दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga Puja in Hindi- नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है, आज के हमारे आर्टिकल में आज हम दुर्गा पूजा जो हिन्दुओ का पवित्र पर्वो में से एक है. हिन्दू धर्म के एक और महत्वपूर्ण पर्व दुर्गा पूजा के बारे में पढेंगे. दुर्गा पूजा पर छोटे बड़े निबंध दिए गए है.
दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga Puja in Hindi
हिन्दू धर्मे के प्रमुख त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा है. जिसे हम दुर्गौत्स्व तथा शरदोत्सव भी कहते है. ये पर्व माता दुर्गा के सभी रूपों में अलग अलग मनाया जाता है.
इस पर्व पर नौ दिन तक दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ये पर्व अंग्रेजी महीनो के आधार पर सितम्बर या अक्टूम्बर में आता है. इस पर्व का सभी को लम्बे समय से इंतजार रहता है.
दुर्गा पूजा यानि दुर्गोत्सव अथवा शरदोत्सव भारतीय उपमहाद्वीप व दक्षिण एशिया में मनाया जाने वाला यह एक वार्षिक हिन्दू त्योहार है, जिसमें हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा की करते है।इसमें छः दिनों को महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी का आयोजन होता है।
दुर्गा पूजा पर्व का मुख्य उद्देश्य हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। अतः दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में देखते है।
ये पुरे देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मुख्य रूप से ये पर्व दक्षिणी भारत में मनाया जाता है. इस पर्व को माता दुर्गा से वरदान की प्राप्ति के लिए मनाते है.
माता दुर्गा की नौ दिन पूजा करते है. तथा उपवास रखते है. तथा दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है. लगातर नौ दिन की पूजा के पश्चात माता दुर्गा की प्रतिमा को विशाल नदी या समुद्र में छोड़ दिया जाता है. दशहरा जिसे हम विजयादशमी कहते है. ये दशमी भी दुर्गा पूजा के पर्व में शामिल है.
भारत त्योहारों का देश है. यहाँ समय समय पर पर्वो को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दुर्गा पूजा उन्ही में से एक है.इस पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है. ये त्यौहार माता दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है.
इस पर्व पर नौ दिन तक दुर्गा के सभी रूपों की पूजा की जाती है.इस पर्व को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. ये पर्व सच्चाई की जीत की ख़ुशी में मनाते है.
इस पर्व को धार्मिक रूप से जोड़ते है. इस पर्व पर नौ दिन तक उपवास रखा जाता है. तथा दंसवे दिन दशहरा मनाया जाता है. उपवास करने से माता दुर्गा सभी के कष्टों का निवारण करती है.तथा जीवन में शांति का माहौल बनाती है.
दुर्गा पूजा पर 10 वाक्य 10 Line On Durga Puja in Hindi
- दुर्गा पूजा हिन्दुओ का प्रमुख धार्मिक पर्व है.
- दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव तथा शरदौत्सव भी कहते है.
- दुर्गा पूजा पर्व पर दुर्गा की पूजा की जाती है.
- ये पर्व हिन्दुओ का पवित्र पर्व है.
- दुर्गा पूजा नौ दिनों तक मनाया जाता है. इसके बाद दशहरा आता है.
- दुर्गा पूजा पर्व पर दुर्गा के सभी रूपों की पूजा की जाती है.
- इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है.
- इस पर्व की शुरुआत राक्षस महिषासुर के वध के बाद से मनाया जाता है.
- ये पर्व महिलाओ की शक्ति तथा उनके सम्मान में मनाया जाता है.
- ये पर्व सितम्बर और अक्टूम्बर में आता है.
दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga Puja in Hindi
भारत की संस्कृति त्यौहार की संस्कृति है. हर त्यौहार का कोई न कोई इतिहास होता है. दुर्गा पूजा भी एक हिन्दुओ का त्यौहार है. ये पर्व आश्विन माह के शुरूआती 10 दिनों में मनाया जाता है. जिसमे विजयादशमी भी शामिल है. दुर्गा पूजा को बुरे पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है.
दुर्गा पूजा के इस पर्व एक जटिल कहानी है. जिसके आधार पर इस पर्व को मनाया जाता है. प्राचीन समय की बात है. देत्यो का शक्तिशाली योद्धा महिसासुर था, जो काफी पराक्रमी और शक्तिशाली था. वो अपने अहंकार में डूब जाने के कारण उसने स्वर्ग के सभी देवताओ को वश में करने का फैसला किया.
वह किसी से भी नहीं हारता था, इसलिए वह देवताओ को परेशान करने लगा. सभी देवताओ
ने अपनी शक्तियों को इकठ्ठा कर इस दुष्ट का नाश करने के लिए एक नारी को शक्ति देकर उसे दुर्गा नाम दिया. इस नारी दुर्गा ने लगातर नौ दिन तक महिसासुर से जंग लड़ी इन नौ दिनों में दुर्गा के अलग अलग रूप को हम पूजते है.
दुर्गा पूजा कब है?
दुर्गा पूजा का पर्व साल में दो बार आता है. ये पर्व चैत्र महीने में तथा आश्विन महीने में आता है. चैत्र नवरात्र को हम वासन्तिक नवरात्र कहलाता है. तथा आश्विन नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहते है.ये अंग्रेजी महीनो में इस साल 11 अक्टूम्बर से 15 अक्तूबर तक सम्पुर्बं देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
दुर्गा पूजा का पर्व नौ दिनों तक चलता है. तथा इन सभी दिनों में दुर्गा के नौ रूपों की विविध रूप से पूजा की जाती है. हर साल की तरह इस साल भी नवरात्र आश्विन माघ की शुरुआत से दशहरे तक चलेगा.
दुर्गा पूजा का महत्व (Significance/Importance)
दुर्गा पूजा हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस पर्व को धार्मिक, सांस्कृतिक तथा अध्यात्मिक महत्व है. इस पर्व पर माता दुर्गा की पूजा की जाती है. तथा व्रत रखा जाता है.
इस पर्व की शुरुआत से दशहरे तक अखंड दीपक जलाया जाता है. तथा माता से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. दुर्गा पूजा का हमारी संस्कृति में विशेष महत्व है. इस पर्व को महिलाओ की सुरक्षा से जोड़ा गया है. ये पर्व लोगो में उत्साह तथा प्रेम भर जाता है.
पूजा विधि
माता दुर्गा के इस पर्व की शुरुआत प्रतिपदा से होती है. दुर्गा पूजा के इस पर्व के पहले दिन को विद्यालय में अवकाश रखा जाता है. तथा इस दिन को नवरात्रा स्थापना दिवस के रूप में मनाते है. इस दिन से श्रीद्धालू उपवास रखते है. तथा मंदिरों में माता की अखंड ज्योत जलाई जाती है.
हर साल मनाए जाने वाले इस पर्व से हमें कुछ न कुछ सिखाकर अपने जीवन के बुरे व्यवहार ओ सुधारने का प्रयास करे. तथा जीवन में शिष्टाचारी बने.
समाज में हो रही अनीतियो अत्याचारों और भ्रष्टाचारो से दूर हमें सम्मानित समाज का निर्माण करना है.आज के इस पर्व पर हमेर महिलाओ की सुरक्षा और उनके महत्व के बारे में बताया जाता है.
आज हमें महिसासुर या रावण बनकर इस जीवन को व्यापन नहीं करना है. बल्कि हमें इस जीवन को माँ दुर्गा की भाँती सत्यता पर टिका रहना है. हमेशा सत्य की जीत होती है.
इस प्रकार दुर्गा पूजा का ये उत्सव मनाया जाता है. इस पर्व से हमें सच्चाई की जीत होती है. सन्देश मिलता है.
दुर्गा पूजा पर निबंध हिंदी में Essay on Durga Puja in Hindi
दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के लोगो के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है. ये पर्व सितम्बर मे मनाया जाता है. वैसे ये पर्व पुरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पर बंगाल और दक्षिण राज्यों में ये काफी प्रसिद्ध उत्सव है.
इस पर्व की शुरुआत आश्विन माह की एकम से होती है. इस पर्व का इतिहास भगवान् राम तथा रावण के युद से माना जाता है. रावन अपने अहंकार में आकर भगवान् राम से युद्ध करता है.
नौ दिन की लम्बी लड़ाई के पश्चात दंसवे दिन दुर्गा को विजय मिली जिस दिन को हम दशहरा तथा विजयदशमी के रूप में मनाते है. इसी दिन भगवान् राम ने भी रावण का वध किया था. यानी इस दिन दो राक्षसों का वध किया गया. जिसकी ख़ुशी में ये पर्व हर साल मनाया जाता है.
इस पर्व पर लोग नौ दिनों तक उपवास रखते है. तथा माता दुर्गा की पूजा करते है. और गरबा नृत्यु कर माता के सभी रूपों की पूजा करते है. नौ दिनों की कठोर पूजा और उपासना के बाद में दसवे दिन दुर्गा की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है. तथा माता से आशीर्वाद लेकर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रतिज्ञा करते है.
रावण की शक्ति का सामना करने के लिए राम माता दुर्गा की आशीर्वाद लेकर उनके उपवास करते है. तथा जब तक रावण से युद्ध करते है. उपवास ही रखते है, आख़िरकार नौ दिनों को लम्बी लड़ाई के पश्चात भगवान राम रावण को पराजय कर देते है.
विजय की ख़ुशी में दशहरा मनाया जाता है. तथा इस दिन को विजय के रूप में मनाते है. इसलिए इसे विजयदशमी भी कहते है. नौ दिनों भगवान राम ने दुर्गा की पूजा की तथा उपवास रखा हिन्दू अनुनायी राम का अनुसरण कर नौ दिनों तक उपवास रखते है. तथा दशहरे के दिन रावण के पुतले को जलाते है. और अपना उपवास खोलते है.
इस पर्व पर लोग नौ दिन लगातर रात को गरबा तथा डंडिया खेल खेलते है. जिससे लोगो का खूब मनोरंजन होता है. तथा सभी लोग उपवास रखते है. इस पर्व पर विद्यार्थियों की छुट्टिया होती है. जिस कारण बच्चो को इस पर्व का विशेष इन्तजार रहता है.
इस पर्व के दिनों में कई स्थानों पर मेलो का आयोजन भी होता है. जहां लोग नए नए कपडे खरीदते है. तथा नृत्य करते है. और माँ दुर्गा की पूजा करते है.
माँ दुर्गा शक्ति की देवी है. जिस कारण लोग उपवास रखकर उनसे शक्ति देने और आशीर्वाद पाने लिए उनकी पूजा करते है. इस पर्व की दूसरी कहानी दुर्गा द्वारा महिषासुर का अंत से जुडी हुई है.
जिसमे असुरो के द्वारो देवताओ पर किये जा रहे हमलो को रोकने के लिए सभी देवता अपनी आंतरिक शक्ति से 10 हस्त वाली महिला का रूप धारण करते है. जिसे हम दुर्गा कहते है.
तथा दुर्गा शक्तिशाली असुर महिषासुर के अहंकार को चूर-चूर कर उसे हरा देती है. नौ दिन तक ये युद्ध चलता है. तथा दसवे दिन महिषासुर दुर्गा के हाथो मारा जाता है.
इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है. वाल्मीकि की रामायण में राम ने दुर्गा की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लेकर रावण का वध किया था. तथा दोनों युद्ध का अंत दशहरे के दिन होता है. जिसे विजयदशमी के रूप में हम मानाते है. जो अच्छाई प्रतीक माना जाता है.
इन कहानियो के साथ इस पर्व को कौस्ता से जोड़ा जाता है. जिन्हें इस दिन अपती के वृक्ष से स्वर्ण मुद्राए प्राप्त हुई. इस पर्व से जुडी सभी कहानिया हमें जीवन में अच्छे कर्म करने का सन्देश देती है.
कई लोग इस पर्व पर गरीबो को भोजन करवाते है. इस पर्व पर महिलाओ और बालिकाओ का सम्मान विशेष रूप से देखा जाता है. इस पर्व में सभी महिलाओ को दुर्गा की भांति माना जाता है.
इस पर्व के दिनों में कई स्थानों पर मैले भी भरते है. जहा लोगो को भीड़ जमा रहती है. मैलो में लोग दुर्गा का रूप धारण कर नृत्य करते है. तथा लोगो का मनोरंजन करते है.
कई लोगो का समूह रामलीला का कार्यक्रम प्रस्तुत करते है. जिसे लोग काफी पसंद करते है. इस प्रकार ये पर्व मनोरंजन की दृष्टि से सबसे लोकप्रिय पर्व है.
दुर्गा की कहानी और किंवदंतियाँ Durga Puja Story and legends
दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म का त्यौहार है. इस त्यौहार को मानाने के लिए विशेष समारोह का आयोजन होता है. इस पर्व का समरोह एक दो नहीं पुरे 10 दिन तक चलता है. ये पर्व काफी प्राचीन है.
पिछली कई सदियों से इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोग मनाते आए है. ये पर्व पारम्परिक पर्व है. इस पर्व को भारतीय संस्कृति विरासत से जोड़ा गया है. हमारी संस्कृति की कुछ नीतिया इसमे शुमार है. जैसे उपवास करना, पूजा-अर्चना तथा दावत आदि इस पर्व में हमें देखने को मिलता है.
इस पर्व से महिलाओ की शक्ति तथा उनके महत्व को समझा जाता है. इस पर्व पर कन्या पूजन किया जाता है. इस पर्व के शुरूआती सात दिनों के पश्चात कन्या पूजन तथा दुर्गा पूजन शुरू किया जाता है. जो दशहरे तक चलता है. दुर्गा पूजा माँ दुर्गा के सम्मान में दुर्गा को समर्पित उत्सव है.
इस उत्सव पर कई लोग दुर्गा का रूप धारण करते है. तो कुछ लोग रामीलाल का कार्यक्रम कर लोगो में आस्था की दीपक जलाते है. तथा लोगो का मनोरंजन करते है. माता दुर्गा को हिमाचल तथा मेंका की पुत्री माना जाता है.
कहानी 1
राक्षस महिसासुर ने एक बार स्वर्ग पर हमला कर दिया. महिसासुर काफी शक्तिशाली था. जिस कारण उसका कोई सामना नहीं कर पा रहा था. इसलिए वो भयानक होता जा रहा था. तथा देवताओ को परेशान कर रहा था.
देवताओ को संकट में देख प्रकृति के देव महादेव, विष्णु तथा ब्रह्मा जी ने अपनी शक्तियों से एक दस हाथो वाली शक्तिशाली महिला का रूप बनाया जो महिसासुर से युद्ध करने के लिए मैदान में उतरी.
इस शक्तिशाली और अलौकिक शक्तिमान महिला का नाम दुर्गा दिया गया. दुर्गा लगातर नौ दिन तक राक्षस महिसासुर से लड़ी और दसवे दिन दुर्गा दुष्ट का वध कर विजयी की ख़ुशी प्रकट करती है.
इस दिन सभी देवता माता दुर्गा के इस दिवस को यादगार बनाते है. तथा दशहरे की शुरुआत करते है. और आज हभी हम इसी दिन माँ दुर्गा के इस दिन को याद करते है.
कहानी 2
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार लंकापति रावण का अंत करने के लिए भगवन राम दिरगा की चंडी पूजा कर उनसे आशीर्वाद लेते है. तथा इस युद्ध में जब तक जीत नहीं मिलती वे प्रण लेते है. कि मै इस युद्ध को माँ के आशीर्वाद से जीतकर ही भोजन करूँगा.
और इसी प्रकार राम ने नौ दिन तक रावण से युद्ध के दौरान भोजन नहीं किया. और दशहरे के दिन राम ने रावण का वध किया. और इस संसार के भार को कम किया.
रावण के वध के साथ ही सभी ने राम का स्वागत किया और इस दिवस को दशहरे के रूप में मानाने लगे. और आज भी हम राम की तरह ही नौ दिन तक अखंडित उपवास करते है. और दुर्गा की पूजा करते है.
दसवे दिन भोजन करते है. तथा रावण के पुतले को जलाते है. इस दिन के बाद से हम हर वर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में इस पर्व को मनाते है. तथा भगवान की पूजा करते है.
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