मेरे बगीचे पर निबंध | Essay On My Garden in Hindi : नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत है. मेरे बगीचे पर भाषण, निबंध, अनुच्छेद यहाँ सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं. बगीचा पर दिया गया यह संक्षिप्त निबंध जानते हैं.
आँगन को संवारने और खाली समय बिताने के लिए सबसे अच्छा बगीचा माना जाता है. बगीचा हमें एक बेहतर वातावरण देता है, शांतिमय माहौल और बेहतर वातावरण का लम्हा यहाँ से बेहतर नहीं होता.
मेरे बगीचे पर निबंध | Essay On My Garden in Hindi
हर व्यक्ति अपना बगीचा लगाकर उसका आनंद लेना चाहता है. सुबह व्यायाम से लेकर शाम को आराम करने तक हर समय बगीचा हमे एक बेहतर माहौल देता है. यह हमें शुद्ध हवा के साथ ही सब्जियाँ भी प्रदान करता है.
आज के आर्टिकल में मै आपके साथ मेरे बगीचे का बारे में बताऊंगा. तथा एक बगीचे की व्यवस्था के बारे में आपको जानकारी दूंगा.
दिल्ली की एक आवासीय कोलोनी में मैं रहता हूँ, ,मेरा काफी बड़ा घर हैं. घर के आंगन में एक सुंदर सा बगीचा भी हैं. यह मुझे बेहद पसंद है मेरे बगीचे में भांति भांति के फूल पल्लवित है जो इसकी शोभा को बढ़ाते हैं.
इस सूरज की पहली किरण पड़ते ही लाल पीले और गुलाबी रंग के फूल खिल उठते हैं. यह नजारा हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला देने वाला होता हैं. फूलों के अतिरिक्त मेरे बगीचे में फलों के भी कुछ पेड़ हैं.
उद्यान के बीचों बीच आम का पुराना दरख्त हैं जो बेहद ठंडी छाया देता हैं. जब इसके आम पक जाते है तो यह मेरे लिए ख़ुशी के बड़े अवसरों में से एक होता हैं.
गर्मी के मौसम में ये मीठे व रसीले आम दिल को सुकून देते हैं. मेरे बगीचे में कुछ अमरुद के पेड़ भी है जिनके फल पकने पर हमारे मोहल्ले के बच्चों की टोली यहाँ पहुच जाया करती हैं.
मेरा बगीचा हरी हरी घास से भरा हुआ है जिस पर विश्राम करना मुझे बेहद पसंद हैं. सवेरे मैं अपने दादाजी के साथ यहाँ बैठता हूँ. बाग़ के चारों ओर लगे रंग बिरंगे फूलों के पौधे इसकी शान में इजाफा करते हैं.
मेरा बगीचा हरी हरी घास से भरा हुआ है जिस पर विश्राम करना मुझे बेहद पसंद हैं. सवेरे मैं अपने दादाजी के साथ यहाँ बैठता हूँ. बाग़ के चारों ओर लगे रंग बिरंगे फूलों के पौधे इसकी शान में इजाफा करते हैं.
कोई पशु बगीचे को नुकसान न पहुचाएं इसके लिए चारों ओर बाड़ लगाई हैं. बाड एवं कंटीली झाड़ियों के चलते आवारा जानवर इसे नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.
जब सवेरे दूध पीने के बाद मैं बगीचे के गुलाबी फूलों को देखता हूँ तो मन प्रसन्न हो उठता है मन करता है उस मनहर सुगंध को अपने भीतर समा ले. साझ आते आते बगीचे के सारे फूल मुरझा जाते हैं.
जब सवेरे दूध पीने के बाद मैं बगीचे के गुलाबी फूलों को देखता हूँ तो मन प्रसन्न हो उठता है मन करता है उस मनहर सुगंध को अपने भीतर समा ले. साझ आते आते बगीचे के सारे फूल मुरझा जाते हैं.
हमारे बगीचे की एक चीज जो मुझे पसंद नहीं है वह है नीम के वृक्ष, मेरे पिताजी ने इन्हें लगाया था वो कहते है कि भले ही नीम कड़वा हो मगर स्वास्थ्य के लिए अच्छा हैं. मैं सुबह शाम दोनों वक्त अपने बगीचे को पानी देता हूँ जिसके कारण वह सदाबहार हरा भरा रहता हैं.
जब सवेरे मैं यहाँ दादाजी के साथ आता हूँ तो वे नीम के दो दातुन तोडकर एक स्वयं करते है तथा एक मुझे दे देते हैं. नीम मुझे पसंद नहीं है क्योंकि इसकी टहनी बहुत कड़वी होती है मगर दादाजी की बात भी नहीं टाल सकता इसलिए बस दातून करना पड़ता हैं.
जब सवेरे मैं यहाँ दादाजी के साथ आता हूँ तो वे नीम के दो दातुन तोडकर एक स्वयं करते है तथा एक मुझे दे देते हैं. नीम मुझे पसंद नहीं है क्योंकि इसकी टहनी बहुत कड़वी होती है मगर दादाजी की बात भी नहीं टाल सकता इसलिए बस दातून करना पड़ता हैं.
मेरे बगीचे की सुन्दरता की हर कोई वाहवाही किये बगैर नहीं रह सकता. जब भी हमारे यहाँ को मेहमान आता है तो एक बार के लिए वह बगीचे की प्रशंसा अवश्य करता हैं.
मेरे बगीचे की हरी भरी घास, सुंदर लताएं, पेड़ पौधे और फूल मुझे बहुत पसंद हैं. अक्सर गर्मियों के मौसम में रात्रि को हमारा पूरा परिवार बगीचे में आकर बैठता हैं. तन व मन की शांति के लिए इससे बेहतरीन विकल्प नहीं हो सकता हैं. यहाँ की ताज़ी हवा शहर में अन्यत्र तो दुर्लभ ही हैं.
बगीचे में भांति भांति के पक्षी कबूतर, मोर, चिड़िया, तोता आदि अपना घौसला बनाते हैं. उनकी मधुर ध्वनि सुनकर मन विभोर हो जाता हैं. मोर को जब भी पंख फैलाकर नाचते देखता हूँ तो सोचता हूँ काश मैं भी इनकी तरह इनके संग नीले आसमान में गोते लगाता. जब भी मैं अपने प्यारे पक्षी दोस्तों के पास जाने का प्रयास करता हूँ तो वे मेरी आहट सुनकर उड़ जाते हैं.
छुट्टी के दिन मेरे स्कूल के मित्र जब मेरे घर आते है तो हम सब मिलकर बगीचे में ही खेलने के लिए आते हैं. खेलने व कुछ देर घूमने के बाद मन काफी हल्का हो जाता हैं.
मेरे बगीचे की हरी भरी घास, सुंदर लताएं, पेड़ पौधे और फूल मुझे बहुत पसंद हैं. अक्सर गर्मियों के मौसम में रात्रि को हमारा पूरा परिवार बगीचे में आकर बैठता हैं. तन व मन की शांति के लिए इससे बेहतरीन विकल्प नहीं हो सकता हैं. यहाँ की ताज़ी हवा शहर में अन्यत्र तो दुर्लभ ही हैं.
बगीचे में भांति भांति के पक्षी कबूतर, मोर, चिड़िया, तोता आदि अपना घौसला बनाते हैं. उनकी मधुर ध्वनि सुनकर मन विभोर हो जाता हैं. मोर को जब भी पंख फैलाकर नाचते देखता हूँ तो सोचता हूँ काश मैं भी इनकी तरह इनके संग नीले आसमान में गोते लगाता. जब भी मैं अपने प्यारे पक्षी दोस्तों के पास जाने का प्रयास करता हूँ तो वे मेरी आहट सुनकर उड़ जाते हैं.
छुट्टी के दिन मेरे स्कूल के मित्र जब मेरे घर आते है तो हम सब मिलकर बगीचे में ही खेलने के लिए आते हैं. खेलने व कुछ देर घूमने के बाद मन काफी हल्का हो जाता हैं.
वाकई में हर घर में मेरे जैसे एक बगीचे का होना चाहिए जो हमें स्वच्छ वातावरण के साथ साथ सुन्दरता भी देता हैं. मन की शान्ति के लिए बगीचे में जरुर टहले.
मेरे दादाजी की आयु ९० वर्ष से पार हो चुकी हैं. उन्हें डोक्टर की सलाह है कि वे सवेरे सवेरे हरी घास पर नंगे पाँव टहले, अतः मैं भी जल्दी उठकर उनके साथ टहलने निकलता हूँ.
मेरे दादाजी की आयु ९० वर्ष से पार हो चुकी हैं. उन्हें डोक्टर की सलाह है कि वे सवेरे सवेरे हरी घास पर नंगे पाँव टहले, अतः मैं भी जल्दी उठकर उनके साथ टहलने निकलता हूँ.
वाकई यदि बगीचा नहीं होता तो मेरे जीवन में अवश्य खालीपन होता, यदि बगीचा नहीं होता तो मैं इसके फायदे नहीं उठा पाता और न ही अपने दोस्तों के साथ खेल पाता, न ही दादाजी के साथ टहल पाता.
बगीचा न केवल घर के बाहर शांत और मनोरम माहौल पैदा करता है बल्कि हमे ताजे फल तथा सब्जिया भी भरपूर मात्रा में देता हैं. सायंकालीन तथा प्रभात के समय गार्डन में वाकिग भी एक बेहतरीन अनुभव देता है.
मेरी आपको सलाह यह होगी कि अपने घर के बाहर अगर थोड़ी बहुत जगह हो, तो घास और फल व फूलदार पेड़ पौधों का एक हरा बगीचा अवश्य लगाना चाहिए.
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