पुष्कर मेला पर निबंध Essay On Pushkar Fair In Hindi: क्या आप जानते है पुष्कर का मेला राजस्थान में कहाँ भरता है अथवा पुष्कर में किसका मेला लगता हैं कब लगता है इन सभी के बारे में आज पुष्कर मेला का इतिहास, जानकारी, निबंध स्पीच यहाँ बता रहे.
राजस्थान प्रदेश अपने समृद्ध इतिहास एवं संस्कृति के लिए जाना जाता हैं. राज्य पर एक लम्बे दौर तक राजाओं का शासन रहा. यहाँ के अतीत में हजारों बलिदानी गाथाएं भरी हुई हैं.
पुष्कर मेला पर निबंध | Essay On Pushkar Fair In Hindi
राज्य की ऐतिहासिक संस्कृति के साक्ष्य के रूप में यहाँ हजारों की संख्या में दुर्ग, स्तम्भ, मंदिर और किले निर्मित हैं. ऐसा ही एक स्थल है पुष्कर जिन्हें भारत ही नहीं दुनिया भर में जाना जाता हैं.
पुष्कर मेला राजस्थान की पावन भूमि पर कार्तिक मास की पूर्णिमा को भरा जाता है. यह मेला अजमेर में पुष्कर झील के किनारे भरा जाता है. यहाँ हजारो की संख्या में हिन्दू भक्त आते है.
राजस्थान में स्थित पुष्कर में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर स्थित है. पुष्कर अपने तीर्थ स्थलों के लिए भारत भर में खूब प्रसिद्द है. यहाँ का मनोहर दृश्य को भक्तो तथा सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
वीरता और भक्ति का अद्भुत समन्वय राजस्थान में देखने को मिलता हैं. राज्य के एक भाग में वीरों की झंकार राणा प्रताप जैसे स्वाभिमानी एवं वीर यौद्धाओं को जन्म दिया तथा भारत माता के मस्तक को ऊपर उठाया तो वहीँ मीरा ने प्रेम और भक्ति की अनोखी मिशाल पेश की हैं. राजस्थान का यह मिलाजुला स्वरूप इसके गौरव को बढ़ाता हैं.
राज्य के कोने कोने में वीरता, बलिदान, प्रेम और भक्ति से जुड़े अनेक पर्व एवं मेले आयोजित किये जाते हैं इनके पीछे लोक कथाएँ और गीत प्रचलित हैं. जिनसे सभी को प्रेरणा मिलती हैं.
राजस्थान की संस्कृति और विरासत पर राजस्थानी और हिंदी भाषाओं में कई रचनाएं रची गई. राजस्थान में धार्मिक महत्व के कई बड़े मेले आयोजित होते हैं. इनमें अजमेर का पुष्कर का मेले की गिनती देश के बड़े मेलों में गिना जाता हैं. जहाँ देश दुनियां से लोग आकर एकता एवं भाईचारे का नजारा देखने को मिलता हैं.
सर्दियों की मलखाती ठंड के दिनों में पुष्कर का मेला भरता हैं. इस अवसर पर पूरे पुष्कर शहर विद्युत् लाइट से जगमगाता प्रतीत होता है. दूर दूर से दुकानों वाले तथा कलाकार और झूले सर्कस वाले यहाँ पहुंचकर अपनी व्यवस्था बनाने लगते हैं. ऊंटों पर राजस्थानी धोती कुर्ते की वेशभूषा पहने लोग पुष्कर की ओर प्रस्थान कर जाते है.
पुष्कर के मेले स्थल पर बस जनसैलाब ही नजर आता हैं. शाम के समय पुष्कर के सरोवर पर धूप आरती होती हैं एक साथ हजारों दीपक की जगमगाहट से वातावरण में अनोखा भक्ति रस भर जाता हैं.
पुष्कर के पवित्र तालाब में स्नान करने की परम्परा है इस तालाब में मगर और घड़ियाल भी रहते हैं. लोग एक साथ सरोवर में डुबकी लगाते, जल चढ़ाते समय जो भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत दृश्य दिखता है वह अन्यत्र दुर्लभ हैं.
पुष्कर में दर्जनों हिन्दू देवी देवताओं तथा भगवानों के मन्दिर बने हुए हैं मगर पुष्कर जिसके लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है वह है भगवान ब्रह्मा का मंदिर. आपकों जानकर हैरत होगी कि पुष्कर के सिवाय भारत या दुनिया के किसी अन्य भाग में ब्रह्माजी का मंदिर नहीं हैं. यही इकलौता ब्रह्मा मंदिर है जो पुष्कर अजमेर राजस्थान में स्थित हैं.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले इस मेले में ब्रह्म दर्शन एवं ब्रह्म सरोवर में स्नान का बड़ा महत्व माना गया हैं. यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालु सरोवर में स्नान करने के बाद ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन करने जाते हैं अमूमन मंदिर में तिल रखने भर की जगह नहीं बचती हैं. इस अपार भीड़ के बावजूद हर बार पुष्कर मेले का आयोजन बिना कोई क्षति के शांतिपूर्ण तरीके से होता हैं.
पुष्कर मंदिर एवं सरोवर से जुडी कई क्षेत्रीय मान्यताएं भी हैं. पवित्र स्नान के बाद स्त्रियाँ भक्ति भाव से लोक भक्ति गीत गाते हुए सरोवर के चारों ओर परिक्रमा करती हैं. विभिन्न रंगों की पोशाक पहने स्त्रियाँ सुंदर गीतों के साथ जल परिक्रमा करती हैं. ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति एवं सुख मिलता हैं.
पुष्कर में दर्जनों हिन्दू देवी देवताओं तथा भगवानों के मन्दिर बने हुए हैं मगर पुष्कर जिसके लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है वह है भगवान ब्रह्मा का मंदिर. आपकों जानकर हैरत होगी कि पुष्कर के सिवाय भारत या दुनिया के किसी अन्य भाग में ब्रह्माजी का मंदिर नहीं हैं. यही इकलौता ब्रह्मा मंदिर है जो पुष्कर अजमेर राजस्थान में स्थित हैं.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले इस मेले में ब्रह्म दर्शन एवं ब्रह्म सरोवर में स्नान का बड़ा महत्व माना गया हैं. यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालु सरोवर में स्नान करने के बाद ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन करने जाते हैं अमूमन मंदिर में तिल रखने भर की जगह नहीं बचती हैं. इस अपार भीड़ के बावजूद हर बार पुष्कर मेले का आयोजन बिना कोई क्षति के शांतिपूर्ण तरीके से होता हैं.
पुष्कर मंदिर एवं सरोवर से जुडी कई क्षेत्रीय मान्यताएं भी हैं. पवित्र स्नान के बाद स्त्रियाँ भक्ति भाव से लोक भक्ति गीत गाते हुए सरोवर के चारों ओर परिक्रमा करती हैं. विभिन्न रंगों की पोशाक पहने स्त्रियाँ सुंदर गीतों के साथ जल परिक्रमा करती हैं. ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति एवं सुख मिलता हैं.
यहाँ बड़ी संख्या में विदेशी आगन्तुक भी आते है जो राजस्थान की वेशभूषा तथा उनके मधुर स्वरों को सुनकर खो जाते हैं. अपनी पावनता के लिए विख्यात पुष्कर भूमि पर ब्रह्माजी ने कठोर तपस्या की थी. वे यहाँ रहकर तप करने के साथ ही सरोवर में स्नान करते हैं उन्ही की स्मृति में यहाँ भव्य मंदिर बनाया गया था. इस मंदिर किए निर्माण और निर्माता के सम्बन्ध में अधिक जानकारी नहीं मिलती हैं.
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