अनुशासन पर निबंध Essay on Discipline in Hindi
Short Essay on Discipline in Hindi
अनुशासन शब्द दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना हैं अनु+शासन अर्थात अपने पर शासन करना अथवा शासन के अनुसार स्वयं को ढालना ही अनुशासन कहलाता हैं. मानव जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व माना गया हैं.
प्रत्येक व्यक्ति को अपने समाज के कानून कायदों के अनुसार जीवन निर्वहन करना पड़ता हैं. समाज के ये नियम कानून व्यक्ति की बेहतरी के लिए बनाए जाते हैं.अतः सुख सम्पन्न जीवन के लिए इन सामाजिक बन्धनों का पालन करना परिहार्य हैं.
अनुशासन अर्थात् सद्गुण जो मर्यादित नियमों, कानूनों तथा उचित प्रक्रिया से बद्ध जीवनशैली का निर्माता है. जिस प्रकार स्वाचालित गाड़ी के लिए दिशा निर्देशन के लिए मेनू दिया जाता है, उसी प्रकार हमारे जीवन जीने का उचित तथा सार्थक ढांचा बनाने वाली पद्धति अनुशासन कहलाती है.
अनुशासन अर्थात् सद्गुण जो मर्यादित नियमों, कानूनों तथा उचित प्रक्रिया से बद्ध जीवनशैली का निर्माता है. जिस प्रकार स्वाचालित गाड़ी के लिए दिशा निर्देशन के लिए मेनू दिया जाता है, उसी प्रकार हमारे जीवन जीने का उचित तथा सार्थक ढांचा बनाने वाली पद्धति अनुशासन कहलाती है.
अनुशासन को धार्मिकता से जोड़ा जाए तो यह मर्यादा सर्वोतम श्री राम की देन है, इनसे बड़ा कोई प्रेरणा का स्रोत हो नहीं सकता. एक राजकुमार होने के बावजूद उनका मर्यादित ढंग उनके अनुशासन को दर्शाता है.
भागवत गीता को अनुशासन की पुस्तिका कहा जाए तो कोई संदेह नहीं होगा, क्योकिं गीता में भी जीवन जीने की उचित पद्धति तथा मान-मर्यदाओ का जिक्र किया गया है. जो आज के अनुशासन के सम्बंधित है.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुशासन को दो भागो में विभक्त किया जाता है, जिसमे स्वानुशासन तथा आरोपित अनुशासन है, अर्थात् अपनी परिपक्ता, समझ तथा सार्थकता के आधार पर नियमबद्ध रहना.
अनुशासन का दूसरा प्रकार आरोपित अनुशासन को माना जाता है, अर्थात वो अनुशासन जो समझ के अभाव में या यूँ कहें बाहरी दवाब के द्वारा पालना करवाई जाती है.
बचपन में बच्चे को संस्कार के नाम पर परिवार के माध्यम से अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया जाता है, बड़ो का आदर करना, गुरुजन, अभिभावक तथा बड़ो के प्रति उनका रवैया आरोपित अनुशासन का ही परिणाम होता है.
बढ़ती समझ के साथ ही यह ना जाने कब? स्वानुशासन में रूपांतरित हो जाता है. तथा वे नियम जो कभी आरोपित किये गए, जिनकी पालना के लिए प्रेसर दिया जाता था, वो स्वअनुशासन में अपने आप सम्मलित हो गए.
इन सामाजिक जीवन के नियमों को हम साधारणतया कानून के रूप में जानते हैं. सरकार, प्रशासन तथा पुलिस इन्ही नियमों को लागू करने तथा क्रियान्वयन के लिए कार्य करते हैं. अनुशासन के कारण ही व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से व्यक्ति संतुलित जीवन जी सकता हैं. इसलिए जीवन का अनुशासित होना बेहद जरुरी हैं.
मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी तथा परिवार को उसकी पहली पाठशाला माना जाता हैं एक अच्छे आचरण और सभ्य परिवार में पलने वाला बालक आगे जाकर अच्छा नागरिक स्वतः बन जाता हैं. बडो तथा माता पिता की आज्ञाओं का पालन करना अनुशासन का पहला चरण हैं.
मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी तथा परिवार को उसकी पहली पाठशाला माना जाता हैं एक अच्छे आचरण और सभ्य परिवार में पलने वाला बालक आगे जाकर अच्छा नागरिक स्वतः बन जाता हैं. बडो तथा माता पिता की आज्ञाओं का पालन करना अनुशासन का पहला चरण हैं.
व्यक्ति के जीवन में अनुशासन के गुणों का विकास करने में परिवार के बाद दूसरी भूमिका विद्यालय की होती हैं. जहाँ योग्य शिक्षक उन्हें अनुशासित वातावरण के बीच शिक्षा प्रदान करते हैं. ऐसे वातावरण में बालक के मानसिक एवं बौद्धिक विकास सही ढंग से हो पाता हैं.
आज के बालक और विद्यार्थी ही हमारे समाज और देश के कल के भाग्य विधाता हैं. ये उन नव पल्लवित पुष्प की भांति होते हैं जिनके विकास के काल में यदि कोई कमी रह जाए तो वे पल्लवित नहीं हो पाएगे और उपवन में वह रौनक नहीं रह पाएगी.
आज के बालक और विद्यार्थी ही हमारे समाज और देश के कल के भाग्य विधाता हैं. ये उन नव पल्लवित पुष्प की भांति होते हैं जिनके विकास के काल में यदि कोई कमी रह जाए तो वे पल्लवित नहीं हो पाएगे और उपवन में वह रौनक नहीं रह पाएगी.
एक अनुशासित स्टूडेंट देश के लिए सकारात्मक योगदान देने वाला नागरिक बनेगा वही अनुशासनहीन छात्र आगे जाकर असभ्य व्यवहार करते हैं जो समाज के लिए कंटक का कार्य करते हैं.
बच्चें में अनुशासन के गुणों का विकास करने का सबसे बढ़िया समय और स्थान विद्यालय काल ही होता हैं इसके बाद वह प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन में प्रवेश करता हैं, जहाँ उसे हर कदम पर अनुशासन और धैर्य के साथ आगे बढ़ना होता हैं. ऐसे में अनुशासनहीन नागरिक न केवल समाज के लिए बल्कि देश के लिए भी घातक साबित होते हैं.
किसी महाशय ने अनुशासन के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे सफलता की कुंजी के रूप में बताया है जो सही भी प्रतीत होता हैं. श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद जी ने अनुशासन के बारे में कहा था कोई भी व्यक्ति मर्यादा, परिश्रम और अनुशासन के बिना जीवन में महान कार्य नहीं कर सकता.
इससे स्पष्ट हैं अनुशासन हमारे जीवन का अहम भाग हैं जिसकी हमें हर पल आवश्यकता पड़ती हैं खेल के मैदान से लेकर राजनीति, व्यवसाय सभी में इसकी महत्ती आवश्यकता हैं. घर हो विद्यालय, सभा हो या सोसायटी अथवा समाज हो या देश सभी के सही संचालन के लिए अनुशासन के नियमों की आवश्यकता पड़ती हैं.
कुछ लोग अनुशासन के नकारात्मक अर्थ निकालते हैं तथा इसे व्यक्ति पर अनावश्यक बंधन मानते हैं जबकि वाकई में अनुशासन तो व्यक्ति के समुचित विकास व उन्नति के लिए निर्धारित सामान्य कानून कायदे हैं
बच्चें में अनुशासन के गुणों का विकास करने का सबसे बढ़िया समय और स्थान विद्यालय काल ही होता हैं इसके बाद वह प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन में प्रवेश करता हैं, जहाँ उसे हर कदम पर अनुशासन और धैर्य के साथ आगे बढ़ना होता हैं. ऐसे में अनुशासनहीन नागरिक न केवल समाज के लिए बल्कि देश के लिए भी घातक साबित होते हैं.
किसी महाशय ने अनुशासन के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे सफलता की कुंजी के रूप में बताया है जो सही भी प्रतीत होता हैं. श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद जी ने अनुशासन के बारे में कहा था कोई भी व्यक्ति मर्यादा, परिश्रम और अनुशासन के बिना जीवन में महान कार्य नहीं कर सकता.
इससे स्पष्ट हैं अनुशासन हमारे जीवन का अहम भाग हैं जिसकी हमें हर पल आवश्यकता पड़ती हैं खेल के मैदान से लेकर राजनीति, व्यवसाय सभी में इसकी महत्ती आवश्यकता हैं. घर हो विद्यालय, सभा हो या सोसायटी अथवा समाज हो या देश सभी के सही संचालन के लिए अनुशासन के नियमों की आवश्यकता पड़ती हैं.
कुछ लोग अनुशासन के नकारात्मक अर्थ निकालते हैं तथा इसे व्यक्ति पर अनावश्यक बंधन मानते हैं जबकि वाकई में अनुशासन तो व्यक्ति के समुचित विकास व उन्नति के लिए निर्धारित सामान्य कानून कायदे हैं
जिसका स्वेच्छा से सभी नागरिकों को पालन करना होता हैं. इसका अर्थ बाहरी दवाब या डर से पालना नहीं हैं वरन अतः प्रेरणा से अपने जीवन की सही दिशा देने के लिए अनुशासन की पालना हमें हर समय करनी चाहिए.
अनुशासन पर निबंध Essay on Discipline in Hindi
अनुशासन शब्द का अर्थ है नियंत्रण अथवा स्वयं संयमपूर्ण रहना. अनुशासन शब्द अनु और शासन इन दोनों शब्दों के मेल से बना हैं. अनु का अर्थ अनुकरण करना है तथा शासन का अर्थ व्यवस्था या नियंत्रण करना हैं.
इस प्रकार स्वयं को नियम के अनुसार ढालना, व्यवस्था का पालन करना और अपने आचरण पर नियंत्रण करना अनुशासन कहलाता हैं. इस अनुशासन से प्रत्येक व्यक्ति को अपने चरित्र एवं व्यक्तित्व का अच्छा विकास कर सकता हैं. राष्ट्र की प्रगति के लिए देशवासियों में अनुशासन अत्यावश्यक हैं.
अनुशासन का महत्व- केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व हैं. जिस राष्ट्र के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते हैं. और समय का उपयोग करने के लिए सतर्क रहते हैं. वह राष्ट्र प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता ही जाता हैं.
परन्तु विद्यार्थियों के लिए तो यह अतीव महत्वपूर्ण हैं अनुशासन से ही विद्यार्थी अच्छे संस्कारों को अपना सकते हैं. और अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास कर सकते हैं.
अनुशासन का महत्व- केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व हैं. जिस राष्ट्र के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते हैं. और समय का उपयोग करने के लिए सतर्क रहते हैं. वह राष्ट्र प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता ही जाता हैं.
परन्तु विद्यार्थियों के लिए तो यह अतीव महत्वपूर्ण हैं अनुशासन से ही विद्यार्थी अच्छे संस्कारों को अपना सकते हैं. और अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास कर सकते हैं.
आज जो विद्यार्थियों और कर्मचारियों में निराशा और असंतोष की स्थिति बढ़ रही हैं उसका प्रमुख कारण अनुशासन का अभाव हैं. इसलिए अनुशासन का जीवन और चरित्र निर्माण में विशेष महत्व हैं.
अनुशासनहीनता के कारण- हमारे देश में अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं. हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर सम्बन्धों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों में स्वार्थी भावना और कर्तव्यनिष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक कारण हैं, जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा हैं.
घोर स्वार्थी प्रवृत्ति और कामचोर स्वभाव होने से कर्मचारियों में अनुशासन की भावना समाप्त हो गई हैं. शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण हैं. इससे ऐसे नागरिकों का निर्माण हो रहा हैं.
अनुशासनहीनता के कारण- हमारे देश में अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं. हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर सम्बन्धों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों में स्वार्थी भावना और कर्तव्यनिष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक कारण हैं, जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा हैं.
घोर स्वार्थी प्रवृत्ति और कामचोर स्वभाव होने से कर्मचारियों में अनुशासन की भावना समाप्त हो गई हैं. शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण हैं. इससे ऐसे नागरिकों का निर्माण हो रहा हैं.
जो आदर्शों और मानवीय मूल्यों का महत्व नहीं जानते हैं. इन सभी कारणों से हमारे छात्र, युवा एवं समाज के अन्य लोग अनुशासन से रहित हो रहे हैं. वे स्वतंत्रता का अर्थ स्वेच्छाचरण मानकर अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं.
अनुशासन सफलता का रहस्य- जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन हैं. जिन राष्ट्रों के लोगों में अनुशासन का महत्व स्वीकार्य हैं वे अपना और अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं.
अनुशासन सफलता का रहस्य- जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन हैं. जिन राष्ट्रों के लोगों में अनुशासन का महत्व स्वीकार्य हैं वे अपना और अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं.
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का तो विशेष महत्व हैं क्योंकि आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी सुनागरिक हैं. अनुशासनप्रिय विद्यार्थी जीवन पथ पर स्वतः अग्रसर हो सकता हैं.
अनुशासनार्थ सुझाव- अनुशासन अपनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव रूप में प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भावना का जागरण होना चाहिए. इसके लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार जरुरी हैं. हमें हमारे महापुरुषों तथा आदर्श व्यक्तियों का चारित्रिक विकास की दृष्टि से अनुकरण करना चाहिए. इन सुझावों का पालन करने से अनुशासनप्रिय बना जा सकता हैं.
अनुशासनार्थ सुझाव- अनुशासन अपनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव रूप में प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भावना का जागरण होना चाहिए. इसके लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार जरुरी हैं. हमें हमारे महापुरुषों तथा आदर्श व्यक्तियों का चारित्रिक विकास की दृष्टि से अनुकरण करना चाहिए. इन सुझावों का पालन करने से अनुशासनप्रिय बना जा सकता हैं.
उपसंहार- अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार हैं जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता हैं. इससे श्रेष्ट गुणों का विकास होता हैं. अनुशासित रहकर प्रत्येक छात्र प्रत्येक कर्मचारी और प्रत्येक नागरिक अपनी तथा देश की प्रगति में सहायक हो सकता हैं.
Essay 2
प्रत्येक मनुष्य के जीवन मे अनुशसन सबसे जरूरी होता है। जीवन मे अनुसाशान ही सबसे बड़ा धर्म होता है। बिना अनुशासन के कोई भी अपना जीवन खुशी से नहीं जी सकता है। आज के जमाने मे हर मनुष्य पर नियम तथा कायदे होते है।
यह सभी के लिए समान रूप मे कार्य करता है। जो भी व्यक्ति अनुशासन की रह पर चलता है। वह अपने जीवन मे जरूर सफल होता है। अनुशासन ही हमारा ज्ञान है।
यह सभी के लिए समान रूप मे कार्य करता है। जो भी व्यक्ति अनुशासन की रह पर चलता है। वह अपने जीवन मे जरूर सफल होता है। अनुशासन ही हमारा ज्ञान है।
अनुशासन क्या है
अनुशासन को हम एक कार्य भी कह सकते है। जो कि दिमाक तथा शरीर का नियंत्रण बनाये रखता है। हमे हर समय अपने बड़ो का आदर करना चाहिए। और उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए। यही हमारा ज्ञान है। इसे ही अनुशासन कहते है।
केवल पढ़-लिखकर ज्ञान को प्राप्त नहीं कर सकते है। हमे अनुशासन रखना सबसे जरूरी माना जाता है। हमे समय पर विद्यालय मे जाकर पढ़ाई करनी चाहिए। बिना अनुमति कही पर भी नहीं जाना चाहिए।
हमे अपने शिक्षक की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उनका सम्मान करना तथा उनके द्वारा दिये गए गृहकार्य को समय पर पूरा करना चाहिए। परिवार वाले,शिक्षक तथा सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना हमारा धर्म है। यही अनुशासन है।
हमे अपने शिक्षक की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उनका सम्मान करना तथा उनके द्वारा दिये गए गृहकार्य को समय पर पूरा करना चाहिए। परिवार वाले,शिक्षक तथा सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना हमारा धर्म है। यही अनुशासन है।
जीवन में अनुशासन का महत्व
अनुशासन हमे सामाजिक रूप से बहुत सहायता प्रदान करता है। और हमे प्रेम तथा सम्मान मिलता है। अनुशासन कार्य को समय पर करने तथा विधि द्वारा करने मे हमारी सहायता करता है। यदि हम अपनी दिनचर्या को समय पर करते है। तो हम अनुशासित माने जाते है।
अनुशासन हमारे जीवन का स्तर बढ़ाता है। अनुशासन रखने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। अतः हमारे जीवन जीवन मे अनुशासन का बहुत महत्व माना जाता है। ये हमारे जीवन के लिए आवश्यक है।
1 अपने कार्य को समय पर करना चाहिए। .कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।
2 ऐसे कार्यो को नहीं करे जिससे आपको या किसी दूसरे को नुकसान हो। जिससे हमारा समय खराब होता है। साथ ही नुकसान भी होता है।
3. अपने जीवन की नियमित दिनचर्या को समय पर करना चाहिए।
4 अपनी बुरी आदतों को त्याग कर अच्छी आदतों बनाये।
5.अपने कार्य को पूरी लग्न तथा निष्ठा के साथ करे जिससे कार्य मे आप सफल हो।
6.ऐसा कार्य नहीं करे जिससे दूसरों की आत्मा को ठेस पहुंचे। बल्कि ऐसा कार्य करे जिससे सभी की आत्मा शांत हो।
अनुशासित रहने के तरीके
हम अपने जीवन मे अनुशासन रखने के नियम निम्न लिखित है-1 अपने कार्य को समय पर करना चाहिए। .कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।
2 ऐसे कार्यो को नहीं करे जिससे आपको या किसी दूसरे को नुकसान हो। जिससे हमारा समय खराब होता है। साथ ही नुकसान भी होता है।
3. अपने जीवन की नियमित दिनचर्या को समय पर करना चाहिए।
4 अपनी बुरी आदतों को त्याग कर अच्छी आदतों बनाये।
5.अपने कार्य को पूरी लग्न तथा निष्ठा के साथ करे जिससे कार्य मे आप सफल हो।
6.ऐसा कार्य नहीं करे जिससे दूसरों की आत्मा को ठेस पहुंचे। बल्कि ऐसा कार्य करे जिससे सभी की आत्मा शांत हो।
7.सभी से साथ अच्छा व्यवहार करे।और जरूरत पड़ने पर सहायता करे।
अनुशासन को हम सफलता का आधार भी कह कह सकते है। हर जगह पर अनुशासन की आवश्यकता होती है। केवल ज्ञान को हम अनुशासन नहीं कह सकते है। अनुशासन ज्ञान से भी बढ़कर होता है। अनुशासन हमे अपने परिवार से मिलता है। तथा अपने दोस्तो से मिलता है।
अनुशासन का लाभ और आवश्यकता
अपने जीवन मे अनुशासन अपनाने वाले व्यक्ति को लाभ ही प्राप्त होता है। साथ ही इनको हर जगह पर मान-सम्मान मिलता है।अनुशासित व्यक्ति को सफलता भी शीघ्र ही मिलती है।अनुशासन रखना हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।अनुशासन को हम सफलता का आधार भी कह कह सकते है। हर जगह पर अनुशासन की आवश्यकता होती है। केवल ज्ञान को हम अनुशासन नहीं कह सकते है। अनुशासन ज्ञान से भी बढ़कर होता है। अनुशासन हमे अपने परिवार से मिलता है। तथा अपने दोस्तो से मिलता है।
हमारे जीवन मे अनुशासन को हम सफलता की द्वार कह सकते है। आज के युग मे अनुशासन को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।
अनुशासन का महत्व पर निबंध Essay on Discipline in Hindi
हमारे जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है. अनुशसाशन जीवन को सफल बना सकता है. अनुशासित व्यक्ति ही अपने जीवन में प्रगति कर पाता है. आज में आपको एक अनुशासित विद्यार्थी और शिक्षक की कहानी बताऊंगा.
मेरे विद्यालय में हम सभी विद्यार्थी एक साथ अध्ययन करते है. हमारे शिक्षक हमें पहले दिन से ही अनुशासन के बारे में सिखाते है. इस कारण हम सभी अनुशासन की पालना करते है.
आज के इस जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है. अनुशासन से ही हम एक खुशहाल जीवन जी सकते है. अनुशासन से ही हम हर असंभव कार्य को संभव कर सकते है.
अनुशासन शब्द का सीधा अर्थ नियमो के अनुसार जीवन जीना है. जो इस जीवन को सफल बनाने में सहायता प्रदान करते है. अनुशासन वह नियम है, जिसमे कभी स्वतंत्रत को कभी अधीन जीवन की कल्पना करनी पड़ती है.
अनुशासन जीवन में हमें अधीन जीवन जीना पड़ता है, पर ये जीवन हमें जीवनभर की आजादी दिलाता है. कुछ सालो की मेहनत और अनुशासन हमारे जीवन के सफर को आसान और सफल बना देती है.
अनुशासन हमारे जीवन की सफलता का आधार है. इस प्रकार अनुशासन का हमारे जीवन में विशेष महत्व है. इसलिए हमे अपने जीवन को अनुशासित जीवन बनाकर अपने जीवन में प्रगति करनी होगी.
अनुशासन शब्द का हिंदी अर्थ नियमो की पालना होता है. आज मानव जाति ही नहीं बल्कि जीव जंतु भी अनुशासित जीवन जीते है. आज की समस्त प्रकृति अनुशासन का उदाहरन है.
अनुशासन हमारे जीवन में आने वाली बढाओ को कम करता है. तथा हमें एक आसान जीवन जीने का अवसर देता है. अनुशासन एक सार्थक जीवन जीना सिखाता है.
आज जो व्यक्ति अनुशासन को नहीं समझता वो व्यक्ति जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाता है. और अनुशासनहीनता व्यक्ति को समाज में हमेशा भला बुरा कहा जाता है. कोई सम्मान नहीं मिलता है. ऐसे लोगो को हमेशा निंदा का शिकार होना पड़ता है.
हर व्यक्ति के जीवन की शुरुआत बचपन से होती है. और जो अपने बचपन में गुरुजनों से शिक्षा प्रापर एक आदर्श विद्यार्थी के रूप में शिक्षा ग्रहण करता है, वह अपने जीवन की मजबूत नीव रखता है.
विद्यार्थी जीवन ही व्यक्ति के जीवन का निर्माण करता है. वो विद्यार्थी बचपन से ही अनुशासन में रहता है. वह हमेशा अपने जीवन में अनुशासित ही रहता है. जो सबसे बड़ी विशेषता है.
बचपन से ही व्यक्ति के अनुशासन से उसके चरित्र और संस्कारो के बारे में जाकर उन्हें अपने लेवल के अनुसार मानते है. जिस कारण कई बच्चो को बचपन से ही बुरा माना जाता है.
जो विद्यार्थी बचपन से ही सभी के साथ अच्छा व्यवहार करता है, बड़ो का सम्मान करता है. हमेशा अनुशासन में रहता है. उस बच्चे को अच्छा व्यक्ति माना जाता है.
शिक्षा की प्राप्ति बच्चो को गुरुजनों से होती है, पर संस्कार और अनुशासन की शिक्षा बच्चो को अपने माता पिता से ही होती है. जिस कारण कई बच्चे अपने माता पिता के सामान गुण दर्शाते है.
अनुशासन की शिक्षा को बचपन में ही ग्रहण किया जा सकता है. कई बच्चे इसे समझ होने के बाद भी इसे अपने जीवन में अपना लेते है, पर हर किसी के लिए अनुशासन की किसी भी समय जीव में उतरना आसान नहीं होता है. जिस कारण बचपन में ही अनुशासन सिखाना सबसे श्रेष्ठ रहता है.
जो विद्यार्थी अनुशासन का पाठ पढता है, वह विद्यार्थी ही शिक्षा को सबसे बेहतर ग्रहण करता है. अनुशासन का दूसरा नाम ज्ञान ही है. अनुशासन में रहकर शिक्षा की प्राप्ति आसन हो जाती है.
अनुशासन की पालना के कई उपाय है. जिसमे कुछ बच्चे अपने चरित्र के अनुसार अनुशासित रहते है. तो कुछ बच्चे शिक्षको के भय के कारण पर किसी भी तरह से शिक्षा के लिए अनुशासन जरुरी है.
अनुशासन के इस गुण से हमे हर कोई सम्मान देता है, अनुशासन के कारण हम,इ हर कार्य में सहयोग मिलता है. तथा अनुशासन हमे आत्मसम्मान दिलाता है.
अनुशासन की पालना कर हम अपने शिक्षा के स्तर को बेहतर बना सकते है. शिक्षा की प्राप्ति के लिए हमे हमेशा शिक्षको के दवरा किये गए कार्य को करना पड़ता है. जो विद्यार्थी शिक्षा की हर बात मानता है, वह शत प्रतिशत सफल होता है.
आज तक के सभी महान लोग और सफल लोगो के अनुसार अनुशासन से ही जीवन में कुछ पाया जा सकता है. शिक्षा में ही नही हर जगह हमें अनुशासन की जरुरत होती है.
कुछ विद्यार्थी बचपन में अच्छे संस्कार नहीं मिल पाने के कारण अनुशासनहीनता रह जाते है. जिस कारण वे किसी का कहना नहीं करते है. जिस कारण वे हर कार्य में पीछे रह जाते है.
अनुशासनहीनता जीवन की बर्बादी है. अनुशासन को तोड़कर हम आत्मसम्मान को तोड़ते है. और खुद के लिए समाज में एक बुरी नजर पैदा करते है. अनुशासनहीन व्यक्ति हमेशा नकारात्मक सोच रखता है. जो हमारे लिए बुरा संकेत है.
आज शिक्षा से लेकर व्यवसाय तक सभी कार्य अनुशासन से ही किये जाते है. अनुशासन हमारे जीवन के बंद दरवाजो को खोल देता है. इसलिए हमे हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए.
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