नदी की आत्मकथा पर निबंध | Autobiography of A River in Hindi
मैं एक नदी हूं और मेरा जन्म पहाड़ों से हुआ है। मेरे अंदर काफी मिठास है। इसीलिए जानवर, इंसान, पशु पक्षी मेरे पानी को पी करके अपनी प्यास को बुझाते हैं। मेरे जल के द्वारा ना सिर्फ इंसान अपनी प्यास बुझाते हैं बल्कि मेरे ही जल पर कई सारे काम भी टिके हुए हैं जिसमें मुख्य तौर पर खेती शामिल है।
दोस्तों मै एक नदी हूँ, आज मै मेरी कहानी अपनी जुबानी कहूँगी, जिसमे आपको मेरे से जुड़े कई सवाल मैं कौन हूं ? कहां से आती हूं ? क्या मेरा अस्तित्व है ? मेरा कोई मूल्य है ? मेरी भावनाएं है, एहसास है या नहीं ?! का जवाब आपको मिल जाएगा.
मेरे साथ बहने वाला पानी पहाड़ों, घाटियों और हिमालय जैसे बर्फ से भरे हुए जगहों से प्रस्थान करता है और यह दूर तक बहते हुए समुद्र में अथवा महासागर में जाकर के मिल जाता है।
मैं रास्ते भर में असंख्य किलोमीटर की यात्रा तय करती हूं और यात्रा के दरमियान मेरी मुलाकात विभिन्न धर्म, मत, मजहब, संप्रदाय के लोगों से होती है साथ ही विभिन्न पशु पक्षी और जानवरों से होती है।
मै अपने उद्गम स्थल को छोड़कर गंतव्य तक जाने के लिए यात्रा करती है. इसलिए मुझे सम्मान मिलता है. तथा आपको इससे सिख लेनी चाहिए. कि नदियों सा आदर पाना है, तो पर्वत छोड़ निकलना होगा. इसी प्रकार यदि आपको जीवन में कुछ बेहतर करना है, तो आपको कई चीजो का त्याग करना होगा.
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. तथा कुछ करना पड़ता है. बिना कुछ किये कुछ प्राप्त नही होता है. इसलिए जीवन में हमेशा कुछ नया करने के प्रयास करते रहो सफलता जरुर मिलेगी.
मै एक नदी ही नही हूँ, और मेरा काम लोगो को जल देने तक सीमित नही है. मै जीवन की नई सिख तथा हर परस्थिति में जीने का सलीका बताती हूँ. मै कभी किसी का नुकसान नही पहुंचाती हूँ, पर जब कोई मेरा नुकसान करता है, तो मै उसे बक्स्ती नही हूँ.
मेरी उम्र कितनी है इसके बारे में मुझे भी नहीं पता है परंतु आप इतना समझ सकते हैं कि जब से यह धरती बनी हुई है तब से ही मेरा अस्तित्व इस धरती पर मौजूद है।
मेरी कई सखी सहेलियां नदी भी इस धरती पर प्राचीन काल से ही मौजूद है और अपनी यात्रा के दरमियान मुझे कई बार अपनी सखी सहेलियां नदी से मिलने का मौका मिलता है जिनमें से कुछ नदियां बड़ी होती है तो कुछ नदिया छोटी होती हैं।
मैं सिर्फ अपने ही पानी को लेकर के नहीं चलती हूं बल्कि रास्ते भर में असंख्य साफ और गंदे पानी भी मुझ में आकर के मिल जाते हैं परंतु मैं सभी को अपना बना लेती हूं क्योंकि मेरा जन्म ही लोगों की प्यास बुझाने के लिए हुआ है और लोगों का कल्याण करने के लिए हुआ है। मेरी सबसे बड़ी बहन का नाम गंगा नदी है जो सबसे पावन नदी इस धरती पर है जिसका पानी इंसान पी करके धन्य हो जाता है।
मैंने अपने जीवन काल के दरमियान विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं को देखा हुआ है जिनमें से कई जीव जंतुओं का अस्तित्व भी वर्तमान के समय में नहीं है। मैंने बहुत सारे युद्ध भी देखे हुए हैं।
कई जगह पर लोग पूरे श्रद्धा भाव के साथ मेरी पूजा भी करते हैं साथ ही मैंने अपने पानी में गंदे पानी को मिलते हुए भी देखा है। इस धरती पर जो भी चीज मौजूद है मैंने उन सभी चीज को देखा हुआ है चाहे वह भगवान के द्वारा निर्मित की गई हो अथवा इंसानों के द्वारा बनाई गई हो।
मैं जब पहाड़ों से अपनी यात्रा पर निकलती हूं तब मुझे बहुत सारे जंगल भी मिलते हैं, जिसकी वजह से मेरी सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। उन जंगलों में रहने वाले जंगली जानवर मेरे ही पानी को पी करके अपनी प्यास बुझाते हैं। यहां तक की कई बार मृत्यु के समय व्यक्ति को मेरे ही तटीय इलाके के बगल में जलाया जाता है अर्थात उसका दाह संस्कार किया जाता है।
मैं सबसे ज्यादा किसानों के काम आती हूं क्योंकि उनकी खेती तभी अच्छी होती है जब वह सही मात्रा में सिंचाई करते हैं और सिंचाई करने का पानी कहीं ना कहीं किसान भाई मेरे द्वारा ही प्राप्त करते हैं।
इसके अलावा भी मैं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के काम आती हूं। वैसे तो मैं पूरी दुनिया में मौजूद हूं परंतु भारत में जो सम्मान हमें मिलता है वह हमें पूरी दुनिया में और कहीं नहीं मिलता क्योंकि भारत में मुझे माता कहकर भी बुलाया जाता है।
उम्मीद करता हूँ। दोस्तों आज का हमारा लेख नदी की आत्मकथा पर निबंध | Autobiography of A River in Hindi आपकों पसंद आया होगा। आपको हमारे लेख से आपको सिन्धु नदी के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।