगा प्राणायाम करता हूँ. सूर्योदय होने पर बगीचे में बैठकर जल चढ़ाता हूँ. सुबह सुबह की धूप बगीचे में बैठकर लेता हूँ. तथा बगीचे के पौधों को ध्यान से लम्बे समय तक निहारता रहता हूँ. तथा एक विचित्र दुनिया का अनुभव करता हूँ.

 हमेशा बगीचे के पौधों को पानी देता हूँ. तथा अपने इस बागवानी शौक को पूरा करता हूँ. जिससे मुझे बहुत ख़ुशी होती है. पढाई करने के लिए भी मै यहाँ आता हूँ. शाम के समय में दोस्तों के साथ खेल खेलने के लिए भी हम बगीचे में जाते है. 

जहा ढलते सूर्य और महकते फूलो के बीच खेलकर मुझे बहुत आनंद आता है. यह पल मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं होते है. मै हमेशा नए पौधों बगीचे में लाता रहता हूँ. तथा बागीचे में अधिक से अधिक सुगन्धित फुल लाता हूँ, जो मुझे महक देते है, जिससे मुझे बहुत आनन्द आता है.

बगीचे की देखरेख करना मै अपना पहला कार्य मानता हूँ. हमेशा 2 घंटे बगीचे में देखभाल के लिए देता हूँ. जिसमे पौधों को नियमित रूप से पानी भी देता हूँ. एक से बढ़कर एक अच्छे अच्छे फूल लाकर मेरे बगीचे में लगाता हूँ. 

जिस कारण मेरे बगीचा बहुत सुंदर दिखता है. मै मेरा बगीचा सबसे अच्छा बनाकर रखता हूँ. जिसमे मुझे ख़ुशी मिलती है. बगीचे को सजाने में परिवार वाले भी मेरा सहयोग करते है. 

प्रिय दर्शको आज का हमारा लेख मेरा शौक पर निबंध My Hobby Essay In Hindi //मेरी रूचिया पर निबंध आपको कैसा लगा कमेन्ट में अपनी राय दें. तथा अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.